- गड़खा-मानुपर रोड में मिर्जापुर चौक के समीप रोड पर बह रहा एक फीट पानी
- रामगढ़ा-मिर्जापुर महादलित बस्ती में घुसा गंडकी नदी का पानी, छोटा-छोटा बांध बनाकर ग्रामीण कर रहे है अपनी सुरक्षा
- रामगढ़ा-बसंत चवंर में लगी सैकड़ों एकड़ में लगी फसल बर्बाद, किसानों को भारी नुकसान
- मुड़ा एवं रामगढ़ा-मिर्जापुर में स्लूईस गेट से चवंर में प्रवेश किया गंडकी नदी का पानी, सैकड़ों हेक्टेयर में लगी फसल बर्बाद
- रामगढ़ा-मिर्जापुर में स्लूईस गेट से सटे हुआ कटाव, गंडकी नदी ने बनायी दूसरी मार्ग, गांव व चंवर में फैला पानी
कशिश भारती। राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा(सारण)। छपरा को राजधानी पटना से जोड़ने वाली लाइफ लाइन गड़खा-मानपुर रोड पर बाढ़ का पानी बहने लगा है। रोड पर बह रहे पानी में हीं छोटे-बड़े वाहन चल रहे है। ऐसे में सड़क खराब होने की उम्मीद ज्यादा है। गंगा, घघरा यानी सरयू नदी के जलस्तर में तेजी से हो रहे वृद्धि का सीधा प्रभाव गंडकी नदी पर पड़ती है, इससे गंडकी नदी के जलस्तर में भी वृद्धि होने लगती है। गंडकी नदी के जलस्तर में वृद्धि होने से नदी तटीय गांव के साथ-साथ गड़खा-मापुर रोड पर बाढ़ का पानी बहने लगा है। जानकारी के अनुसार गड़खा-मानुपर रोड में मिर्जापुर चौके समीप रोड पर करीब एक फीट बह रही है। अगर इसी रफ्तार में नदियों के जलस्तर में वृद्धि हुई तो बहुत जल्द हीं छपरा से गड़खा होकर राजधानी को जोड़ने वाले रोड पर वाहनों का परिचालन बंद हो जाएगा। वहीं आस-पास के ग्रामीणों में प्रलयकारी बाढ़ को लेकर दहशत व्याप्त होने लगा है। गंडकी नदी के जलस्तर में वृद्धि होने से रामगढ़ा महादलित बस्ती, मिर्जापुर महादलित बस्ती में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है। जिनके घरों में पानी प्रेवश किया है, वे उच्चे स्थानों पर खुले आसमान के नीचे त्रिपाल एवं टेन्ट लगाकर गुजर-बसर कर रहे है। कोई अधिकारी व जनप्रतिनिधि उनकी सूध लेने अभी तक नहीं आया है। लिहाजा लोग खुद के भरोसे हीं अपनी सुरक्षा में लगे हुए है। ग्रामीणों की माने तो बाढ़ का पानी गांव में प्रवेश करने से जहरीले जन्तुओं का भी डर सताने लगा है।
रामगढ़ा-मिर्जापुर महादलित बस्ती में घुसा गंडकी नदी का पानी, छोटा-छोटा बांध बनाकर ग्रामीण कर रहे है अपनी सुरक्षा
गड़खा प्रखंड के मुख्य नदी गंडकी के जलस्तर में तेजी से वृद्धि हो रही है। जिससे ग्रामीणों में प्रलयकारी बाढ़ का भय सताने लगा है। लोग सरकारी सिस्टम के बजाय खुद से ही बचाव का प्रयास कर रहे है। जानकारी के अनुसार गंडकी नदी के जलस्तर में वृद्धि होने से रामगढ़ा महादलित बस्ती, मिर्जापुर महादलित बस्ती में बाढ़ का पानी फैल गया है। ये पानी फैलकर अब रामगढ़ा मइया स्थान के समीप पहुंच गया है, जहां से गड़खा-मानपुर रोड से बहते हुए चंवर में पानी जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि करीब चार-पांच दिन पहले ही गांव में पानी प्रवेश कर गया। पानी प्रवेश करते हीं अन्य जगहों पर पानी के बहाव और फैलाव को रोकने के लिए लोग इक्कठा होकर छोटे-छोटे बांध बनाये है, ताकि पानी चारों तरफ नहीं फैले और आवागमन हो सके। इन छोटे-छोटे बांधो की रात-दिन निगरानी की जा रही है। जैसे-जैसे जलस्तर बढ़ रहा है, वैसे-वैसे इन बांधों को भी उच्चा किया जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर एका-एक जलस्तर में वृद्धि हुई तो घरों में पानी प्रवेश कर जाएगा। जिससे घर छोड़कर उच्चे स्थानों पर शरण लेना पड़ेगा।
रामगढ़ा-बसंत चवंर में लगी सैकड़ों एकड़ में लगी फसल बर्बाद, किसानों को भारी नुकसान
गंडकी नदी के जलस्तर में वृद्धि होने से सबसे अधिक क्षति किसानों को हुआ है। रामगढ़ा, मिर्जापुर, मिर्जापुर ब्रह्मस्थान, मुड़ा समेत कई चंवर में बाढ़ का पानी फैलने से सैकड़ों एकड़ में लगी फसल बर्बाद हो गया है। किसानों का कहना है कि खरीफ फसल के अंतर्गत धान, मक्का, मसूरी एवं खरीफ सब्जी के तहत बैगन, हरी मिर्च, बरबट्टी सहित विभिन्न प्रकार की खेती किये थे। लेकिन बाढ़ का पानी फैलने सभी फसले बर्बाद हो गया है। इससे किसानों को काफी आर्थिक क्षति हुआ है। किसानों की माने तो कृषि विभाग के अधिकारी व कर्मी बाढ़ से फसलों की हुई क्षति का आंकलन करने के लिए अभी तक नहीं आये है।
मुड़ा एवं रामगढ़ा-मिर्जापुर में स्लूईस गेट से चवंर में प्रवेश किया गंडकी नदी का पानी, सैकड़ों हेक्टेयर में लगी फसल बर्बाद
गंगा नदी में हो रहे जलस्तर में वृद्धि का प्रभाव सीधे तौर पर गंडकी नदी पर पड़ती है। जिसका व्यापक असर गंडक नदी तटीय क्षेत्रों के गांव में पड़ता है। और इसका सीधा असर चवर के इलाके में भी दिखता है। गंडकी नदी के जलस्तर में वृद्धि होने से पानी को नियंत्रित करने के उद्देश्य से गड़खा प्रखंड के मुड़ा एवं रामगढ़ा-मिर्जापुर में स्लूईस गेट बनाया गया है। जरूतर के अनुसार अधिकारियों द्वारा इन गेटों को खोला जाता है। लेकिन इस बार गंडकी नदी में तेजी से जलस्तर में वृद्धि हुई है। जिससे मुड़ा एवं रामगढ़ा-मिर्जापुर स्लूईस गेट से पानी तेजी से चंवर में प्रवेश किया है। जिससे मुड़ा, कुदरबाधा, बसंत, रामगढ़ा, मिर्जापुर सहित विभिन्न गांव के चंवर में बाढ़ का पानी प्रवेश की है। इससे सैकड़ों हेक्टेयर में लगी खरीफ फसल पुरी तरह बर्बाद हो गई है।
रामगढ़ा-मिर्जापुर में स्लूईस गेट से सटे हुआ कटाव, गंडकी नदी ने बनायी दूसरी मार्ग, गांव व चंवर में फैला पानी
गंडकी नदी पर मुड़ा एवं रामगढ़ा-मिर्जापुर में स्लूईस गेट बना हुआ हैं। जलस्तर में वृद्धि होने से इन दोनों स्लूइस गेट से नदी का पानी सीधे चवंर में प्रवेश करती है। जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ता है। इनमें रामगढ़ा-मिर्जापुर में गंडकी नदी के स्लूईस गेट काफी पुराना और जर्जर है और नदी तट से काफी दूरी पर बना है। गंडकी नदी के जलस्तर में वृद्धि होने से पानी के तेज बहाव के स्लुइस गेट पुल के पश्चिम की तरफ से कटाव हो गया है, मिट्टी का कटाव होने से गंडकी नदी अपनी दूसरी मार्ग बनाते हुए रामगढ़ा-मिर्जापुर चंवर की ओर बहने लगती है। तेजी से पानी का बहाव होने के कारण गड़खा-मानपुर रोड पर पानी बहने लगती है। ग्रामीणों का कहना है कि रामगढ़ा-मिर्जापुर स्लूईस गेट का मेन्टेन्नस नहीं होने के कारण जर्जर स्थिति में है। साथ हीं स्लूईस गेट के समीप कटाव रोकने के लिए कोई कारगर कदम सरकारी विभाग द्वरा नहीं उठाया जाता है। जिससे प्रत्येक वर्ष गंडकी नदी के कटाव से स्लूईट गेट से सटे दूसरी नदी निर्मित हो गई है। ऐसे में स्लूईस गेट अस्तित्वहीन हो गया है। वहीं स्लूईस गेट से आस-पास के नीजि भूमि भी नदी में समा रही है। इससे गंडक विभाग के अधिकारियों के कार्यशैली पर बड़ा ही यक्ष प्रश्न उठने लगा है। जिसे आम लोगों को समझने में ज्यादा परेशानी नहीं होगी।
अभी तक किसी भी अधिकारियों ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का नहीं लिया जायजा, बाढ़ पीड़ितों में आक्रोश
गड़खा प्रखंड में गंडकी नदी के बाढ़ का पानी गांव एवं चंवर में प्रवेश करने के बाद भी अभी तक कोई अधिकारी जायजा लेने नहीं आये है। इससे बाढ़ पीड़ित ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त है। ग्रामीणों की माने तो सबसे अधिक परेशानी मिर्जापुर ब्रह्मस्थान एवं रामगढ़ा गांव के महादलित परिवारों को हो रहा है। चारों तरफ बाढ़ के पानी से घीर गये है। लोग पानी से होकर अपने जरूरतों को पूरा करने के लिए आ-जा रहे है। गड़की नदी से निकले नहर में पानी का धार काफी तेज है। इससे डूबने का भी भय सता रहा है। और अधिकारी व जनप्रतिनिधि इन महादलित बस्ती गांव में जाना भी उचित नहीं समझ रहे है। ऐसे में अगर कोई भी अप्रिय घटना होती है तो किसी भी आंदोलन से इनकार नहीं किया जा सकता है।


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