- बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस बच्चों के लिए खतरनाक:
- बच्चे, बड़े सभी स्वच्छता संबंधी व्यवहारों का पालन अवश्य करें:
- शिशुओं के सही खानपान व जरूरी टीकाकरण का रखें ध्यान:
राष्ट्रनायक न्यूज।
गया (बिहार)। जिला में मेननजाइटिस के मामलों को देखते हुए इसकी रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जनजागरूकता लायी जा रही है। मेनिनजाइटिस के लक्षण दिखने पर किसी भी तरह की लापरवाही रोगी के लिए जोखिम भरा होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मेनिनजाइटिस को छिपी हुई बीमारी बताते हुए कहा है कि इसकी पहचान होने में अक्सर भूल होती है और यह रोगी के मृत्यु का कारण बनता है। आमतौर पर यह संक्रमण मलेरिया आदि होने का भ्रम दिलाता है जिसकी वजह से मरीज को सही समय पर आवश्यक इलाज नहीं मिल पाता है। विश्व में शिशु मृत्यु के कुल मामले में 5 प्रतिशत मृत्यु की वजह बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस होता है। मेनिनजाइटिस संक्रमण विशेषकर एक साल से पांच साल से कम उम्र के बच्चों अपना शिकार बनाता है।
जानिये क्या है मेनिनजाइटिस:
मेनिनजाइटिस एक संक्रामक रोग है। यह एक प्रकार का दिमागी बुखार है। मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को ढंककर रखने वाली तीन झिल्लियों के आसपास का तरल पदार्थ संक्रमित होने के कारण यह रोग होता है। यह संक्रमण वायरल, बैक्टीरिया या फंगस की वजह से हो सकता है। संक्रमण से मस्तिष्क के हिस्से में सूजन हो जाता है। छोटे बच्चे इसकी चपेट में अधिक तेजी से आते हैं। बच्चों में अधिकांशत: बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस होता है। मेनिनजाइटिस के लक्षणों की पहचान कर सही समय पर इलाज जरूरी है अन्यथा यह समस्या जटिल हो जाती है। बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस के लक्षणों की शुरुआत 24 से 48 घंटे के बीच हो जाती है। ब्लड टेस्ट व दिमाग का एक्सरे कर रोग की पहचान की जाती है।
मेनिनजाइटिस के लक्षणों की करें पहचान:
बच्चों को तेज बुखार आना, शिशु का लगातार रोते रहना व सुस्त रहना, पूरी तरह नींद नहीं आना व चिड़चिड़ापन, खाना नहीं खाना या स्तनपान नहीं कर पाना, सिर के हिस्से में उभार, शरीर व गर्दन का अकड़ना आदि मेनिनजाइटिस के लक्षण हैं।
स्वच्छता संबंधी व्यवहारों का पालन करें:
मेनिनजाइटिस की रोकथाम के लिए स्वच्छता संबंधी व्यवहारों का जरूर पालन करें। बच्चों व बड़ों को खाने से पहले तथा शौचालय के बाद हाथों को साबुन से धोने की आदत होनी चाहिए। बच्चों को साफ और उबला हुआ पानी ही पीने के लिए दें। उनके खाने में तरल तथा पौष्टिक खाद्य पदार्थ शामिल करें। छोटे बच्चों को माताएं अधिकाधिक स्तनपान करायें तथा दूध पिलाने के लिए बोतल का व्यवहार नहीं करें। शिशुओं की साफ सफाई सहित खाना आदि बनाये जाने के दौरान स्वच्छता बरतें। बच्चों को व्यक्तिगत स्वच्छता की चीजों जैसे ब्रश, जूठा खाना या ऐसी अन्य प्रकार की वस्तुओं को साझा न करने की हिदायत दें। खांसते व छींकते समय मुंह व नाक को रूमाल से ढंकने की आदत दिलायें। ऐसे लोगों के संपर्क में आने से बचें जिन्हें मेनिनजाइटिस हुआ हो।
शिशुओं के जरूरी टीकाकरण समय पर करायें:
शिशु रोग के डॉक्टर डॉ मंजुल विजय ने बताया बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस की रोकथाम टीकाकरण द्वारा किया जा सकता है। इनमें पीसीवी तथा मैनिंगोकोकल कंजुगेट वैक्सीन आदि शामिल हैं। बच्चों को इंफ्लूएंजा टीकाकरण से भी इस प्रकार के संक्रामक बीमारियों से सुरक्षित रखा जा सकता है। शिशुओं के सभी प्रकार के टीकाकरण आवश्यक रूप से ससमय करायें।
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