राष्ट्रनायक न्यूज

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परिस्थितियों से समझौता नहीं बल्कि कर्म करना और फर्ज निभाना होता हैं अपना धर्म

रंजीत भोजपुरिया। राष्ट्रनायक न्यूज।

छपरा नगर (सारण)। आजादी के जश्न को जन-जन तक पहुंचाने और समाज हर समुदाय को शामिल कराने के उद्देश्य से सरकार द्वारा विगत कई वर्ष पहले एक पहल की गई थी जिसमें समाज के अंतिम व्यक्ति तक सरकार की बात पहुंचे और आजादी के महत्व की बात कही जा सके। क्योंकि देश के इस महापर्व (स्वतंत्रता या गणतंत्र दिवस) के अवसर पर जनसमुदाय को शामिल कराया जाए। देश को कैसे मिली आज़ादी इसके महत्व को समाज के लोगों तक इसकी जानकारी पहुंच सकें। लेकिन सरकार के ही कुछ नुमाइंदे अधिकारियों की शिथिलता के कारण यह महापर्व केवल खानापूर्ति रह गई हैं।

नगर निगम छपरा के वार्ड संख्या-02 के दलित बस्ती जो कि बनियापुर रोड के समीप अवस्थित हैं। इसमें प्रतिवर्ष तिरंगा  फहराया जाता है। जिसमें ज़िला प्रशासन की ओर से एक अधिकारी, मंत्री या स्थानीय विधायक इस कार्यक्रम में शामिल होते रहे है। इस वर्ष भी 75 वीं स्वतंत्रता दिवस समारोह के लिए जिला प्रशासन द्वारा तैयार सूची के अनुसार श्यामचक मुहल्ले के दलित बस्ती में सारण के जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक द्वारा संयुक्त रूप से झण्डातोलन कार्यक्रम का आयोजन हुआ था।जिसके लिए दो दिन पूर्व जिले के वरीय अधिकारियों द्वारा स्थल का भौतिक निरीक्षण भी किया गया था। लेकिन स्वतंत्रता दिवस के पूर्व संध्या पर पहले से चयनित स्थल के बदलें किसी और स्थल का चयन कर लिया गया। स्थल बदलने का कारण जगह कम और गंदगी ज्यादा होने की बात कही गई। लेकिन यह भी कहा गया कि आपलोग तैयारी करें हमलोग देखते है। इतना कहते हुए स्थानीय प्रशासन के अधिकारी चलते बने।

हालांकि इस दौरान स्थानीय विकास मित्र  अभय आनन्द भी मौजूद थें जो प्रतिवर्ष इसी स्थल पर झंडा फहराने को लेकर काफी उत्साहित रहते है और अपने निजी कोष से आर्थिक सहयोग भी करते है। पूर्व में नगर परिषद के अधिकारी का आना होता था जो झंडा व मिठाई लेकर आते थे फिर झंडा फहराने मिठाई बांटने के बाद शाम में झंडा वापस लेकर चले जाते थे। ग्रामीणों के मन में यही होता था कि सरकार इसके लिए फंड देती होगी तभी यह लोग इतना करते है लेकिन अधिकारियों की मानें तो ऐसा कुछ नहीं होता है बस एक आदेश है उसका पालन सभी करते है। यह सिलसिला कुछ वर्षों तक चला फिर धीरे-धीरे यह आयोजन की सारी जिम्मेदारी झंडा फहराने के लिए चयनित दलित समाज के वृद्ध चंद्रिका राम के घरवालों पर आ गया। उन्होंने इसे निभाया भी और एक परम्परा के तौर पर अपना लिया। उनका मानना है कि अब यह आयोजन हर वर्ष होगा। कोई आए या ना आए तब भी इसकी तैयारी की जाएगी। झंडा फहराया जाएगा और मिठाईयां बांटी जाएगी। क्योंकि यह एक राष्ट्रीय महापर्व है और इस योजना का उद्देश्य भी शायद यही है।

इस वर्ष जहां गणतंत्र दिवस के दिन छपरा के भाजपा विधायक डॉ सीएन गुप्ता, सदर प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी व अन्य अधिकारी शामिल हुए तो स्वतंत्रता दिवस समारोह के लिए जिलाधिकारी और एसपी महोदय के आगमन को लेकर काफी उत्साहित होकर मुहल्ले के बच्चो ने जमकर तैयारी कर रखी थी। विपरीत परिस्थितियों के बावजूद सभी ने मिलकर जिलाधिकारी के स्वागत में आंखे बिछा दी। लेकिन झंडा फहराने का जब समय आया तो उन्हें निराश होना पड़ा। क्यूंकि नहीं जिलाधिकारी पहुंचे ना ही एसपी साहब हालांकि जिला प्रशासन की ओर से जिला सांख्यिकी अधिकारी शामिल हुए। वावजूद बच्चे बूढ़े महिलाएं सभी इस कार्यक्रम में शामिल हुए लेकिन वह उत्साह नहीं दिखा जिसकी उन्होंने तैयारी कर रखी थी।

खैर, जो भी हो मुहलेवासियो का यह कहना ग़लत नहीं “उन्होंने अपना फर्ज निभाया सीमित संसाधनों में ही झंडा फहराया। एक टीस रह गई जिसके स्वागत में हमने आंखे बिछाया वो शख्स ना आया”  दलित बस्ती में आने से पता नहीं लोग क्यों कतराते है कभी दिल से लगा कर देखो मरते दम तक साथ निभाते है। हक व हकूक के लिए लड़ाई लड़ना या उसके लिए आवाज उठाना शायद यही गुनाह है। तो फ़िर यह संघर्ष हमेशा रहेगा। क्योंकि हम मेहनत करके दो रोटी खाने वाले है।

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