राष्ट्रनायक न्यूज

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जानिए, ई-रुपी क्या है और क्या-क्या होंगे इसके फायदे?

राष्ट्रनायक न्यूज।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने और इसके तहत होने वाले लेन-देन को सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से पिछले सात वर्षों में कई क्रांतिकारी व युगान्तकारी कदम उठा चुके हैं। डिजिटल पेमेंट सिस्टम “ई-रूपी” उनमें से एक और बिल्कुल नया है। यह सोमवार को भारत में एक नया डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म के रूप में लॉन्च हुआ है। इसके लिए लोगों को इंटरनेट बैंकिंग या कार्ड आदि की जरूरत नहीं होगी। पीएम मोदी ने इसे लोगों तक सरकारी सेवाओं का फायदा पहुंचने के लिए लॉन्च किया है। यह देश की अपनी डिजिटल करेंसी के रूप में भारत का पहला कदम है। डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पीएम नरेंद्र मोदी ने सोमवार को शाम 4:30 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ई-वाउचर-बेस्ड डिजिटल पेमेंट सॉल्यूशन ई-रुपी को लॉन्च किया। यह एक प्रीपेड ई-वाउचर है, जिसे नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन आॅफ इंडिया यानी एनपीसीआई ने विकसित किया है। इस प्लेटफॉर्म को नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन आॅफ इंडिया (एनपीसीआई) ने वित्तीय सेवा विभाग, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के साथ मिलकर तैयार किया है।

डिजिटल पेमेंट सॉल्युशन ई-रुपी को लॉन्च करने का मुख्य उद्देश्य है आॅनलाइन पेमेंट को ज्यादा आसान और सुरक्षित बनाना। यह सिस्टम पर्सन-स्पेशिफिक और पर्पज स्पेशिफिक होगा। ई-रूपी के जरिए बिना किसी फिजिकल इंटरफेस के सर्विसेज उपलब्ध कराने वाले को बेनेफिशयरीज व सर्विसेज प्रोवाइडर्स के साथ कनेक्ट कराया जा सकेगा। ई-रुपी एक कैशलेस और कॉन्टैक्टलेस साधन है। यह एक क्यूआर कोड या एसएमएस स्ट्रिंग-बेस्ड ई-वाउचर है, जिसे लाभार्थियों के मोबाइल पर भेजा जाता है। ये सर्विस प्रोवाइडर को बिना किसी मध्यस्थ की भागीदारी के समय पर पेमेंट करेगी। ई-रूपी एक कैशलेस और डिजिटल पेमेंट्स सिस्टम मीडियम है जो एसएमएस स्ट्रिंग या एक क्यूआर कोड के रूप में बेनेफिशयरीज को प्राप्त होगा. यह एक तरह से गिफ्ट वाउचर के समान होगा जिसे बिना किसी क्रेडिट या डेबिट कार्ड या मोबाइल ऐप या इंटरनेट बैंकिंग के खास एस्सेप्टिंग सेंटर्स पर रिडीम कराया जा सकेगा।

  • तो आइये, इससे लोगों को होने वाले दस बड़े व महत्वपूर्ण फायदों के बारे में जानते हैं:- पहला, ई-रुपी एक कैशलेस और कॉन्टैक्टलेस डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म है। दूसरा, सेवा प्रायोजकों और लाभार्थियों को डिजिटल रूप से जोड़ता है। तीसरा, ई-रुपी के जरिए विभिन्न कल्याणकारी सेवाओं की लीक-प्रूफ डिलीवरी सुनिश्चित करता है। चौथा, यह एक क्यूआर कोड या एसएमएस स्ट्रिंग-आधारित ई-वाउचर है, जो लाभार्थियों के मोबाइल पर पहुंचाया जाता है। पांचवां, इस निर्बाध एकमुश्त पेमेंट सिस्टम के उपयोगकर्ता सेवा प्रदाता पर कार्ड, डिजिटल भुगतान ऐप या इंटरनेट बैंकिंग एक्सेस के बिना वाउचर को भुनाने में सक्षम होंगे। छठा, ई-रुपी सेवाओं के प्रायोजकों को बिना किसी फिजिकल इंटरफेस के डिजिटल तरीके से सेवाओं के प्रायोजकों को लाभार्थियों और सर्विस प्रोवाइडर्स के साथ जोड़ता है। सातवां, ये सर्विस यह भी सुनिश्चित करता है कि लेन-देन पूरा होने के बाद ही सेवा प्रदाता को भुगतान किया जाए। आठवां, प्री-पेड प्रकृति का होने के कारण, यह सेवा प्रदाता को बिना किसी मध्यस्थ की भागीदारी के समय पर भुगतान का आश्वासन देता है। नौवां, नियमित भुगतान के अलावा, इसका उपयोग आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, उर्वरक सब्सिडी जैसी योजनाओं के तहत मातृत्व और बाल कल्याण योजनाओं, टीबी उन्मूलन कार्यक्रमों, दवाओं और निदान और खाद सब्सिडी इत्यादि योजनाओं के तहत सर्विस उपलब्ध कराने के लिए भी किया जा सकेगा। दसवां, इन डिजिटल वाउचर का उपयोग निजी क्षेत्र द्वारा अपने कर्मचारी कल्याण और कॉपोर्रेट सामाजिक जिम्मेदारी कार्यक्रमों के लिए भी किया जा सकता है।
  • डिजिटल करेंसी से बिल्कुल अलग है ई-रूपी: केंद्र सरकार का केंद्रीय बैंक “आरबीआई” एक डिजिटल करेंसी लाने की योजना पर काम कर रही है। ई-रुपी की लांचिंग से देश में डिजिटल पेमेंट्स इंफ्रा में डिटिजल करेंसी को लेकर कितनी क्षमता है, इसका आकलन किया जा सकेगा। समझा जाता है कि इस समय जिस रुपये को हम सभी लेन-देन के लिए इस्तेमाल करते हैं, वह ई-रूपी के लिए अंडरलाइंग एसेट का काम करेगा। वास्तव में, ई-रूपी की जो विशेषताएं हैं, वह इसे वर्चुअल करेंसी से भिन्न बनाती है। वस्तुत:, यह एक तरह से वाउचर आधारित पेमेंट सिस्टम की तरह है। ई-रुपी को लॉन्च करने का मुख्य उद्देश्य ऑनलाइन पेमेंट को ज्यादा आसान और सुरक्षित बनाना है।
  • ई-रूपी प्रणाली अंतर्गत इस तरह से इश्यू होंगे वाउचर: ई-रुपी सिस्टम को एनपीसीआई ने अपने यूपीआई प्लेटफॉर्म पर बनाया है। सभी बैंक ई-रूपी जारी करने वाले एंटिटी होंगे। कहने का मतलब यह कि बैंक ही इसे जारी करेंगे। किसी भी कॉरपोरेट या सरकारी एजेंसी को व्यक्ति विशेष (स्पेशिफिक पर्सन्स) को और किस उद्देश्य के साथ भुगतान किया जाना है, इसे लेकर सहयोगी सरकारी या निजी बैंक से संपर्क करना होगा। खास बात यह कि इस व्यवस्था के तहत बेनेफिशयरीज की पहचान मोबाइल नंबर के जरिए होगी और सर्विस प्रोवाइडर को बैंक एक वाउचर आवंटित करेगा, जो किसी खास शख्स के नाम पर होगा। जो सिर्फ उसी शख्स को डिलीवर होगा, ताकि किसी प्रकार की अनियमितता नहीं हो पाए।
  • कल्याणकारी सेवाओं की लीक-प्रूफ डिलीवरी सुनिश्चित करने की दिशा में है एक क्रांतिकारी पहल: पीएमओ द्वारा उम्मीद की जा रही है कि यह कल्याणकारी सेवाओं की लीक-प्रूफ डिलीवरी सुनिश्चित करने की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल हो सकती है। इस योजना के महत्व का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने कल रविवार को ही अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर इसकी लॉन्चिंग की जानकारी दी थी। उन्होंने बताया था कि इसके तहत लाभार्थी बिना किसी बिचौलिया के सीधे अपने मोबाइल नंबर से जुड़े बैंक अकाउंट में पैसे पा सकेंगे। इससे उन्हें मिलने वाले फायदे बिना किसी लीकेज के उन तक पहुंचेंगे।

बताया जाता है कि ई-रुपी प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल केंद्र सरकार की कई सामाजिक कल्याण योजनाओं में हो सकता है। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, फर्टिलाइजर सब्सिडी जैसी योजनाओं के तहत, मदर एंड चाइल्ड वेलफेयर स्कीम्स, टीबी उन्मूलन कार्यक्रमों, दवाओं और निदान के तहत दवाएं और पोषण सहायता देने के लिए योजनाओं के तहत सर्विस देने के लिए भी किया जा सकता है। यहां तक कि निजी क्षेत्र भी अपने कर्मचारी कल्याण और कॉपोर्रेट सामाजिक जिम्मेदारी कार्यक्रमों के हिस्से के रूप में इन डिजिटल वाउचर का इस्तेमाल कर सकते हैं। बता दें कि अमेरिका में एजुकेशन वाउचर्स या स्कूल वाउचर्स का एक सिस्टम है जिसके जरिए सरकार स्टूडेंट्स की पढ़ाई के लिए भुगतान करती है। भारत में भी ऐसा करने की मांग कोरोना काल में उठी है। क्योंकि यह सब्सिडी सीधे माता-पिता को अपने बच्चों को शिक्षित कराने के विशेष उद्देश्य से दिया जाता है। आपको पता होना चाहिए कि अमेरिका के अलावा स्कूल वाउचर सिस्टम कोलंबिया, चिली, स्वीडन और हांगकांग जैसे देशों में भी लागू है। भारतवासी भी मोदी सरकार से कुछ ऐसी ही उम्मीद पाले बैठे हैं, जो देर-सबेर साकार हो सकता है, क्योंकि मोदी हैं तो मुमकिन है, जैसी धारणा लोगों में बलवती है।

कमलेश पांडेय