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भारत की ही है भूमि रत्न गर्भा, आणविक ऊर्जा को मोहताज नहीं

भारत की ही है भूमि रत्न गर्भा,आणविक ऊर्जा को मोहताज नहीं

  • भेड़िया ड्रैगन के भेदिया रहे सत्ता के भागीदार, लद्दाख में है अकूत रत्न व यूरेनियम थोरियम भंडार

राणा परमार अखिलेश।

सारण (बिहार) सोने की चिड़िया ही नहीं ज्ञान विज्ञान की खान भारतवर्ष के राण सिंहों की दास्तान से भरा पड़ा है। एक हजार वर्ष गुलाम रहा, हिन्दुस्तान को जी भर के लूटने वाले शायद यह भूल ही गए कि भारत की रत्न गर्भा है । राजस्थान, झारखंड व छत्तीसगढ़ के एलबीटाइट राॅक्स की परतों में यूरेनियम व थोरियम मिनरल हैं किन्तु लद्दाख के गोल्डेन माउंटेन तो सोने, चाँदी सहित पूरा क्षेत्र रत्नों से भरा पड़ा है।

भेड़िया ड्रैगन के मुंह से लार टपका रहा कथित स्वतंत्रता और वास्तविक ट्रान्फर ऑफ पावर के 72 वर्ष बाद ‘मेक इन इंडिया ‘ अवधारणा को वास्तविक ता से परिचित करने का अवसर 5 अगस्त 2019 का ऐतिहासिक तारीख है ,जब जम्मू-कश्मीर का विशेष विधान धारा 370 व 35 ए निष्प्रभावी ही नहीं निष्प्राण हुआ। बलोचिस्तान की खनिज सम्पदा का दोहन चीन ने शुरू की ,आर्थिक गलियारे के बहाने पाक अधिकृत कश्मीर, ऑक्साई चिन से न जाने कितनी संपदा ले गया वह पाकिस्तान ही बता सकता है,जाहिल व काहिल पाकिस्तान अब तो भिखारी बन गया है। वहीं भारत विश्व की सबल इकोनोमिक पावर बनकर उभर रहा है। हर मोर्चे पर मात खाने वाला चीन पाकिस्तान अब विश्व को तृतीय शीत युद्ध की ओर ले जा रहा है।

कैरोना जैविक हथियार की आड़ में अर्थव्यवस्था का शिकार पड़ा उल्टा : हिंदी चीनी भाई भाई का स्लोगन देकर 1962 में युद्ध थोपना और करीब 40,000 वर्ग किलोमीटर तक भारतीय भू-भाग पर कब्जा मक्कार चीन की मक्कारी को सेक्युलर व लिवरल भूल गए ।वास्तविक नियंत्रण रेखा को अतिक्रमण कर भारतीय भूमि पर कब्जा का मनसूबा कायम रहा।डोकलाम में लगाम के बाद भी इंतकाम में जलता रहा। फिर बुरहान में कैरोना जैसी महामारी का जैविक हथियार की आड़ में अर्थव्यवस्था का शिकार करना चाहा और ‘क्राउन’ की शक्ल वाले वायरस के बल पर विश्व विजेता बनने की स्वप्निल परियोजना बना डाला । किंतु उल्टा पड़ा । अमरीका, फ्रांस, आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड जैसी आणविक शक्ति संपन्न राष्ट्र सहित करीब 140 देश मानवता के शत्रु अर्थ के लालची के शत्रु बन बैठे और भारतीय सनातन संस्कृति व प्राच्य विद्याओं की शोधपरक सिद्धान्तों को शपथ सहित स्वीकार व अंगीकृत करते हुए भारत के पक्ष मे हो गए।
लद्दाख पर कब्जा का स्वप्न: कैरोना संकट से जूझ रहे देशों की बुरहान प्रयोगशाला की जांच की मांग से ध्यान भटकाने और भारत के लद्दाख पर कब्जा करने का स्वप्न देख रहा चीन ने अपनी सेना गलमाल रिजन के पैगोंड,सोझींग में बंकर निर्माण व भारतीय सड़क निर्माण कार्य को बाधित करने का कुत्सित प्रयास किया । सैन्य जमवड़ा का उत्तर भी भारत बहादुरी से दे रहा है क्योंकि आज का भारत 1962 का भारत नहीं है और न 1962 का प्रधानमंत्री ही। बहरहाल, अमरीका व रूस भारतीय पक्ष में हैं । अमरीका, इजराइल, तो तन मन धन सैन्य व शस्त्रों सहित सन्नद्ध है।

पाकिस्तान व नेपाल की हेकड़ी बंद : नियंत्रक रेखा पर सीज फायर का उल्लंघन और आतंकवाद के बूते कश्मीर हड़पने का ख्वाब अब पाकिस्तान व पाकिस्तानी फौज के लिए असंभव है ,1947 1965 ,1971 में परास्त पाकिस्तान छद्म युद्ध भी हार गया है। पीओके को आपने मानचित्र में भारत का भूभाग दर्शाना इसका प्रमाण है । उधर नेपाल की माओवादी सरकार की हेकड़ी बंद हैं, नेपाली जनता बगावत पर उतर आयी है’ राजा लाओ, देश बचाओ ‘ के नारे

बुलंदी पर है और अब नेपाल बातचीत के लिए तैयार है।

लद्दाख पर कब्जा के बिना चीन अमरीका जीत नहीं सकता :वर्ष 2007 में जर्मनी के वैज्ञानिकों ने लद्दाखी चट्टानों की जांच अपनी प्रयोगशाला में की । भारतीय एवं एशियाई प्लेटों की टक्कर से हिमालय का निर्माण और उन चट्टानों से उभरे लद्दाख की चट्टानें खनिज संपदा से परिपूर्ण हैं । जर्मनी प्रयोगशाला में जांच का खुलासा हुआ और सेम्पल का निष्कर्ष आया कि इन चट्टानों में 5 दशमलव 36 प्रतिशत शुद्ध यूरेनियम हैं । लद्दाख के राॅक्स 100 से 25 मिलियन वर्ष पुराने हैं, जबकि आन्ध्र प्रदेश, छतीसगढ झारखंड के राॅक्स 25,00 0से 30,000 मिलियन वर्ष पुराने हैं । बहरहाल, लद्दाख में 0-3% से 5-36% यूरेनियमव0-76%से1-43थोरिम कोहिस्तान, लद्दाख व दक्षिणी तिब्बत तक फैला है।

60अरब डालर मूल्य का सोना चांदी व टेयर पा चुका है चीन : चीनी नियंत्रण वाले सटे नूब्राश्यांग नदी घाटी स्थिर उदमऊ गांव से जर्मनी प्रयोगशाला में चट्टानें गयी थी। अरूणाचल के ऊपरी जिले से 15 किलोमीटर दूर चुलमंड गांव में चीन को सोना और टेयल अर्थ मिले थे। बहरहाल, अमरीका से जंग जीतने के लिए चीन को 1000परमाणु बम चाहिए और उसके पास मात्र 260 बम ही है।ऐसे में लद्दाख पर कब्जा कर लिया बिना यूरेनियम प्राप्ति संभव नहीं है और लद्दाख पर कब्जा भी अब असंभव है। बौध आस्था का केंद्र नुब्रा घाटी में यूरेनियम व थोरियम मिनरल हैं, जो एटाॅमिक ऊर्जा व एटाॅमिक वेपन लायका हैं ।

आंध्रप्रदेश, छतीसगढ, झारखंड के बाद राजस्थान में भी हैं एलबीटाइट राॅक्स, जहाँ यूरेनियम व थोरियम मिनरल मिले हैं : वालिया हिमालय भू- विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक डाक्टर हिमांशु कुमार सचान ,डाक्टर समीर शर्मा सहित 9 भू- विज्ञानियों ने एलबीटाइट चट्टानों के सेम्पल लिए हैं, जिसमें 6 पार्टस पर यूरेनियम व 7 पार्टस पर थोरियम मिलने की संभावनाएं हैं । इन विज्ञानियों के अनुसार 20 पौंड के एलबीटाइट राॅक्स के सेम्पल में जियो केमिकल एनालिसिस में यूरेनियम व थोरियम मिले हैं ।राजस्थान में भी एलबीटाइट राॅक्स मिल चुके हैं ।बहरहाल, शोध व अन्वेषण की आवश्यकता है । सच तो यह है कि भारत आज भी समर्थन है, संपन्न है। कुशल नेतृत्व व विद्वानों व वैज्ञानिकों की अपेक्षा के कारण अबतक महाशक्ति नहीं बन पाया है। आज पूरा विश्व भारत का लोहा मान रहा है। ब्रह्मोस पाकिस्तान के होश ठिकाने लगाने के लिए काफी है तो काली किसी भी तोप, विमान व पनडुब्बी को पलभर में जलाकर राख करने में सक्षम है । यही कारण है कि चीन की ओर से गोलियां नहीं चल रहीं है । ध्यान भटकाने के लिए गीदड़ भभकी दे रहा है।