- शरदकाल की नवरात्रि में समस्त बाधाओं से मुक्त्ति व ऐश्वर्य प्रदान करती हैं देवी भगवती दुर्गा: श्रीश्री शैलेश गुरु
- जिले के विभिन्न पूजा पंडालों में कलश स्थापन को लेकर सभी तैयारियां पूरी
राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा (प्रो अजीत कुमार सिंह)। शारदीय नवरात्रि की तैयारी शक्ति के उपासक भक्तों द्वारा बुधवार को कर ली गई। छपरा शहर सहित एकमा वह आसपास के बाजार के विभिन्न पूजा पंडालों में कलश स्थापन को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। गुरुवार को शुभ मुहूर्त में विभिन्न पूजा पंडालों में कलश स्थापन किया जाएगा। वहीं चर्चित युवा राष्ट्र संत व आध्यात्मिकगुरु और ओम ध्यानयोग आध्यात्मिक साधना सत्संग सेवाश्रम के संस्थापक श्रीश्री शैलेशगुरुजी ने आश्विन शुक्ल पक्ष में मनाई जानें वाली शारदीय नवरात्र के महत्व पर विशेष प्रकाश डालते हुए कहा कि श्री दुर्गासप्तशती में ही देवी भगवती ने कहा हैं कि जो शरद काल की नवरात्रि में मेरी श्रद्धा व विश्वास के साथ पूजा उपासना आराधना करता हैं और मेरे चरित्र का सम्पूर्ण पाठ करता अथवा श्रवण करता हैं, उसे मैं समस्त बाधाओं से मुक्त्त कर धन-धान्य एवं पुत्रादि से सम्पन्न कर समस्त ऐश्वर्य प्रदान करती हूँ। इसमें तनिक भी संसय नहीं हैं।
श्रीश्रीशैलेशगुरुजी ने बताया कि आश्विन शुक्ल पक्ष प्रकृति की मौलिक मातृ शक्ति की आराधना के साथ जन जन में शक्ति का संचार पैदा करने वाला यह पावन पवित्र पखवारा गुरुवार से प्रारम्भ हो रहा हैं। इस बार षष्ठी तिथि का क्षय हो जाने से शारदीय नवरात्र आठ दिन का तथा सम्पूर्ण पक्ष 14 दिन का ही होगा। वैसे तो तिथि का क्षय होना भी शुभकारी नहीं माना जाता हैं। वहीं काशी (वाराणसी) से प्रकाशित पंचाङ्गानुसार इस शारदीय नवरात्र के कलश स्थापन के लिए अभिजित मुहूर्त पूर्वाह्न 11:36 बजे से अपराह्न 12:24 बजे तक का समय श्रेष्ठ व शुभफलकारक होगा। क्योंकि चित्रा नक्षत्र एवं वैधृति योग नवरात्रारम्भ के (घट) कलश स्थापन में वर्जित है। पंचमी और षष्ठी तिथि का पूजा भोग एक ही दिन होंगी। महाअष्टमी का मान व्रत एवं पूजन 13 अक्टूबर यानी बुधवार को होगा। महानवमी 14 अक्टूबर यानी गुरुवार को होगी। वहीं असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक विजयादशमी का प्रसिद्ध पर्व 15 अक्टूबर यानी शुक्रवार को मनाया जायेगा. काशी विश्वनाथ (वाराणसी) से प्रकाशित पंचांगों के अनुसार देवी आगमन और देवी गमन का निर्णय व फलाफल इस प्रकार बताया गया हैं। यदि देवी का आगमन डोली पर होता हैं तो प्रजा विग्रह संक्रमण रोग, हानि आपदा अशुभ। वहीं तुरंग वाहन अर्थात घोड़े पर हो तो राज्यभय और अशुभ फलकारक होता हैं। वहीं देवी का (प्रस्थान) गमन गज वाहन अर्थात हाथी पर हो तो सुख सुवृष्टिकारी व शुभफलकारक होता है।


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