राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा (सारण)। छपरा सदर अस्पताल में डाक्टरों की लापरवाही के कारण एक व्यक्ति की स्थिति काफी खराब हो गयी और डाक्टरों ने उन्हें बेहतर इलाज के लिए छपरा से पटना स्थित पीएमसीएच रेफर कर दिया। वही इस घटनाक्रम में डॉक्टरों के ऊपर परिजनों ने आरोप लगाते हुए कहा की छपरा सदर अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही से उनके मरीज की स्थिति काफी खराब हो गईं। पूरी घटना में छोटा ब्रह्म पुर के रहने वाले बबन राय को बीती रात साँप ने काट लिया जब उसे छपरा सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया तो तो डाक्टरों एंटीबेनम की डोज दी। लेकिन इससे बबन राय की तबीयत और बिगड़ने लगी।तब परिजनों ने इससे डॉक्टर को बताया डियूटी पर उपस्थित डॉक्टर पंकज और डॉक्टर राजन ने कोई ध्यान नही दिया और एंटीबेनम कि डोज को बढ़ाते चले गए और बबन रॉय की तबियत और बिगड़ने लगी। वही दोनों डाक्टरों के ऊपर परिजनों ने लापरवाही का आरोप लगाया वही जब सुबह में जब दूसरा डॉक्टर आया तो मरीज की गंभीर स्थिति को देखते हुए मरीज को पटना रेफर कर दिया। इस पर परिजन भड़क गए। वही परिजनों के अनुसार जब रात में ही स्थिति खराब थी तो डाक्टरों ने उसी समय पटना रेफर क्यो नही किया। वही सुबह में जब दूसरे डॉक्टर आये तो उन्होंने कहा की मरीज को ब्रेन हेमरेज हो गया हैं। वही इस घटना में मरीज के परिजनों के हंगामे के बाद छपरा के सदर अस्पताल में उपाधीक्षक चेम्बर में डॉक्टरों की आपात कालीन बैठक बुलाई गई। जिसमें अस्पताल के उपाधीक्षक समेत सभी डॉक्टर उपस्थित थे। और वो दोनों डॉक्टर पंकज और राजन भी थे। और वहां आवश्यक विचार विमर्श हो रहा था। यह बैठक काफी लम्बे समय तक चली और लगभग एक घण्टे से ज्यादा समय तक आपातकालीन डियुटी पर तैनात डॉक्टर हरेंद्र भी इस बैठक में मौजूद रहे और आपातकालीन सेवा मे एक घण्टे तक कोई भी डॉक्टर नही रहा। इसी बीच रिविलगंज निवासी उमेश प्रसाद जो लिवर की बीमारी से ग्रसित थे और ऑक्सीजन की कमी के कारण उन्हें सॉस लेने में परेशानी हो रही थी सदर अस्पताल के इमरजेंसी में दिखाने पहुचे। लेकिन एक घण्टे से अधिक समय तक डाक्टरों की बैठक चल रही थी और इमरजेंसी पूरी तरह से खाली था इमरजेंसी डियूटी पर तैनात डॉक्टर हरेंद्र मीटिंग में थे। इसी बीच उमेश प्रसाद की मौत हो गयी। परिजनों ने आरोप लगाया की कोई डॉक्टर इमरजेंसी में था ही नही। बहरहाल इन दोनों घटनाओं में छपरा सदर अस्पताल के तीन डाक्टरों की लापरवाही सामने आई है।धरती के भगवान कहे जाने वाले डाक्टरों की इस स्थिति को लेकर अस्पताल प्रशासन और जिला प्रशासन क्या कार्रवाई करता है यह तो समय ही बतायेगा। लेकिन एक बात तो तय है की दूसरे भगवान कहे जाने वाले डाक्टरों में अब मानवता नाम की कोई चीज़ बची नही है।


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