राष्ट्रनायक न्यूज

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कई वरिष्ठ नेताओं की मोदी मंत्रिमंडल से छुट्टी क्यों हुई जानिए फेरबदल का राजनीतिक गणित

राष्ट्रनायक न्यूज। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने बहुप्रतीक्षित मंत्रिमंडल का विस्तार कर दिया है। इस विस्तार को लेकर कई तरह की खबरें रही। इन सबके बीच 12 नेताओं को मंत्रिमंडल से बाहर किया गया तो वही 43 नए मंत्रियों ने शपथ ली। मंत्रियों के विभागों का बंटवारा भी कर दिया गया। कुछ मंत्रालयों को छोड़ दे तो लगभग सभी मंत्रियों के मंत्रालयों में भी फेरबदल किया गया है। भारत के इतिहास में शायद यह पहला मौका है जब मंत्रिमंडल विस्तार में इतनी ज्यादा संख्या में मंत्रियों ने शपथ ली हो और इतना बड़ा फेरबदल हुआ हो। भारतीय राजनीति को समझने वाले लोग भी इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बड़ा और अद्भुत फैसला मान रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री, शिक्षा मंत्री और सूचना और प्रसारण मंत्री का एक साथ बदलाव कहीं ना कहीं कई तरह के संकेत दे रहा है। इन्हीं विषयों को लेकर हमने प्रभासाक्षी के खास कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में चर्चा की। हमेशा की तरह इस कार्यक्रम में मौजूद रहे प्रभासाक्षी के संपादक के नीरज कुमार दुबे।

नीरज कुमार दुबे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल का जितना बड़ा विस्तार किया है उससे बड़ा तो फेरबदल कर दिया है। प्रधानमंत्री समेत चार-पाँच शीर्ष मंत्रियों को छोड़ दें तो पूरी सरकार का स्वरूप ही बदल गया है। इसे आप मोदी 2.0 की दूसरी सीरीज भी कह सकते हैं। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई परिवर्तित कैबिनेट की पहली बैठक में जिस तरह धड़ाधड़ फैसले लिये गये और उन फैसलों को अमली जामा पहनाने के लिए जिस तरह समय निर्धारित किये गये वह दशार्ता है कि प्रधानमंत्री ने अपने मंत्रियों को साफ संकेत और संदेश दे दिया है कि अब थमने या आराम करने का वक्त नहीं बल्कि तेजी से काम करने और उस काम को जनता के बीच दिखाने का भी वक्त है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल विस्तार में नए चेहरों को शामिल करने को लेकर जितनी चर्चा नहीं हुई उससे ज्यादा चर्चा कई चेहरों को मंत्रिमंडल से बाहर करने को लेकर की कई। नेताओं के मंत्रिमंडल से बाहर करने को लेकर चचार्एं अलग-अलग तरह से की जा रही है। हमने इसी से जुड़ा सवाल नीरज कुमार दुबे से भी पूछा। दुबे ने कहा कि जहाँ तक मंत्रिमंडल के विस्तार और फेरबदल की कवायद की बात है तो इसके तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ बड़े संदेश दिये हैं। पहला- व्यक्ति चाहे कितना भी बड़ा हो उसके कार्य प्रदर्शन की गुणवत्ता से कतई समझौता नहीं किया जायेगा। दूसरा- किसी खास मंत्रालय का मंत्री यदि जनता की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरता तो उसके खिलाफ उपजी नाराजगी का असर पूरी सरकार पर नहीं पड़ने दिया जायेगा। तीसरा- ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ मूलमंत्र पर आगे बढ़ते हुए सरकार में समाज के सभी वर्गों और देश के हर कोने की पर्याप्त भागीदारी सुनिश्चित की जायेगी। चौथा- बेहतरीन कार्य करने वालों को पुरस्कृत किया जाता रहेगा। पाँचवाँ- पार्टी संगठन के लिए निष्ठापूर्वक काम करने वालों को ‘बड़े अवसर’ दिये जाएंगे।

मंत्रिपरिषद में बड़े फेरबदल के एक दिन बाद अश्विनी वैष्णव, अनुराग ठाकुर और मनसुख मंडाविया सहित नव नियुक्त मंत्रियों ने अपने-अपने मंत्रालय का प्रभार संभाल लिया। नौकरशाह और उद्यमी रहे 51 वर्षीय वैष्णव ने सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ-साथ रेलवे का भी प्रभार संभाला है। वहीं, कैबिनेट मंत्री के पद पर पदोन्नत किये गये अनुराग ठाकुर ने भी सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का प्रभार संभाल लिया। सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ-साथ रेलवे का भी प्रभार मिलने पर ओडिशा से सांसद वैष्णव ने कहा कि यह जिम्मेदारी देने के लिए वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आभारी हैं। वैष्णव ने कहा कि उनका मुख्य जोर कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति के जीवन को बेहतर बनाने पर होगा। वहीं, दर्शना जरदोश ने रेल राज्य मंत्री के रूप में कार्यभार संभाल लिया। ठाकुर ने सूचना एवं प्रसारण मंत्री का कार्यभार संभालने के बाद कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें एक बड़ी जिम्मेदारी दी है और वह इसे पूरा करने की अपनी सर्वोत्तम कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के माध्यम से जनता तक पहुंचने पर उनका सबसे ज्यादा ध्यान रहेगा। गुजरात से भारतीय जनता पार्टी के नेता मनसुख मंडाविया ने कोविड-19 महामारी के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री के रूप मेंकार्यभार संभाल लिया। मंडाविया ने इस मंत्रालय में डॉ. हर्षवर्धन की जगह ली है, जिन्होंने बुधवार को केंद्रीय मंत्रिपरिषद से इस्तीफा दे दिया था। डॉ. भारती प्रवीण पवार ने केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। उन्होंने मंत्रालय में राज्य मंत्री के रूप में अश्विनी चौबे का स्थान लिया है।

महामारी के दौरान कामगार वर्ग, खासतौर पर अनौपचारिक क्षेत्र के कामगारों के प्रभावित होने के बीच भूपेंद्र यादव को महामारी के बीच श्रम एवं रोजगार मंत्रालय का प्रभार सौंपा गया है। उन्हें पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की भी जिम्मेदारी सौंपी गई है। जितेंद्र सिंह ने नये केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। उन्हें बुधवार को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया था। संस्कृति, पर्यटन और पूर्वोत्तर विकास मंत्री जी किशन रेड्डी ने भी कार्यभार संभाल लिया, जबकि नारायण टी. राणे ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय का कार्यभार संभाला। राणे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। भानु प्रताप सिंह वर्मा ने भी इसी मंत्रालय में राज्य मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला है। गुजरात से भाजपा नेता पुरूषोत्तम रूपाला ने मात्स्यिकी, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय का दायित्व संभाला। राज कुमार सिंह ने विद्युत मंत्रालय और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय में कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। डॉ. वीरेंद्र कुमार ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री के तौर पर कार्यभार संभाला। दो राज्य मंत्रियों प्रतिमा भौमिक और ए नारायणसामी ने भी अपना- अपना पदभार संभाला। सुभाष सरकार ने शिक्षा राज्य मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। वह, पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा से सांसद हैं, जबकि मुंजापारा महेंद्रभाई ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री का प्रभार संभाला। पूर्व रेल मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने शिक्षा मंत्रालय का कार्यभार संभाला। उन्होंने कहा कि भारत के शिक्षा तंत्र ने नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति की शुरूआत के साथ एक बड़ी कामयाबी हासिल की है।

प्रधान ने कहा कि भारत को समान ज्ञान वाले समाज की दिशा में ले जाने के उद्देश्य से वह छात्रों, युवाओं को प्राथमिक हितधारक बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। पशुपति कुमार पारस ने खाद्य प्रसंस्करण और गिरिराज सिंह ने ग्रामीण विकास मंत्रालय का कार्यभार कैबिनेट मंत्री के रूप में संभाला है। रामचंद्र प्रसाद सिंह ने इस्पात मंत्रालय का कार्यभार संभाला। किरण रीजीजू ने विधि एवं न्याय मंत्रालय का कार्यभार संभाला। रामचंद्र प्रसाद सिंह जदयू नेता एवं सेवानिवृत आईएएस अधिकारी हैं। भाजपा के लोकसभा सदस्य भगवंत खुबा ने नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री का प्रभार संभाला। वहीं, भागवत किशनराव कारद ने वित्त राज्य मंत्री का कार्यभार संभाला। उत्तराखंड से सांसद अजय भट्ट ने रक्षा राज्य मंत्री का कार्यभार संभाला। हरदीप सिंह पुरी ने कैबिनेट मंत्री के रूप में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय का कार्यभार संभाला लिया। रामेश्वर तेली ने मंत्रालय में राज्य मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। अजय कुमार और निसीथ प्रामाणिक ने केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री का पदभार संभाल लिया। कुमार (60) उत्तर प्रदेश के खीरी से लोकसभा सदस्य है और प्रमाणिक (35) पश्चिम बंगाल के कूचबिहार से लोकसभा सदस्य है। नौकरशाह से नेता बने आर के सिंह ने विद्युत एवं नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री का प्रभार संभाला।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भीड़भाड़ वाले स्थानों पर लोगों द्वारा कोविड-19 के नियमों का पालन न करने पर चिंता जताते हुए कहा कि लापरवाही के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए और एक छोटी सी गलती के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं जिससे महामारी से लड़ाई कमजोर पड़ सकती है। मंत्रिमंडल विस्तार के एक दिन बाद मंत्रिपरिषद के सदस्यों से बातचीत में उन्होंने कहा कि महामारी के विरुद्ध भारत की लड़ाई पूरे जोर-शोर से जारी है और टीकाकरण अभियान तथा जांच की जा रही है। इसके साथ ही उन्होंने लापरवाही न बरतने की सलाह दी। एक सूत्र ने बताया कि प्रधानमंत्री ने कहा कि हाल के महीनों में संक्रमण के जितने मामले सामने आ रहे थे अब उससे कम देखने को मिल रहे हैं लेकिन लोगों को बाहर नहीं निकलना चाहिए। सभी को याद रखना चाहिए कि कोविड-19 का खतरा अभी समाप्त नहीं हुआ है।

कई अन्य देशों में संक्रमण के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है। वायरस में उत्परिवर्तन भी हो रहा है। मोदी ने मंत्रियों से कहा कि लोगों में डर पैदा करना लक्ष्य नहीं होना चाहिए बल्कि जनता से सभी प्रकार की सावधानी बरतने का आग्रह करना चाहिए ताकि आने वाले समय में राष्ट्र इस महामारी के संकट से उबर सके। उन्होंने मंत्रियों से समय पर कार्यालय पहुंचने और अपनी ऊर्जा मंत्रालय के काम करने में लगाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि मंत्रियों का ध्यान सबसे वंचित लोगों की सहायता करने पर केंद्रित होना चाहिए। सूत्रों ने बताया कि मोदी ने कहा कि मंत्री अपने पूर्ववर्तियों से मिलकर उनके अनुभवों से सीख सकते हैं। उन्होंने नए मंत्रियों से कहा कि जो अब सरकार में नहीं हैं उन्होंने भी काफी योगदान दिया है और नए मंत्रियों को उनसे सीखना चाहिए। मोदी ने सलाह देते हुए कहा कि केवल मंत्रियों का काम मायने रखता है और उन्हें मीडिया का आकर्षण पाने के दुष्चक्र में नहीं पड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि मंत्रियों को अनावश्यक बयनबाजी से बचना चाहिए।

नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले मंत्रिपरिषद विस्तार में शपथ लेने वाले 43 मंत्रियों में 30 लोकसभा और 11 राज्यसभा के सदस्य हैं। इसके साथ ही, असम के पूर्व मुख्यमंत्री सवार्नंद सोनोवाल और भाजपा की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष एल मुरुगन दो ऐसे मंत्री हैं जो फिलहाल संसद के किसी सदन के सदस्य नहीं हैं। सोनोवाल फिलहाल असम विधानसभा सदस्य हैं। इस मंत्रिपरिषद विस्तार में कुल 15 कैबिनेट और 28 राज्य मंत्री बनाए गए हैं। राज्यसभा के जिन सदस्यों को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है उनमें महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता नारायण नारायण राणे, जद (यू) अध्यक्ष आरसीपी सिंह, भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया, भूपेंद्र यादव, अश्विनी वैष्णव, हरदीप पुरी, मनसुख मंडाविया और पुरुषोत्तम रुपाला शामिल हैं। भाजपा के ही राजीव चंद्रशेखर, बीएल वर्मा, भागवत कराड को राज्य मंत्री बनाया गया है और ये तीनों मंत्री राज्यसभा के सदस्य हैं।

लोकसभा के जिन सदस्यों को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है उनमें भाजपा के डॉक्टर वीरेंद्र कुमार, किरेन रिजिजू, आरके सिंह, जी किशन रेड्डी और अनुराग ठाकुर तथा लोक जनशक्ति पार्टी (पारस गुट) के नेता पशुपति कुमार पारस शामिल हैं। इनके अलावा, अपना दल (एस) की अनुप्रिया पटेल, भाजपा के एसपी सिंह बघेल, शोभा कारंदलाजे, भानू प्रताप सिंह वर्मा, दर्शना जारदोश, मीनाक्षी लेखी, अन्नपूर्णा देवी, कौशल किशोर, अजय भट्ट, अजय कुमार, चौहान देवूसिंह, भगवंत खूबा, भारती पवार, पंकज चौधरी, शांतनु ठाकुर, मुंजपारा महेंद्रभाई, निशीथ प्रामाणिक, ए नारायणस्वामी, कपिल पाटिल, राजकुमार रंजन सिंह, प्रतिमा भौमिक, सुभाष सरकार, भागवत कराड, बिश्वेसर टुडू और जॉन बारला भी लोकसभा सदस्य हैं जो राज्य मंत्री बने हैं।

केंद्रीय मंत्रिपरिषद् में हुए विस्तार में उत्तर प्रदेश के जिन सात मंत्रियों को शामिल किया गया है उनके चयन में जातिगत समीकरण को साधते हुए अगले वर्ष के शुरू में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव को भी ध्यान में रखा गया है। राज्य से जो नये केंद्रीय मंत्री बनाये गये हैं उनमें से तीन का संबंध पिछड़े वर्ग, तीन का दलित समूह है जबकि एक ब्राह्मण समुदाय से हैं। हालांकि इन सात चेहरों में से केवल एक सहयोगी दल का है और शेष भाजपा के ही सांसद हैं। मोदी मंत्रिपरिषद में शामिल किये गये मंत्रियों में महाराजगंज संसदीय क्षेत्र से भाजपा से छठवीं बार चुने गये पंकज चौधरी और मिजार्पुर से भाजपा की सहयोगी अपना दल (एस) से दूसरी बाद की सांसद अनुप्रिया पटेल पिछड़े वर्ग के कुर्मी समाज से हैं जबकि बदायूं निवासी राज्यसभा सदस्य बीएल वर्मा पिछड़े वर्ग के लोधी राजपूत हैं।

अनुसूचित जाति वर्ग में आगरा से भाजपा सांसद सत्यपाल सिंह बघेल धनगर, जालौन के सांसद भानु प्रताप वर्मा-कोरी और लखनऊ के मोहनलालगंज क्षेत्र के सांसद कौशल किशोर पासी समाज से आते हैं। इनके अलावा लखीमपुर खीरी से दूसरी बार के सांसद अजय कुमार ब्राह्मण समाज से हैं। उप्र कोटे से शामिल किये गये मंत्रियों में सिर्फ अनुप्रिया पटेल सहयोगी अपना दल (एस) की हैं जबकि बाकी सभी भारतीय जनता पार्टी के सांसद हैं। पंकज चौधरी को केंद्र में संतोष गंगवार के इस्तीफा देने के बाद मौका मिला है क्योंकि गंगवार भी कुर्मी समाज के हैं। ध्यान रहे कि उत्तर प्रदेश में यादव समाज के बाद अन्य पिछड़ा वर्ग में कुर्मी बिरादरी की मजबूत भागीदारी है।

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