राष्ट्रनायक न्यूज

Rashtranayaknews.com is a Hindi news website. Which publishes news related to different categories of sections of society such as local news, politics, health, sports, crime, national, entertainment, technology. The news published in Rashtranayak News.com is the personal opinion of the content writer. The author has full responsibility for disputes related to the facts given in the published news or material. The editor, publisher, manager, board of directors and editors will not be responsible for this. Settlement of any dispute

स्वास्थ्य विभाग ने जिले को उपलब्ध करायीं पांच ट्रूनॉट मशीनें, टीबी मरीज़ों को दो घंटे में मिलेंगी बलगम की जांच रिपोर्ट

  • सदर अस्पताल, बनमनखी, धमदाहा अमौर अस्पताल में लगायी जाएंगी ट्रूनॉट मशीनें:
  • टीबी मुक्त भारत अभियान को आंदोलन का आकर देने के लिए सामुदायिक सहभागिता जरूरी: सीडीओ
  • पौष्टिक आहार लेना जरूरी: डीपीएस

पूर्णिया, 30 जुलाई।

ज़िले में टीबी के मरीजों की जल्द से जल्द जांच हो इसके लिए राज्य स्वास्थ्य समिति के द्वारा ज़िले को पांच ट्रूनॉट (TrueNat) मशीन उपलब्ध करा दी गई हैं। जिससे कोविड-19 की जांच के साथ-साथ रिफाम्पिसिन रेजिस्टेन्स जांच के लिए उपयोग में लाया जा सकें। उक्त मशीनों द्वारा कोविड के अतिरिक्त टीबी एवं रिफाम्पिसिन रेजिस्टेन्ट टीबी की भी जांच की जा सकती है। इसके लिए जिला यक्ष्मा केन्द्र में टीबी एवं रिफाम्पिसिन रेजिस्टेन्ट जांच के लिए आवश्यक चिप्स पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध करा दिया गया है। संचारी रोग पदाधिकारी (यक्ष्मा) डॉ महमद साबिर ने बताया मुख्यालय से पांच ट्रूनॉट मशीन स्थानीय स्वास्थ्य विभाग को मिल गई हैं। जिसमें से एक कोविड-19 जांच के लिए लगायी  गई है। जबकि शेष चार मशीनों को सदर अस्पताल, अनुमंडलीय अस्पताल बनमनखी व धमदाहा के अलावा अमौर में स्थानांतरित करते हुए उसे लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। सीडीओ ने बताया विगत दिनों राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर से पत्र जारी कर कहा गया था कि टीबी के मरीजों को जल्द से जल्द बलगम की जांच हो इसके लिए ट्रूनॉट मशीनों को उपलब्ध कराया जा रहा है। संबंधित अस्पतालों में उसे लगाकर जांच शुरू कर दी जाए। ट्रूनॉट मशीन लग जाने से मात्र दो घण्टे के अंदर टीबी के मरीजों को रिपोर्ट मिल जाएगी। जबकिं पहले दूसरे शहर भेजा जाता था जिस कारण जांच प्रतिवेदन आने में काफ़ी समय लग जाता था।

टीबी मुक्त भारत अभियान को आंदोलन का आकर देने के लिए सामुदायिक सहभागिता जरूरी: सीडीओ

संचारी रोग पदाधिकारी (यक्ष्मा) डॉ महमद साबिर ने बताया अक्सर ऐसा देखा जाता है कि टीबी के मरीज गरीब परिवार के बीच से ही आते हैं। कुपोषित व्यक्तियों या बच्चों में सबसे ज्यादा देखने को मिलता है। क्योंकि अगर कोई एक व्यक्ति टीबी से ग्रसित हो गया तो सभी लोग एक छोटी सी झुग्गी झोपड़ी में ही रहते हैं जिस कारण एक दूसरे में टीबी का संक्रमण फैल जाता है। खान-पान सही समय से नहीं  होने के कारण शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। जिस कारण टीबी के मरीज़ों की संख्या बढ़ जाती हैं। इसके साथ ही अत्यधिक भीड़ भाड़ वाला इलाका, कच्चे मकान, घर के अंदर प्रदूषित हवा, प्रवासी मजदूर, डायबिटीज से ग्रसित व्यक्ति, एचआईवी संक्रमित, धूम्रपान भी टीबी के मुख्य कारण होते हैं। टीबी मुक्त भारत अभियान को आंदोलन का आकर देने के लिए सामुदायिक सहभागिता जरूरी है। इस अभियान को सफ़ल बनाने के लिए सबसे पहले हम सभी को जागरूक होना पड़ेगा। सरकार की ओर से टीबी के मरीज़ों को इलाज में किसी भी तरह का कोई खर्च नहीं आता है। यह बिल्कुल ही मुक्त में किया जाता है। जिस गांव या मुहल्ले में टीबी के मरीज ज्यादा हैं वैसे गांवों को चिह्नित कर ज्यादा से ज्यादा बलगम की जांच कराये जाने की आवश्यकता है।

नशा का सेवन करने से दवा का प्रभाव हो जाता है कम, पौष्टिक आहार लेना जरूरी: डीपीएस

वहीं यक्ष्मा विभाग के डॉट प्लस समन्वयक (डीपीएस) राजेश कुमार शर्मा ने बताया टीबी के मरीज़ों की जांच ट्रूनॉट मशीन से करने के बाद संक्रमण होने की जानकारी मिल जाती है। इसके बाद पुनः एक बार फिर से बलगम जांच की जाती है जिसमें यह पता चलता है कि टीबी का संक्रमण साधारण रूप में है या गंभीर रूप में (एमडीआर) है। साधारण मरीज़ों को 6 महीने तक लगातार दवा का सेवन करना पड़ता है। जबकि एमडीआर के मरीज़ों को 9 महीने से लेकर 11 महीने तक या फ़िर 18 महीनों तक लगातार दवा का सेवन करना जरूरी होता है। इस बीच मरीज़ों को समय-समय पर विभाग द्वारा सुधार होने की जानकारी लेने के लिए गृह भ्रमण किया जाता है। टीबी संक्रमण से ग्रसित मरीज़ों को पौष्टिक आहार लेना सबसे ज्यादा जरूरी होता है। क्योंकि संक्रमण के समय मरीजों की स्थिति काफ़ी कमजोर हो जाती है। इसके साथ ही उपचार के समय किसी भी परिस्थिति में नशा का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि नशा का सेवन करने से दवा का प्रभाव कम हो जाता है। ट्रूनॉट मशीन से टीबी संक्रमण की जांच के लिए संबंधित कर्मियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।