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गुजरात में 12 साल तक सीएम रहे मोदी, अब उनके बाद कोई मुख्यमंत्री आखिर टिक क्यों नहीं पा रहा?

नई दिल्ली, (एजेंसी)। गुजरात के 12 सालों तक मुख्यमंत्री पद को संभालने वाले नरेंद्र मोदी जबसे दिल्ली में प्रधानमंत्री पद पर आसीन हुए हैं, तब से राज्य की राजनीति में मुख्यमंत्री को लेकर नए-नए प्रयोग किए जा रहे हैं। नरेंद्र मोदी को जब गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया गया था तब वह भाजपा के लिए संगठन में काम करते थे। हालांकि तब से लेकर 2014 तक वह लगातार गुजरात के मुख्यमंत्री रहे। सबसे बड़ी बात यह थी कि गुजरात का मुख्यमंत्री बनने से पहले मोदी कभी मंत्री भी नहीं रहे थे। बावजूद इसके वह गुजरात की राजनीति में सबसे परिपक्व और मजबूत मुख्यमंत्री बनकर उभरे। लेकिन नरेंद्र मोदी के दिल्ली आने के बाद गुजरात में दो मुख्यमंत्री बने। लेकिन दोनों लंबे समय तक नहीं टिक पाए। फिलहाल भूपेंद्र पटेल को गुजरात का नया मुख्यमंत्री बनाया गया है। भूपेंद्र पटेल से पहले गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी थे। जबकि विजय रूपाणी से पहले और नरेंद्र मोदी के बाद गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल थी जो वर्तमान में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल हैं। आपको हम बताते हैं कि आखिर नरेंद्र मोदी के बाद गुजरात में कोई मुख्यमंत्री टिक क्यों नहीं पा रहा है?

नरेंद्र मोदी के आगे सभी फीके: नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गुजरात में जो कामकाज हुए वह काफी सराहनीय रहा। इसके साथ ही नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री रहते हुए राज्य पर अपनी जबरदस्त पकड़ मजबूत की और दमदार नेतृत्व भी दिया। वह गुजरात के एक मजबूत नेता के तौर पर उभरे। वर्तमान में देखें और ना ही आनंदीबेन पटेल और ना ही विजय रूपाणी कुछ इस तरह का प्रभाव गुजरात में दिखा पाए।

विरोधियों को साधने की ताकत: नरेंद्र मोदी की सबसे बड़ी ताकत यह रही कि वह गुजरात में सभी को साथ लेकर चलने में कामयाब रहे। मोदी जितना अपनी पार्टी को एकजुट रखने में कामयाब रहे उतना ही वह विरोधियों को भी साधने में सफल रहे। मोदी की यह काबिलियत बाद में बने मुख्यमंत्रियों में नहीं दिखी। आनंदीबेन पटेल या फिर विजय रूपाणी पर विरोधियों ने प्रहार किए तो वह उतने मजबूती के साथ पलटवार नहीं कर सके।

पाटीदार: राज्य में नरेंद्र मोदी के बाद मुख्यमंत्रियों के बदलने में पाटीदार आरक्षण आंदोलन का भी जबरदस्त असर रहा। दरअसल, राज्य में 20% जनसंख्या पाटीदारों की है। पूर्वर्ती मुख्यमंत्री इस चुनौती को सही से हैंडल करने में कामयाब नहीं हो सके। पाटीदार भाजपा का वोट बैंक रहा है। ऐसे में भूपेंद्र पटेल के जरिए भाजपा उन्हें साधने की कोशिश कर रही है। गुजरात में दिसंबर 2022 में चुनाव हो सकते हैं।