सरगो अंजोर बाकिर, जियरे अन्हार बा,
हाय रे सम़ईया तोर क़ईसन विचार बा।
अंखिया में लोर बाकिर, मुहँवा पर मुसकान बा
तू ही ह़ऊ लछमी बेटी, ना तोहर आधार बा।
हाय रे सम़ईया, तोर क़ईसन विचार बा।
बाबा घरे बेढि़याँ में, भरल अनाज बा,
धियवा के मुट्ठी भर, ना मिलत उधार बा।
हाय रे सम़ईया, तोर क़ईसन विचार बा।
तोहर करन बेटी, देसवा से दूर ग़ईनी
आके परदेसवा मे, मिल मजदूर भ़ईली,
तबहूँ ना तोहर बेटी, चमकत लिलार बा।
हाय रे सम़ईया, तोर क़ईसन विचार बा।
सूर्येश प्रसाद निर्मल शीतलपुर तरैयाँ।


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