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स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर का निधन, ऐसे रही जीवनगाथा  

स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर का निधन गया है. वो 92 साल की थी. आज सुबह मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली. वो पिछले 28 दिनों से अस्पताल में भर्ती थी. कुछ दिन पहले उनकी तबियत में सुधार हुआ था. लेकिन शनिवार को दोबारा उन्हें वेंटिलेटर पर शिफ्ट कर दिया गया था. डॉक्टरों के मुताबिक मल्टी ऑर्गन फेलियर के चलते उनका निधन हो गया.

लता मंगेशकर के जीवन से जुड़ी सभी घटनाओं को पढ़िए…

स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर का आज 92 साल की आयु में दुखद निधन हो गया. भारत की स्वर कोकिला पूरे विश्व में सुरों की साम्राज्ञी थी. हमेशा से यह कहा जा रहा है कि उनकी जैसी आवाज दुनिया भर में न किसी की थी न किसी की होगी. सुरों के मामले में वे महानतम में महानतम थीं. बहुत छोटी सी उम्र में से ही लता दीदी को स्वर कोकिला कहा जाने लगा था. उनका सफर बहुत दिलचस्प रहा है. उनका जन्म 28 सितंबर 1929 को तत्कालीन इंदौर स्टेट में हुआ था. उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर मराठी और कोंकणी संगीतकार थे. इसलिए लता दी का जन्म ही संगीत के साथ हुआ था.

दीनानाथ मंगेशकर की दूसरी पत्नी की संतान

लता मंगेशकर दीनानाथ मंगेशकर की दूसरी पत्नी शेवंती की संतान थीं. दीनानाथ मंगेशकर की पहली पत्नी का नाम नर्मदा था लेकिन उनकी मृत्यु के कारण दीनानाथ मंगेशकर ने उनकी छोटी बहन शेवंती से शादी कर ली थी. दीनानाथ ने अपने सरनेम में मंगेशकर खुद जोड़ा था. वे अपने पैतृक गांव गोवा में मंगेशी को अपना सरनेम बना लिया. लता दीनानाथ की सबसे बड़ी संतान थी. लता दीदी का जन्म का नाम हेमा था लेकिन बाद में उनके पिता ने अपने एक नाटक की महिला पात्र लतिका पर उनका नाम लता रख दिया.

ऐसे रही जीवनगाथा

1927 पांच साल की उम्र में पिता दीनानाथ मंगेशकर से संगीत की शिक्षा शुरू.
1942 दीनानाथ मंगेशकर का निधन, नवयुक चित्रपट के मालिक बने लता का गार्जियन, उन्होंने लता का सिंगर और एक्ट्रेस बनाने का फैसला लिया.
1942 मराठी फिल्म के लिए पहला गाना गाई लेकिन अंत समय में इसे रिजेक्ट कर दिया गया. इसी साल विनायक ने मराठी फिल्म पहली मंगला गौर में अभिनेत्री की भूमिका दी और इसी फिल्म के लिए गाना गंवाया.
1943 पहली बार मराठी फिल्म के लिए हिन्दी में गाना गाया- ‘माता एक सपूत की, दुनिया बदल दे तू’
1945 लता मंगेशकर मुंबई आ गईं. इसके बाद भिंडीबाजार घराना के उस्तात अमन अली खान से हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की शिक्षा शुरू की.