छपरा(सारण)। सखी सैंया तो खूब ही कमात है महंगाई डायन खाए जात है… यह गीत वर्तमान समय पर सटीक बैठता है। महंगाई का तड़का गर्मी के सीजन में और गर्म हो रहा है। खाने-पीने की चीजों के बढ़ते दाम से बजट घट रहा है। ऐसे में लोग असमंजस में हैं कि क्या खरीदें-क्या नहीं ? क्योंकि रसोई घर में रोजाना इस्तेमाल का सामान पारे की तरह ऊपर चढ़ रहा है। सोमवार को 42 डिग्री अधिकतम तापमान के बीच जहां सरसों के तेल के दाम बढ़कर प्रति लीटर 212 पर आ गए, वहीं रोजाना इस्तेमाल होने वाली लगभग सभी सामग्रियों के रेट में उबाल आ गया। देश के विभिन्न राज्यों में हुए चुनाव के बाद 16 रुपए तक पेट्रोल बढ़ा। स्कूलों में दाखिलों का सीजन है तो किताबों के रेट 15-20 फीसदी तक बढ़ गए। सबसे ज्यादा महंगे बासमती चावल है जो 78 रुपए किलो से बढ़कर 98 से 102 रुपए किलो बिकने लगे हैं। कुल मिलाकर राशन के रेट की तपिश इसे पकाने से पहले महसूस हो रही है। रही सही कसर सब्जी की कीमतों में इजाफे ने पूरी कर दी है। सबसे अधिक प्रभाव तो नियोजित कमियों पर देखने को मिल रहा है। उनका मानदेय तीन माह पर भुगतान हो जाये तो सरकारी बाबूओं की नजर में नियमित मानदेय भुगतान की श्रेणी में आता है।उनका बिहार सरकार ने नियोजित कर्मियों का मानदेय तो बढ़ाया नहीं, अब महंगाई की मार झेल रहे है। नाम नहीं छपने के शर्त पर प्रखंड कार्यालय में कार्यरत कार्यपालक सहायक, डाटा इंट्री ऑपरेटर सहित अन्य संवर्ग के नियोजित कर्मी ने बताया कि नियमितिकरण और पेयग्रेड लागू होने के इंतजार तथा सरकार के रहमो-करम के इंतजार में अल्प मानदेय पर कार्य कर रहे है। बढ़ते महंगाई से अब परिवार चलाना भी मुश्किल हो गया है। घर से 40 से 50 किलामीटर दूर प्रखंड कार्यालय में प्रतिदिन आना-जाना पड़ता है। भीषण गर्मी में लू लगने का डर सताते रहता है। आश्चर्य की बात है कि इन कर्मियों का वेतन तो बढ़ा नहीं लेकिन राशन का खर्च महीने में 15 से 20 फीसदी तक छलांग मार गया। जिले की राशन मंडी में कीमतों में बढ़त से माहौल गर्म है।महंगाई से अब जेब पर पड़ रहा असर
रंजीत कुमार, आशीष कुमार, अनिल कुमार कहते हैं कि जब खर्च ग्राहक की जेब से बाहर होता है तो वह खरीदारी भी कम करता है। किराना शॉप चलाने वाले पवन कहते हैं कि मांग के साथ रेट बढ़ने लगे। दूसरी तरफ, सब्जी मंडी में कारोबारी अजीत कुमार ने कहा कि गर्मी में अक्सर सब्जी के रेट बढ़ जाते हैं। इस बार पिछले सालों के मुकाबले दर ज्यादा है।


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