राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा (सारण)। लोक-धुन -2 महोत्सव के तीन दिवसीय आयोजन में भोजपुरी हिंदी जगत के कलाकारों ने भिखारी ठाकुर रचित गीत संगीत सहित भोजपुरी के अन्य पारम्परिक गीतों को प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोह लिया। लोक कलाकार भिखारी ठाकुर के 50वीं पुण्यतिथि के अवसर पर भिखारी ठाकुर रंगमंडल प्रशिक्षण एवं शोध केंद्र (छपरा) द्वारा आयोजित 3 दिवसीय ‘वर्चुअल लोक-धुन महोत्सव -2’ के पहले दिन सर्वप्रथम छपरा नगर के पूर्वी छोर भिखारी ठाकुर चौक पर स्थापित भिखारी ठाकुर व उनकी मंडली की आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ ही संवाद-सत्र से कार्यक्रम शुरू हुआ जिसमें भिखारी ठाकुर रंगमंडल प्रशिक्षण सह शोध केंद्र के निदेशक डॉ जैनेन्द्र कुमार दोस्त ने ठाकुर जी के 50वी पुण्यतिथि पर प्रकाश डाला। उसके बाद पटना से लोकगायिका मनीषा श्रीवास्तव ने भिखारी ठाकुर, महेंद्र मिसिर सहित कजरी एवं पारंपरिक गीतों को प्रस्तुत किया। उसके अगले दिन संगीत नाटक अकादमी अवार्ड से सम्मानित, बिहार सरकार के कला संस्कृति विभाग से लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड विजेता पद्मश्री रामचंद्र मांझी जिन्हे हाल ही में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री देने की घोषणा कर दी है उन्होंने भिखारी ठाकुर जी के बनाए गीत संगीत व नाटकों से चूनिंदे लोकगीतों को प्रस्तुत किया। उनके द्वारा गाये भोजपुरी गीतों में ‘कहिया लगिहन सिताराम मे लगनिया’ ‘श्री भिखारी भोजपुरी के देवता’ ‘ बहुते सुहावन ना मन भावन अइले मोर’ को दर्शको ने सबसे ज़्यादा पसंद किया गया। वहीं अगले सत्र में सारण जिले के मटीहान से अरुण अलबेला जुड़े जिन्होंने देशी अंदाज में भिखारी ठाकुर के गीतों को प्रस्तुत किया।
महोत्सव के निर्देशक जैनेन्द्र दोस्त ने कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण जहा कलाकारों को अपनी संस्कृति से दूर होना पड़ा है खासा दिक्कत का सामना करना पड़ा है तो वहीं भोजपुरी जगत के महान कलाकार की 50 वीं पुण्यतिथि अपने आप में खास थी जिसे खास बनाने के लिए भिखारी ठाकुर रंगमंडल प्रशिक्षण एवं शोध केंद्र द्वारा भोजपुरी प्रेमी जन के लिए वर्चुअल महोत्सव का आयोजन किया गया। कलाकारों के साथ दर्शकों को भी वर्चुअल आयोजन से जुड़ना एक नया अनुभव दे रहा है।
जनता में इस वर्चुअल महोत्सव का काफ़ी क्रेज़ भी है। लोक धुन महोत्सव-2 के तीसरे व अंतिम दिन दोपहर में सारण की बेटी स्वाति मिश्रा मुंबई से लाइव जुड़ी नेटवर्क की कमी कि वजह से उनकी प्रस्तुति बाधित हुई फिर शाम 4 बजे छपरा के है उभरते लोक कलाकार मनोज बिहारी ने संगीतमय प्रस्तुति से दर्शकों को खूब झुमाया वहीं रात्रि 8 बजे संगीत नाटक अकादमी से संबद्ध महिला कलाकार सरिता साज लाइव जुड़ी और अपनी स्वरांजली से भिखारी ठाकुर के गीतों की एक लंबी श्रृंखला खड़ी कर दी। श्रीमती साज द्वारा ठाकुर जी रचित बिदेसिया, बेटी बेचवा, पिया निसईल, गबर घिचोर, झूमर, कजरी व अन्य गीतों से दर्शकों को भिखारीमय बना दिया।
सभी सत्रो में हज़ारों की संख्या में दर्शक इस महोत्सव से जुड़ रहे। सबसे ख़ास बात है कि दर्शक और कलाकार लाइव रूप में भी संवाद स्थापित कर पा रहे हैं यह काफी कुछ संदेश देता है। लोक धुन के इस दूसरे सत्र के ऑनलाइन कार्यक्रम का संयोजन रंगकर्मी व रंगमंडल के सदस्य रंजीत भोजपुरिया ने किया। बताते चले कि भिखारी ठाकुर रंगमंडल प्रशिक्षण एवं शोध केंद्र लगातार भिखारी ठाकुर, महेन्द्र मिश्र व भोजपुरी क्षेत्र के लोक संस्कृति एवं पारंपरिकता का संरक्षण करते हुए अपने आयोजन से स्थानीय कलाकार व कला से समाज को नई पहचान देने वालों के लिए एक प्लेटफॉर्म भी तैयार कर रहा है महोत्सव का मुख्य उद्देश्य भी लोक-धुनों की यात्रा से दर्शकों को अपनी संस्कृति से रु-ब-रु करवाना है।


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