राष्ट्रनायक न्यूज।
एक जमाना था जब लोग खराब सड़कों की अक्सर शिकायतें करते फिरते थे, लेकिन पिछले कुछ सालों में सरकार ने सड़कों के निर्माण और मरम्मत पर बेहद तेजी से ध्यान दिया है। आपने गौर किया होगा तो पाया होगा कि देश के विभिन्न क्षेत्रों चाहें वह शहर हो या ग्रामीण, हर जगह सड़कें काफी बेहतर कंडीशन में आपको मिल मिलेंगी। इतना ही नहीं देश के प्रत्येक हिस्से को हाईवे और एक्सप्रेस वे से कनेक्ट करने की नीति पर भी सरकार तेजी से काम कर रही है। इसके अंतर्गत तमाम बड़े-बड़े एक्सप्रेसवे और नेशनल हाईवे तेजी से बनाए जा रहे हैं।
वहीं दूसरी तरफ गौर करने वाली बात यह है कि जितनी तेजी से सड़कों की स्थिति सुधर रही है और लोग आसानी से एक्सप्रेस-वे और हाईवे पर सफर तय करने लग गए हैं, उतनी ही तेजी से लोगों के अंदर स्पीड को लेकर दिलचस्पी बढ़ी है। इन सड़कों पर तेज रफ्तार में गाड़ियों का परिचालन होना आम बात हो गयी है। वहीं आए दिन एक्सीडेंट के की खबरें भी आपको सुनने को मिलती होंगी। गौर करने वाली बात यह है कि कुछ आंकड़े यह बताते हैं कि ज्यादातर एक्सीडेंट हाई स्पीड में गाड़ी चलाने की वजह से होती हैं। ऐसे में कई सारे रिसर्च यह साबित कर चुके हैं, कि अगर समय रहते ब्रेक पर कमांड पा लिया जाए तो 99% एक्सीडेंट होने की सम्भावना कम हो जाते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने सभी चार पहिया गाड़ियों के लिए अइर टेक्नोलॉजी को अनिवार्य कर दिया है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या है एबीएस सिस्टम और किस प्रकार इससे एक्सीडेंट कम हो सकते हैं?
आइए जानते हैं एबीएस सिस्टम के बारे में!
अइर का फुल फॉर्म है ‘एंटी लॉक ब्रेकिंग सिस्टम’ इसकी मदद से आप गाड़ी पर फुल कमांड पा सकते हैं। एबीएस टेक्नोलॉजी का सबसे पहले प्रयोग 1929 में किया गया वह भी एयरक्राफ्ट के लिए। साल 1966 में पहली बार एबीएस टेक्नोलॉजी किसी कार में इस्तेमाल किया गया। हालांकि समय बीतने के साथ-साथ इस टेक्नोलॉजी को और सुदृढ़ किया गया और 1980 में पूर्ण रूप से लोगों के सामने आने लग गई। कहा जा रहा है कि एबीएस लगी गाड़ी बिना एबीएस वाली गाड़ी के मुकाबले 36% तक ज्यादा एक्सीडेंट से सुरक्षित है।
कैसे करता है अइर सिस्टम काम?
आपको साधारण भाषा में समझाएं तो अपनी कार में एबीएस नहीं लगाए हैं और आपकी कार 100 की स्पीड में चल रही है, ऐसे में अचानक से आपके सामने कोई आ जाता है और आप ब्रेक लगाते हैं तो उस वक्त या तो आपकी गाड़ी फिसलती हुई आगे तक जाएगी, या फिर तेज रफ़्तार में ब्रेक लगाने से आपकी गाड़ी पलट भी सकती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि ब्रेक लगाते ही बिना अइर वाली गाड़ी के पहिये जाम हो जाते हैं और गाड़ी फुल स्पीड में होने होने की वजह से फिसलने लग जाती है।
वहीं अगर आप एबीएस टेक्नोलॉजी से युक्त गाड़ी चला रहे हैं और 100 की स्पीड में आपको अचानक से ब्रेक लगाना पड़े तो एबीएस सिस्टम आपके गाड़ी के पहिये को जाम नहीं करता है, बल्कि चारों पहिए लगे सेंसर एक्टिव हो जाते हैं और गाड़ी के भार और स्पीड के हिसाब से चारों पहियों पर अलग-अलग प्रेसर डालकर स्पीड को कम करने की कोशिश करते हैं। एबीएस सिस्टम की वजह से कम दूरी में ही गाड़ी की स्पीड को कंट्रोल में किया जा सकता है, ऐसे में आप आसानी से समय रहते अपनी गाड़ी की स्पीड को कम कर पाते हैं और गाड़ी को पूरी तरीके से रोक पाते हैं या फिर साइड से भी कार को बैलेंस करके निकाल पाते हैं। आपको बता दें कि एबीएस सिस्टम में एक स्पीड सेंसर लगा होता है जो चारों पहियों पर निगरानी करता है और जैसे ही आप तेज ब्रेक लगाते हैं, तो सेंसर कंट्रोलर डिवाइस के पास डाटा भेजना शुरू कर देता है और यह सेंसर कंट्रोल डिवाइस चारों पहियों में लगे स्पीड
Valve गाड़ी में लगे Hydraulic Control Unit को एक्टिव कर देते हैं और चारों गाड़ी के काम करना शुरू करते हैं बिना फिसले बिना पहिया जाम हुए आपके स्पीड में पूरी तरीके से कम कर देते हैं। कुल मिलाकर कार दुर्घटना के दौरान आप गाड़ी की स्टीयरिंग को आसानी से कंट्रोल कर सकते हैं। और एक्सीडेंट होने से पहले आप अपने गाड़ी को काबू कर सकते हैं।
विंध्यवासिनी सिंह


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