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एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम: स्कूली बच्चों को खिलाई गई गोली

  • पहली से लेकर 10 वीं वर्ग तक के हजारों बच्चों ने खाई अल्बेंडाजोल एवं फॉलिक एसिड दवा: प्राचार्य
  • ट्रिपल 6 की रणनीति कारगर होती दिख रही: अमित कुमार
  • सप्ताह में दो ख़ुराक दिलाएगा आपके बच्चे को खून की कमी से निज़ात: डीसीएम

पूर्णिया, 28 अप्रैल।

एनीमिया एक गंभीर लोक स्वास्थ्य समस्या है। इससे जहां शिशुओं का शारीरिक एवं मानसिक विकास अवरुद्ध हो जाता वहीं किशोरियों एवं माताओं में कार्य करने की क्षमता में भी कमी आ जाती है। इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए राष्ट्रीय पोषण अभियान के अंतर्गत “एनीमिया मुक्त भारत” कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है। जिसको लेकर देश के सभी राज्यों में इस अतिमहत्वपूर्ण कार्यक्रम को संचालित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत 06 विभिन्न आयु वर्ग के समूहों को चिह्नित कर उन्हें एनीमिया से मुक्त करने की पहल की गयी है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा ज़िले के सभी स्कूली एवं अन्य बच्चों को अल्बेंडाजोल की गोली एवं फॉलिक एसिड आयरन की सिरप पिलायी जा रही है।

पहली कक्षा से लेकर 10 वीं वर्ग तक के हजारों बच्चों ने खाई अल्बेंडाजोल एवं फॉलिक एसिड दवा: प्राचार्य

के नगर प्रखंड अंतर्गत उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय रिकाबगंज की प्रधानाध्यापिका कविता रानी झा ने बताया कि हज़ारों स्कूली बच्चों को अल्बेंडाजोल, फॉलिक एसिड की गोली व सिरप पिलाई गई है। वर्ग 01 से 08 तक के स्कूली बच्चों को फॉलिक एसिड की सिरप पिलायी गयी। वहीं वर्ग 01 से 10 वीं वर्ग तक के स्कूली बच्चों को अल्बेंडाजोल की गोली खिलाई गई । एनीमिया मुक्त भारत अभियान के तहत 06 विभिन्न आयु वर्ग की महिलाओं को भी लक्षित किया गया है। जिसमें मुख्य रूप से  06 से 59 महीने के बच्चे, 05 से 09 वर्ष के बच्चे और 10 से 19 साल के किशोर एवं किशोरियां, 20 से 24 वर्ष के प्रजनन आयु वर्ग की महिलाएं और (जो गर्भवती या धात्री न हो) गर्भवती महिलाएं,      स्तनपान कराने वाली महिलाएं शामिल हैं।

ट्रिपल 6 की रणनीति कारगर होती दिख रही: अमित कुमार

केयर इंडिया के डीटीओ (ऑन) अमित कुमार ने बताया कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य लोगों को एनीमिया से बचाव करना है। साथ ही इस कार्यक्रम के तहत एनीमिया में प्रतिवर्ष 03% की कमी लाने का भी लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए सरकार द्वारा 6X6X6 की रणनीति के तहत 6 आयु वर्ग, 6 प्रयास एवं 6 संस्थागत व्यवस्था की गयी है। यह रणनीति आपूर्ति श्रृंखला, मांग पैदा करने और मजबूत निगरानी को लेकर केंद्रित है। उन्होंने कहा कि खून में आयरन की कमी होने से शारीरिक एवं मानसिक विकास अवरुद्ध हो जाता है। इसके लिए सभी को आयरन एवं विटामिन ‘सी’ युक्त आहार का सेवन करना चाहिए। जिसमें आंवला, अमरुद एवं संतरे प्राकृतिक रूप से प्रचुर मात्रा में मिलने वाले स्रोत हैं। उन्होंने कहा कि विटामिन ‘सी’ ही शरीर में आयरन का अवशोषण करता है। इस लिहाज से इसकी मात्रा को शरीर में संतुलित करने की जरूरत है।

सप्ताह में दो ख़ुराक दिलाएगी बच्चे को खून की कमी से निज़ात: डीसीएम

ज़िला सामुदायिक स्वास्थ्य उत्प्रेरक संजय कुमार दिनकर ने बताया कि एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के तहत 6 माह से 59 माह तक के बच्चों को सप्ताह में दो बार आईएफए (आयरन फॉलिक एसिड) सिरप देने का प्रावधान किया गया है। एक ख़ुराक में 1 मिलीलीटर यानी 8-10 बूंद होती है। सभी आशा कार्यकर्ताओं को स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से सिरप की 50 मिलीलीटर की बोतलें आवश्यक मात्रा में दी जाती है। प्रथम दो सप्ताह में आशा कार्यकर्ता स्वयं बच्चों को दवा पिलाकर मां को सिखाने का प्रयास करती हैं एवं अनुपालन कार्ड भरना सिखाती । दो सप्ताह के बाद का ख़ुराक मां द्वारा स्वयं पिलाने तथा अनुपालन कार्ड में निशान लगाने के विषय में इस कार्यक्रम के दिशा-निर्देश में विशेष बल दिया गया है।

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