राष्ट्रनायक न्यूज

Rashtranayaknews.com is a Hindi news website. Which publishes news related to different categories of sections of society such as local news, politics, health, sports, crime, national, entertainment, technology. The news published in Rashtranayak News.com is the personal opinion of the content writer. The author has full responsibility for disputes related to the facts given in the published news or material. The editor, publisher, manager, board of directors and editors will not be responsible for this. Settlement of any dispute

कृषि विभाग का दावा- 25.17 फीसद ही धान की रोपनी व 65.62% मक्का की बुआई

  • कृषि विभाग का दावा- 25.17 फीसद ही धान की रोपनी व 65.62% मक्का की बुआई
  • हकीकत- धान की रोपनी का रफ्तार धीमी, मक्का की बुआई भी है प्रभावित

 

  • 83 हजार हेक्टेयर धान के रोपनी व 39 हजार हेक्टेयर में मक्का की बुआई का निर्धारित है लक्ष्य

छपरा(सारण)। जिले में पिछले माह की तुलना में इसबार बारिश कम हुई। जिसका असर धान की बुआई पर पड़ने लगा है। लेकिन मक्का की खेती के लिए किसानों को समय भी मिल गया है। कृषि विभाग की आंकड़ों की माने तो जुलाई माह में औसतन 773.13 एमएम बारिश होने की संभवना व्यक्त की गई थी, परंतु अभी तक 164.11 फीसद ही बारिश हो पायी है। लिहाजा बारिश कम होने के कारण गर्मी का प्रभाव बढ़ गया है। जिससे असर आम लोगों के साथ-साथ खेती-किसानी पर भी दिखने लगा है। बारिश कम होने के कारण किसान अब निजी पंपसेट बोरिंग के माध्यम से धान की रोपनी में जुटे हुए है। कृषि विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार जिले में करीब 83 हजार हेक्टेयर में धान की रोपनी की जानी है। जिसके आलोक में 98.43 फीसद धान का बिचड़ा डाला गया है। जहां-जहां धान का बिचड़ा तैयार हो गया है, वहां किसान धान की रोपनी कर रहे है। ऐसे में जिले में अभी तक करीब 20 हजार 890 हेक्टेयर यानी करीब 25.17 फीसद ही धान की रोपनी हुई। वहीं बारिश कम होने के कारण मक्का की खेती रफ्तार पकड़ा है। जिले में 39 हजार में मक्का की बुआई की जानी है, जिसमें अभी तक करीब 25 हजार 590 हेक्टेयर यानी 65.62 फीसद मक्का की बुआई की गई है। कृषि विभाग के पदाधिकारियों द्वारा अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले सप्ताह तक जिले में लक्ष्य के अनुरूप मक्का शत-प्रतिशत बुआई हो जाएगी। लेकिन धान की रोपनी में विलम्ब होने की संभावना है। विशेषज्ञों की माने तो बिचड़ा डालने में विलंब हुआ है, जब बिचड़ा तैयार होगा तो ही धान की रोपनी तेजी से होगी।

संभावित बाढ़ के कारण किसान खेती करने में कर रहे है संकोच

जिले पिछले वर्ष की तुलना में प्रलयकारी बाढ़ की संभावना को लेकर किसान काफी चिंतत है। जिसका असर खेती पर साफ तौर पर पड़ने लगा है। जानकारी के अनुसार पानापुर, तरैया, मशरक, दरियापुर, गड़खा के बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों के किसान खेती करने में संकोच रहे है। किसानों की माने तो अगर बाढ़ ह़ुई तो काफी आर्थिक क्षति होने की संभावना है। जिससे खरीफ फसल की बुआई में विलंब कर बाढ़ की संभावान पर विचार विमर्श कर रहे है।

संभावित बाढ़ को ले फैला अफवाह, खेती करने से मना कर रही है प्रशासन

जिले के कई प्रखंडों में संभावित बाढ़ को लेकर खेती नहीं करने को लेकर किसानों में अफवाह फैल गया है। जिससे किसानों में बाढ़ से खेती की नुकसान चिन्ता सताने लगी है। जानकारों की माने तो ऐसा कहा जा रहा है कि पिछले बार जिस क्षेत्र में बाढ़ आयी थी उस में इलाके खेती करने से प्रशासन द्वारा मना किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि इसबार बाढ़ में फसल बर्बाद होगी तो फसल क्षति अनुदान नहीं दिया जाएगा। जिससे छोटे एवं मंझले किसानों में आर्थिक क्षति होने का डर सताने लगा है। जिसका असर खेती पर दिखने लगा है।

अफवाह पर रोक लगाने में प्रशासन विफल

जिले में प्रलयकारी बाढ़ आने को लेकर अफवाह फैल गया है। जिससे किसानों समेत आम लोगों में भी भय सताने लगा है। जानकारों का कहना है कि अभी बाढ़ की संभावना कम दिख रही है, अगर बाढ़ आएंगी तो नदी तटिये क्षेत्र ज्यादा प्रभावित हो सकते है। लेकिन प्रलयकारी बाढ़ का अफवाह इतनी तेजी से फैला है कि जिले बाढ़ प्रभावित करीब आठ प्रखंडों के लोग सहमे हुए है। इस सूरत में प्रशासन इस अफवाह से लोगों को जागरूक करने की दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रही है। जिससे बाढ़ के प्रति लोगों का विश्वास प्रबल होते जा रहा है।

विभागीय आंकड़ों की तूलना में खेती में हो रहा फर्क

जिले में बाढ़ की संभावना को लेकर किसान आतंकित है। जिसका असर खेती-किसानी पर भी पड़ रहा है। कृषि विभाग की आंकड़ों में जो दावा किया जा रहा है। उसकी सत्यता में फर्क हो सकता है। कृषि विशेषज्ञों की माने तो पिछले वर्ष हुए बाढ़ से किसानों को काफी क्षति हुई है। साथ ही जून माह में औसत से अधिक बारिश होने से खेतों अधिक दिनों तक पानी लगा है। जिससे किसान खेती के लिए धान का बिचड़ा अनुमानित से कम डाले है। जो किसान बिचड़ा डाले वे काफी विलम्ब से डाले है। जिससे बिचड़ा तैयार होने में समय लग रहा है। इससे धान बुआइ पर सीधा असर पड़ा है। वहीं मक्का का फसल भी अनुमान से कम हुआ है। कृषि जानकारों की माने तो जून में अधिक बारिश होने के मक्का की खेती भी प्रभावित हुई है। जो किसान समय से मक्का की बुआई किये तो अधिक बारिश से मक्का का बीज तो उगा, लेकिन कुछ दिनों के बाद पिला होकर सुख गया। इस सूरत में कुछ किसान दोबारा मक्का की बुआई किये है। लिहाजा अनुमान व्यक्त किया जा रहा है कि विभागीय आंकड़ों और जमीनी स्तर पर किसानों की खेती स्पष्ट तौर पर फर्क नजर आ रहा है।

खरीफ फसल अंतर्गत इन फसलों की होगी खेती

फसल का नाम                रकबा(हे.में)

धान                     83 हजार हेक्टेयर

मक्का                   39 हजार हे.

मड़आ                   2850 हे.

अरहर                    8850 हे.

उड़द                     690 हे.

मूंग                     965 हे.

अन्य दलहन              510 हे.

कुल दलहन               11 हजार 15 हे.

तिल                     200 हे.

अण्डी                    25 हे.

तेलहन                   225 हे.

कुल                     1,36,090 हेक्टेयर

सारण में कृषि भूमि व स्थिति एक नजर में

जलवायु तापमान                   40.44 डिग्री सेंटीग्रेड

कुल सिंचित क्षेत्र                    101611 हे.

नहर से सिंचाई                      22320 हे.

दियारा क्षेत्र                           29561 हे.

वन क्षेत्र                               00000

मिट्‌टी का पीएच                    7.0 से 8.2

मिट्‌टी का प्रकार                    बलुई-दोमट मिट्‌टी

मुख्य फसलें                         धान, गेहूं, मक्का, अरहर, चना, मसूर

मिट्‌टी जांच प्रयोगशाला          01

You may have missed