- सभी स्वास्थ्य संस्थानों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, बीएचएम, बीसीएम, वीबीडीएस प्रशिक्षण में हुए शामिल:
- छह माह से 15 वर्ष तक के बच्चों में चमकी /मस्तिष्क ज्वर की संभावना बनी रहती:
किशनगंज (बिहार)। जिले में अप्रैल से जुलाई माह तक छह माह से 15 वर्ष तक के बच्चों में चमकी /मस्तिष्क ज्वर की संभावना बनी रहती है। लोग चमकी ज्वर को सही समय पर जान सकें, ताकि इसके लक्षण जानकर समय पर इलाज कराकर सुरक्षित रह सकें, इसके लिए जिले में स्वास्थ्य विभाग के द्वारा सोमवार को सभी चिकित्सक एवं मंगलवार को , बीएचएम, बीसीएम, वीबीडीएस एवं लैब टेक्नीशियन को एईएस (चमकी बुखार) का एक दिवसीय प्रशिक्षण सदर अस्पताल में दिया गया । जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ मंजर आलम ने बताया प्रशिक्षण में सभी प्रतिभागियों को चमकी बुखार के कारण, लक्षण, बचाव और समुचित इलाज की विस्तृत जानकारी दी गई है। ताकि प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले सभी प्रतिभागी संबंधित मरीजों का सुविधाजनक तरीके से जरूरी इलाज कर सकें और मरीजों को भी इलाज के लिए जिले से बाहर नहीं जाना पड़े। डॉ आलम ने बताया कि अप्रैल से जुलाई तक सूबे में छह माह से 15 वर्ष तक के बच्चों में चमकी /मस्तिष्क ज्वर की संभावना बनी रहती है। लोग चमकी को सही समय पर जान सकें, ताकि इसके लक्षण जानकर समय पर इलाज कराकर सुरक्षित रह सकें। इसके लिए जिले में स्वास्थ्य विभाग ने अपनी तैयारियां पूरी कर ली हैं। लोगों को बताया जा रहा है कि चमकी के लक्षण मिलते ही बच्चों को तुरंत सरकारी अस्पताल ले आएं ,बिल्कुल भी देरी न करें। अस्पताल से दूरी होने पर एम्बुलेंस किराए पर लेकर तुरंत पहुंचे,यात्रा का भाड़ा अस्पताल द्वारा दिया जाएगा।प्रशिक्षण कार्यक्रम में जिला वीबीडी कंसल्टेंट् सोनिया मंडल, डॉ अनवर हुसैन सदर अस्पताल उपाधीक्षक एवं सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बीएचएम, बीसीएम, वीबीडीएस एवं लैब टेक्नीशियन शामिल हुए।
चमकी बुखार के कारण, लक्षण, बचाव और समुचित उपचार की दी गई जानकारी :
प्रशिक्षक जिला वीबीडी कंसल्टेंट् सोनिया मंडल ने बताया, एक दिवसीय प्रशिक्षण में मौजूद सभी प्रतिभागियों को चमकी बुखार (एईएस/जेई) के कारण, लक्षण, बचाव और समुचित इलाज की विस्तृत जानकारी दी गई। ताकि प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले सभी प्रतिभागी संबंधित मरीजों का सुविधाजनक तरीके से जरूरी इलाज कर सकें और मरीजों को भी इलाज के लिए जिले से बाहर नहीं जाना पड़े। इसको लेकर सभी प्रतिभागियों को पत्र जारी कर आवश्यक निर्देश भी दिए गए हैं।
चमकी बुखार से बचाव के लिए जागरूकता भी जरूरी :
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ मंजर आलम ने बताया, चमकी बुखार से बचाव के लिए सामुदायिक स्तर पर जन जागरूकता भी बेहद आवश्यक और जरूरी है। इसलिए, प्रशिक्षण के दौरान संबंधित मरीजों की जरूरी समुचित जाँच और इलाज के साथ-साथ इस बीमारी से बचाव के सामुदायिक स्तर पर लोगों को जागरूक करने की भी जानकारी दी जाएगी। साथ ही मैं तमाम जिले वासियों से अपील करता हूँ कि बच्चों को एईएस से बचाने के लिए माता-पिता को शिशु के स्वास्थ्य के प्रति अलर्ट रहना चाहिए। समय-समय पर देखभाल करते रहना चाहिए। स्वस्थ्य बच्चों को मौसमी फलों, सूखे मेवों का सेवन करवाना चाहिए। साफ सफाई पर विशेष ध्यान रखना चाहिए। छोटे बच्चों को माँ का दूध पिलाना बेहद आवश्यक है। अप्रैल से जुलाई तक बच्चों में मस्तिष्क ज्वर की संभावना बनी रहती है। बच्चे के माता-पिता चमकी बुखार के लक्षण दिखते ही तुरंत जाँच और जाँच के बाद आवश्यक इलाज कराना चाहिए।
ये है चमकी बुखार के लक्षण :
- लगातार तेज बुखार रहना।
- बदन में लगातार ऐंठन होना।
- दांत पर दांत दबाए रहना।
- सुस्ती चढ़ना।
- कमजोरी की वजह से बेहोशी आना।
- चिउटी काटने पर भी शरीर में कोई गतिविधि या हरकत न होना आदि।
चमकी बुखार से बचाव को ये सावधानियां हैं जरूरी :
- बच्चे को बेवजह धूप में घर से न निकलने दें।
- गन्दगी से बचें , कच्चे आम, लीची व कीटनाशकों से युक्त फलों का सेवन न करें।
- ओआरएस का घोल, नीम्बू पानी, चीनी लगातार पिलायें।
- रात में भरपेट खाना जरूर खिलाएं।
- बुखार होने पर शरीर को पानी से पोछें।
- पारासिटामोल की गोली या सिरप दें।
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