राष्ट्रनायक न्यूज

Rashtranayaknews.com is a Hindi news website. Which publishes news related to different categories of sections of society such as local news, politics, health, sports, crime, national, entertainment, technology. The news published in Rashtranayak News.com is the personal opinion of the content writer. The author has full responsibility for disputes related to the facts given in the published news or material. The editor, publisher, manager, board of directors and editors will not be responsible for this. Settlement of any dispute

सिक्किम आकर देखिये यहाँ की प्राकृतिक खूबसूरती के दीवाने हो जाएँगे

राष्ट्रनायक न्यूज। सवा चार लाख की आबादी वाले राज्य में 70 से ज्यादा बौद्ध मठ? चौंकिए नहीं यह तथ्य बिल्कुल सही हैं। हम बात कर रहे हैं भारत के पूर्वोत्तर में स्थित सिक्किम राज्य की। इस राज्य के बारे में एक और तथ्य भी है कि शायद यही एकमात्र राज्य ऐसा बचा है जहां कि संपूर्ण बौद्ध धर्म, कला, संस्कृति तथा सभ्यता को संभालकर रखा गया है। सिक्किम में स्थित सभी मठ ऐतिहासिक और प्राचीन महत्व के हैं।

यहां पर आने वाले हर आगंतुक के लिए प्राकृतिक सौंदर्य से भी ज्यादा बौद्धमठ महत्वपूर्ण होते हैं। पेमयांग्तसे, ताशिदिंग, रूमटेक, फोडांग, दॉ-दरूल, ऐन्वे, रालांग तथा फेन्सांग जैसे मठ ज्यादा लोकप्रिय हैं जिनमें कि विभिन्न देवताओं तथा मूर्तियों व चित्रकारी के दर्शन होते हैं। नमिंग्म्पा संप्रदाय से संबद्ध पेमयांग्से मठ प्रमुख होने के साथ ही सर्वाधिक लोकप्रिय मठ भी है। साढ़े तीन सौ वर्ष पुराना यह मठ लगभग छह हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित है। सिक्किम के प्रथम नरेश चोग्याल फुंतसोग नामग्याल के काल में स्थापित इस मठ में अतीत में सिर्फ अग्रणी जाति के लोगों को ही दर्शन करने की इजाजत थी। लेकिन आज किसी भी प्रकार की कोई बंदिश नहीं है, कोई भी सैलानी इस मठ के दर्शन कर सकता है।

राजधानी से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रूमटेक मठ अराधना का स्थल होने के साथ ही बौद्ध धर्म शिक्षा का प्रमुख केन्द्र भी है। यहां की परंपरागत शैली में बना यह विशाल मठ कारग्यद संप्रदाय से संबद्ध है। आवासीय घरों के बीच बना यह रूमटेक मठ दूर से नेकलेस में चमचमाते मोतियों-सा आभास देता है। जैसे ही आप मठ के पास पहुंचेंगे तो आपको हवा में फहराते रंग-बिरंगे झंडे आपका स्वागत करते हुए लगेंगे।

यहां आने पर आपको लामाओं की तीन पीढ़ियां बाल, युवा और बुजुर्ग को एक साथ देखने और मिलने का अवसर प्राप्त होगा। इन लामाओं के बारे में सर्वविदित है कि इनका जीवन कठोर परन्तु संयत और अनुशासनबद्ध होता है। यहां दो मठ ‘दा-दारूल’, और ‘ऐन्चे मठ’ तो विशेष रूप से दर्शनीय हैं। 45 साल पुराना यह मठ अपनी दिलकश वास्तुकला के कारण आपके दिल को तो मोहता ही है साथ ही सफेद रंग का यह मठ आकाश से बातें करता हुआ भी दिखाई देता है। त्यौहारों के दिनों में खासकर, अक्टूबर से दिसम्बर तक के महीनों में इन मठों में सैलानियों और श्रद्धालुओं की भीड़ देखी जा सकती है। इन दिनों में ताशिदिंग, रूमटेक और ऐन्वे मठों में लामा लोग बाघ, शेर और अन्य जंगली जानवरों के मुखौटे लगा कर और खास प्रकार की पोशाकें पहन कर नृत्य करते हैं। बौद्ध धर्म में विशेष स्थान प्राप्त सिलिंडरनुमा प्रार्थना चक्र को स्थानीय भाषा में मणि-ल्हाकोर कहा जाता है। इस 108 चक्र में हर चक्र पर धार्मिक सूक्तियां और मंत्रादि लिखे रहते हैं। सैलानी बड़ी श्रद्धा के साथ इन्हें घुमाते हैं क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि इन प्रार्थना चक्रों को घुमाने से बौद्धिसत्व की प्राप्ति होती है।

वैसे तो भारत में विलय के बाद सिक्किम ने तेजी के साथ आधुनिकता की ओर कदम बढ़ाये, लेकिन यहां यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि आधुनिकता की इस अंधी दौड़ में भी सिक्किम ने अपनी पुरातन पहचान को कायम रखा है। आज जिस प्रकार हर राज्य अपने कायाकल्प करने के चक्कर में पुरातन महत्व की चीजों की ओर ध्यान नहीं दे रहा है वहीं इस संदर्भ में सिक्किम को इसका अपवाद भी कहा जा सकता है। गर्मियों का यह मौसम चूंकि छुट्टियों का भी मौसम है और लोग इन दिनों ही घूमने-घुमाने का कार्यक्रम बनाते हैं इसलिए विभिन्न टै्रवल कंपनियों के साथ ही सिक्किम पर्यटन भी पैकेज टूर आयोजित करता है, तो अब विलंब किस बात का जल्दी पता कीजिए और पहुंचिए सिक्किम के ऐतिहासिक और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर स्थलों में घूमने के लिए।

प्रीटी