नई दिल्ली, (एजेंसी)। कोरोना महामारी की वजह से आई मंदी से जूझ रही मोदी सरकार की परेशानी अब मौसम के मिजाज और मॉनसून में देरी ने बढ़ा दी है। भारत में आमतौर पर 1 जून से मॉनसून की शुरूआत के साथ खेतों में धान सहित कई अहम फसलों की बुआई शुरू हो जाती है और यह सिलसिला अगस्त की शुरूआत तक चलता है। लेकिन इस बार मॉनसू में देरी की वजह से फसल बुआई में गिरावट दर्ज की जा रही है। पिछले महीने मजबूत शुरूआत के बाद मॉनसून की बारिश कम हो गई है। कृषि मंत्रालय के मुताबिक, देश में किसानों ने इस साल अब तक ग्रीष्मकालीन फसलों की 4.99 करोड़ हेक्टेयर भूमि में बुआई कर चुके हैं, जोकि पिछले साल से 10.43 फीसदी कम है। मंत्रालय के मुताबिक, इस साल 9 जुलाई तक 1.15 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर धान की बुआई हुई है, जबकि पिछले साल इस अवधि तक 1.26 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर धान की फसल लग चुकी थी।
इस साल 86 लाख हेक्टेयर जमीन पर कपास की फसल लगी है, जबकि पिछले साल 105 लाख हेक्टेयर जमीन पर बुआई हो गई थी। सोयाबीन सहित तिलहन की बुआई 112 लाख हेक्टेयर जमीन पर हुई है, जबकि पिछले साल 126 लाख हेक्टयर में बुआई हो चुकी थी। हालांकि, दुनिया के दूसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक देश में गन्ने की बुआई लगभग पिछले साल जितनी (53 लाख हेक्टेयर) हुई है। दालों दुनिया के सबसे अधिक अनाज उत्पादक देशों में शामिल भारत में 1 जून से औसतन 5 फीसदी कम बारिश हुई है। जुलाई के पहले सप्ताह में मॉनसून बारिश औसत से 46 फीसदी कम हुई है। 96 से 104 फीसदी के बीच बारिश को देश में सामान्य कहा जाता है। 50 सालों का औसत पूरे सीजन के लिए 88 सेमी बारिश है। हालांकि, मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि इस सप्ताह के बाद बारिश में फिर तेजी आ सकती है।
देश में आधी से अधिक कृषि योग्य भूमि सिंचाई सुविधाओं से वंचित है और किसान पूरी तरह बारिश के पानी पर ही निर्भर करते हैं। भारत की 2.7 ट्रिल्यन की अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान करीब 15 फीसदी है। पिछले साल लॉकडाउन के दौरान जब मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में भारी गिरावट आई थी तो कृषि ने ही स्थिति को कुछ हद तक संभाला।
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