- स्थानीय लोगों ने कहा हम अपने निजी जमीम पर है, मामला अभी उच्च न्यायालय में लम्बित, प्रशासन जबरन हमें हटा रही है
राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा (सारण)। खनुआ नाला के पुनर्निर्माण में मुश्किलों को पेश आना कम नहीँ हो रहा है। खनुआ नाला पर स्थानीय लोगों द्वारा किये गए अतिक्रमण को हटाने पहुंची प्रशासन की टीम को स्थानीय लोगो के विरोध का सामना करना पड़ा और बैरंग वापस लौटना पड़ा। टीम में शामिल एसडीएम सदर अशोक कुमार सिंह ने विरोध कर रहे लोगो को भरसक समझाने की कोशिश की लेकिन अतिक्रमित भूमि के रूप में चिन्हित दुकानों के मालिकाना हक के कागजात के दिखाने के बाद टीम ने अतिक्रमण मुक्ति का काम आगे के लिए टाल दिया और पूरी टीम वापस लौट गई। हम आपको बता दें कि खनुआ नाला शहर की जलनिकासी का प्रमुख स्रोत है लेकिन खनुआ नाला पर 25 वर्ष पूर्व दुकानों का निर्माण कर उसे लोगो के बीच आवंटित कर दिया था जिसके बाद बहुत तेजी से खनुआ नाला पर अतिक्रमण का दौर चला जिसके बाद खनुआ नाला छोटे नाले में परिवर्तित हो गया। शहर में जल जमाव की भीषण समस्या भी खनुआ नाला के अतिक्रमण की वजह से ही है लेकिन नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के द्वारा खनुआ नाला पर निर्माण को अवैध घोषित करने के बाद भी खनुआ नाला को उसका पुराना स्वरूप लौटाने में खासी दिक्कतों का सामना स्थानीय जिला प्रशासन को करना पड़ रहा है। खनुआ नाला की बात की जाए तो जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए जिसे जहाँ दिल चाहा वही उसने अवैध निर्माण कर लिया जिससे कई जगह पर खासकर साहेबगंज कपड़ा पट्टी में खनुआ नाला को पूरी तरह से कूड़ा कचड़ा भर कर अवरुद्ध करते हुए उसे समतल कर दिया गया है वही करीमचक इलाके में स्थानीय लोगो ने अपना मकान दुकान अपनी जमीन की सीमा से आगे बढ़कर निर्माण कर लिया है। स्थानीय लोगो का कहना है कि भूमि अतिक्रमण को लेकर न्यायालय में मामला चल रहा है लेकिन स्थानीय प्रशासन कोर्ट को धत्ता बताते हुए अपनी मनमानी करने पर तुला हुआ है।
स्थानीय निवासी
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