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पोषण को बढ़ावा देने के लिए बच्चों का कराया गया अन्नप्राशन

  • 6 माह बाद स्तनपान के साथ शिशु को दें ऊपरी आहार:  सीडीपीओ
  • महिलाओं को दी गई अनुपूरक आहार की जरूरत सम्बधी जानकारी:
  • कृमि मुक्ति के लिए बच्चों को दी गई एल्बेंडाजोल:

पूर्णिया, 20 सितंबर।

पूरे सितंबर माह को पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है। इस दौरान सभी लोगों को सही पोषण की जानकारी देने के साथ ही उसके उपयोग करने के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है। आंगनवाड़ी केन्द्रों में हर माह की तरह इस माह भी सभी आंगनवाड़ी केन्द्रों पर 6 माह के शिशुओं का अन्नप्राशन कराया गया। इस दौरान सभी आंगनवाड़ी सेविकाओं द्वारा छः माह के बच्चों को खीर खिलाकर उनका अन्नप्राशन करवाया गया। अन्नप्राशन दिवस की जानकारी देते हुए जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (डीपीओ) राखी कुमारी ने कहा कि बच्चों में कुपोषण को दूर करने के लिए उन्हें सही पोषण दिया जाना जरूरी है। पोषण के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए पूरे सितम्बर माह को पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है। इस दौरान अलग-अलग गतिविधियों का आयोजन कर लोगों में भी पोषण के प्रति जागरूकता लाई जा रही है। सामान्य दिनों में भी आंगनवाड़ी केन्द्रों पर सेविकाओं द्वारा शिशुओं को पोषण की जानकारी दी जाती है। लोगों को अपने बच्चों के सही स्वास्थ्य के लिए उसका उपयोग करना चाहिए।

6 माह बाद स्तनपान के साथ शिशु को दें ऊपरी आहार: सीडीपीओ

पूर्णिया पूर्व (ग्रामीण) की आईसीडीएस सीडीपीओ गुंजन मौली ने कहा कि 6 माह बाद स्तनपान के साथ-साथ शिशु को अनुपूरक आहार भी दिया जाना चाहिए। स्तनपान के अतिरिक्त दिन में 5 से 6 बार शिशु को सुपाच्य खाना देना चाहिए। शिशु को मल्टिंग आहार (अंकुरित साबुत आनाज या दाल को सुखाने के बाद पीसकर) दें, क्योंकि माल्टिंग से तैयार आहार से शिशुओं को अधिक ऊर्जा प्राप्त होती है। न खाने की स्थिति में भी थोड़ी-थोड़ी ऊपरी आहार शिशु को दिन में कई बार देते रहना चाहिए जिससे कि उसे खाने की आदत लग सके।

महिलाओं को दी गई अनुपूरक आहार की जरूरत सम्बधी जानकारी: महिला पर्यवेक्षिका

केन्द्र में उपस्थित महिलाओं को भी शिशुओं के लिए 6 माह के बाद के ऊपरी आहार की जरूरत के विषय में भी जानकारी दी गयी। पूर्णिया पूर्व (ग्रामीण) की महिला पर्यवेक्षिका मनीषा कुमारी ने बताया कि 6 माह से 9 माह के शिशु को दिन भर में 200 ग्राम सुपाच्य मसला हुआ खाना, 9 से 12 माह में 300 ग्राम मसला हुआ ठोस खाना, 12 से 24 माह में 500 ग्राम तक खाना खिलाया जाना चाहिए। इसके अलावा अभिभावकों को बच्चों के दैनिक आहार में हरी पत्तीदार सब्जी और पीले नारंगी फल को शामिल करना चाहिए. इससे शिशुओं में कुपोषण की सम्भावना नहीं होगी और वह स्वास्थ्य रह सकेंगे।

कृमि मुक्ति के लिए बच्चों को दी गई एल्बेंडाजोल:

अन्नप्राशन दिवस के साथ ही सभी क्षेत्रों में 01 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को कुपोषण के साथ ही रक्त की कमी को दूर करने के लिए कृमि की दवा यानी एल्बेंडाजोल भी खिलाया गया। जानकारी हो कि जिले में 16 से 21 सितंबर तक कृमि मुक्ति कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत जिले के 3425 आंगनवाड़ी केंद्रो पर नामांकित 01 वर्ष से 05 वर्ष तक के बच्चों को एल्बेंडाजोल की दवा खिलाई जा रही है। सभी बच्चों को यह दवा खाना खाने के बाद आशा या आंगनवाड़ी सेविका की उपस्थिति में ही खिलाया जा रहा है। 01 से 02 साल तक के बच्चों को एल्बेंडाजोल की आधी गोली पानी के साथ, 02 से 03 साल के बच्चों को पूरी गोली पानी के साथ तथा 03 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को एक गोली पूरी तरह चबाकर खिलाया जाता है। इसके अलावा सभी लोगों को हाथों की सफाई के विषय में भी जानकारी दी जाती है जिससे कि वह स्वस्थ और सुरक्षित रह सकें।

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