नई दिल्ली, (एजेंसी)। महंगाई को मुद्दा बना कर सत्ता में आई भारतीय जनता पार्टी, पिछले सात सालों में महंगाई पर रोक लगाने में असफल रही है। पिछले डेढ़ साल में उपभोक्ता वस्तूओं की कीमतें आसमान छू रही है हालांकि सरकार अपनी तरफ से महंगाई को काबू करने का पूरा प्रयास कर रही है। अभी हाल ही में सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर केंद्र सरकार के द्वारा लगाए जाने वाले टैक्स को कम कर के जनता को कुछ राहत देने की कोशिश की थी पर कोरोना के बाद खस्ताहाल हो चुकी अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए सरकार को पैसे की जरूरत है। इस लिए सरकार नए साल से कई उपभोक्ता वस्तुओं पर जीएसटी की दर बढ़ाने जा रही है। आपको बता दें कि नए साल से आपको कपड़े, जूते आदी खरीदने के लिए जेब कुछ ज्यादा ढीली करनी होगी। नए साल से यानी एक जनवरी 2022 से कपड़े और जूते की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है। केंद्र सरकार ने इन उत्पादों पर लगने वाले जीएसटी की दरों में इजाफा किया है। ये नई दरें नए वर्ष से लागू हो जाएंगी।
एक जनवरी से सभी प्रकार के टेक्सटाइल पर 12 प्रतिशत के डर से जीएसटी लगेगी। अभी तक यार्न पर 12 और फिनिश्ड फैब्रिक्स पर 5 प्रतिशत जीएसटी थी। सेंट्रल बोर्ड आॅफ इन डायरेक्ट टैक्स ने अधिसूचना जारी कर इस बारे में जानकारी दी है। अभी तक एक हजार रुपए तक के कपड़ों पर 5 फीसदी जीएसटी लगता था। वहीं यार्न यानी धागे पर भी 12 प्रतिशत जीएसटी ही लगेगा। ऐसे में कच्चे कपड़े से लेकर रेडिमेड तक सभी तरह के कपड़ों पर ग्राहकों को ज्यादा कीमत चुकानी होगी। कपड़ों के साथ-साथ फुटवियर यानी जूते-चप्पल की कीमतों में भी तेजी आना तय है। सरकार फुटवियर पर भी एक जनवरी से 12 फीसदी जीएसटी वसूलेगी। इसके अलावा थान, कंबल, बुने धागे, नैपकिन, रूमाल, टेबल क्लॉथ से लेकर तौलिया तक सबकुछ महंगा हो जाएगा। सरकार के इस फैसले के बाद कपड़ों और फुटवियर की कीमतें 15 से 20 फीसदी तक बढ़ने की संभावना है। जीएसटी की बढ़ी हुई दरों का असर सबसे ज्यादा कपड़ो और फुटवियर के निर्यात पर पड़ेगा। मेनमेड फायबर टेक्सटाइल की मांग पर इसका सबसे अधिक असर दिखेगा। मेवाड़ चेम्बर आॅफ कामर्स वित्त मंत्री, टेक्सटाइल मंत्री व प्रधानमंत्री को पत्र लिखा कि जीएसटी 12 फीसदी करने की अधिसूचना वापस ली जाए।
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