कोच्चि, (एजेंसी)। केरल उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए लोगों से धन जुटाने पर सरकार का कुछ नियंत्रण होना चाहिए और हर ‘‘टोम, डिक तथा हैरी’’ को इस तरह कोष एकत्र करने की अनुमति नहीं नहीं दी जा सकती। उच्च न्यायालय ने कहा कि उसे इस बात को लेकर चिंता है कि दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित बच्चों के लिए प्रत्येक ‘‘टोम, डिक और हैरी’’बड़ी संख्या में लोगों से धन एकत्र कर रहा है।
इसने राज्य सरकार से पूछा कि क्या इस तरह के लेन-देन पर उसका कोई नियंत्रण है? न्यायमूर्ति पी बी सुरेश कुमार ने कहा कि अदालत लोगों से धन जुटाने पर रोक नहीं लगाना चाहती, लेकिन यह चाहती है कि धन कुछ निजी व्यक्तियों के खातों में जाने की जगह सरकार के पास जाए क्योंकि हो सकता है कि निजी व्यक्ति जरूरतमंद लोगों को धन दें या नहीं दें। न्यायाधीश ने एक आॅटोरिक्शा चालक की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, ‘‘मैं भीड़ से धन जुटाए जाने पर रोक नहीं लगाना चाहता, लेकिन मैं इस पर सरकार का नियंत्रण चाहता हूं।’’ अदालत ने कहा कि वह मामले में विस्तृत आदेश जारी करेगी।
ऑटोरिक्शा चालक ने अपनी याचिका में कहा है कि रीढ़ संबंधी एक बीमारी से पीड़ित उसके छह महीने के बेटे के नि:शुल्क उपचार की व्यवस्था की जाए क्योंकि बीमारी के इलाज में काम आने वाली दवा की कीमत 18 करोड़ रुपये है और उसके पास इतना धन जुटाने का कोई साधन नहीं है।


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