राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा (सारण)। मृत्यु भोज के खिलाफ छपरा के एक क्रांतिकारी युवा सह मानव आर्मी के संस्थापक वीर आदित्य ने समाज में जन जागरूकता अभियान शुरू किया है। युवा ने अपने मोहल्ले के साथ ही अन्य क्षेत्रों के लोगों को एकत्रित कर सार्वजनिक रूप से मृत्यु भोज का बहिष्कार के साथ ही जीवन में अब किसी भी व्यक्ति के मृत्यु भोज में भोजन नहीं करने का प्रण किया है। मानव आर्मी के संस्थापक ने कहा कि वाह जाति-धर्म, वेश-भूषा के साथ ही किसी भी प्रकार के भेदभाव के बिना समाज के सभी भाई बंधुओं के सुख दुख में शामिल होने में हमेशा तत्पर रहूंगा। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि मृत्यु भोज एक सामाजिक कुरीतियां हैं। वह आज के दौर के वैज्ञानिक प्रक्रिया के प्रति तथा समाज के फैली पाखंडवाद के प्रति समाज को जागरूक करना ही मेरा परम कर्तव्य रह गया है। मृत्यु भोज हमेशा के लिए बंद होनी चाहिए वही अच्छी बात तो यह होगी कि मृत्यु भोज पर धन व्यर्थ करने के बजाए हमारा इस पास के समाज के ही लोग आपसी सहयोग से उस गरीब व असहाय मृतक के परिवार को आर्थिक मदद करें। इससे ही हमारा समाज आगे बढ़ेगा ऐसा करके हम समाज में परिवर्तन लाने के साथ ही समाज को एक नई दिशा दे सकते हैं। वीर आदित्य ने सबके सामने तर्क रखते हुए कहा कि एक गरीब लाचार व्यक्ति जब पैसे के अभाव में बीमारी के कारण तड़प तड़प कर मर जाता है। जिसके बाद हमारे समाज के अंदर फैली अंधविश्वास की कुरीतियां के कारण ही हम साहूकार से कर्ज लेकर लाखों रुपए खर्च कर मृत्यु भोज का आयोजन कराते हैं। ऐसी परंपरा को अब खत्म करने की आवश्यकता है। अपने परिवार से ही इस परंपरा का विरोध कर वीर आदित्य ने एक नई पहल की शुरुआत की है। वह इस परंपरा के विरोध करते हुए अपने अत्यंत गरीब बड़े पिता के श्राद्ध कर्म में अपने किसी भी पुरुष परिवार का मुंडन नहीं कराया। उन्होंने कहा कि मुंडन से कोई दोष खत्म नहीं होता तो फिर मुंडन जरूरी क्यों? यह मात्र इसकी पहचान है कि व्यक्ति के घर किसी भी किसी की मृत्यु हुई है। उन्होंने बताया कि मेरे बड़े पिता की मृत्यु भोज के दिन उनके परिजनों के पास इतना पैसा भी नहीं था कि वह अपना भरण-पोषण ठीक ढंग से कर सके। जहां घर में आटा, चावल, सब्जी के साथ ही तेल की भारी किल्लत हो तथा उनके लिए रहने के लिए फूस से बना घर हो तो आप ही सोचिए इस परिवार के लिए मृत्यु भोज कितना मुश्किल होगा? यही बात हमें आज के दौर के इस समाज को भी सोचने की जरूरत है कि आखिर मृत्युभोज हम लोगों के लिए इतनी जरूरी क्यों है? क्या वाकई में मृत्यु भोज से मरे हुए इंसान की आत्मा की शांति मिलती है? क्या मृत्यु भोज करने से मरा हुआ इंसान स्वर्ग को पधार पाता है? यह सब बातें हमें सोचने की जरूरत है। हमें अंधविश्वास को दूर भगाने की आवश्यकता है और इस कड़ी में हमारा यही लोग समाज में फैली इस प्रकार की सामाजिक कुरीतियों को दूर करने में सहायक सिद्ध होंगे।


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