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तालिबान से जान बचाने के लिए इधर-उधर भटक रहे अफगानिस्तान की महिला फुटबॉल टीम

काबुल, (एजेंसी)। अफगानिस्तान में महिला फुटबॉल टीम की सदस्यों को तालिबान से अपनी जान बचाने के लिए बार-बार अपना स्थान बदलना पड़ रहा है। हालांकि, उन्हें और उनके परिवार को वहां से निकालने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयास जारी हैं। अफगान राष्ट्रीय फुटबॉल टीम की इन सदस्यों और उनके परिवार के सदस्यों तथा फुटबॉल फेडरेशन के कर्मचारियों को अफगानिस्तान से बाहर निकालने के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों को पिछले सप्ताह तब गहरा झटका लगा था जब काबुल हवाई अड्डे पर एक आत्मघाती हमला हुआ जिसमें 13 अमेरिकी सैनिक और 169 अफगान नागरिक मारे गए थे। अब इन लोगों को इस बात की चिंता है कि क्या वे लोग अफगानिस्तान से सुरक्षित बाहर निकल पाएंगे ?

अमेरिकी कांग्रेस के पूर्व ‘चीफ आॅफ स्टाफ’तथा तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के कार्यकाल के दौरान व्हाइट हाउस के अधिकारी के पद पर सेवाएं दे चुके रॉबर्ट मैकक्रेरी ने बताया कि वे अविश्वसनीय युवा महिलाएं हैं जिन्हें खेल के मैदान पर होना चाहिए था, लेकिन इस खेल के कारण ही वह एक बेहद बुरी स्थिति में हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमें उन्हें बचाने, वहां से सुरक्षित निकालने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए।’’ अफगान महिला टीम का गठन 2007 में किया गया था और उसके अधिकतर सदस्य पिछले सप्ताह ऑस्ट्रेलिया पहुंच गए थे।

कनाडा में रहने वाली अफगानिस्तान महिला राष्ट्रीय टीम की कप्तान फरखुंडा मुहताज ने कहा ‘‘ लेकिन 14 से 16 वर्षीय लड़कियों और उनके परिवार को अब भी तालिबान निशाना बना सकता है। सिर्फ इसलिए नहीं कि तालिबान के शासन में महिलाओं तथा लड़कियों को खेल खेलने से मना किया जाता है, बल्कि इसलिए भी कि वे लड़कियों के अधिकारों की पैरोकार और उनके समुदायों की सक्रिय सदस्य थीं। मुहताज लगातार उन लड़कियों के सम्पर्क में है और उनसे संयम रखने को कहती हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ वे परेशान हैं। जिस स्थिति में वे हैं उससे वे नाउम्मीद हैं।’’ मैकक्रेरी ने कहा कि मिशन ‘आॅपरेशन सॉकर बॉल्स’ अन्य देशों के साथ मिलकर इस उम्मीद में जारी है, कि लड़कियों को सुरक्षित अमेरिका लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि आॅस्ट्रेलिया, फ्रांस और कतर ने मदद करने की इच्छा जाहिर की है। उन्होंने साथ ही तालिबान से भी समूह को बाहर निकलने की राह आसान करने की अपील की, जिससे सद्भावना उत्पन्न होगी।

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