राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा (सारण)। ईद का बहुत बहुत मुबारकबाद आपको। जी, सबसे पहले आपको ही, क्योंकि आपका सीना तानी हुई है उनके सम्मुख, जो ईद के मिठास को जहरीला बनाने पर आमादा हैं। गफलत में न रहें तो अच्छा है।कल वो सुरीली और रंगीन होली को भी बदरंग करने वाले हैं।क्योंकि उन्हें मिल्लत से दुशमनी है।ईद या होली उत्सवी त्योहार हैं और दोनों अलग अलग धर्म विशेष से वाबस्ता हैं।सोचिये जरा, दोनों में सभी धर्म के लोग गले मिलें एक दूसरे को गुलाल लगायें, कैसा खुशनुमा वातावरण होगा ! लेकिन उन्हें हजम नहीं होता।क्योंकि ईर्ष्या और नफरत में ही उन्हें उनका अस्तित्व नज़र आता है। पूरे साल उन्होनें दिमाग खपाया है, अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिये।कहीं हिजाब का मसला गरमाया गया तो कहीं नफरती तकरीरें की गयीं।जुलूस में एक धर्म विशेष को गालियाँ दी गयी और उनके धर्म स्थलों को निशाना बनाया गया।सरकारें चुप हैं, क्योंकि हौसला बढा़ना है उनका।पूरा रमजा़न का महीना दहशत में ही गुज़र गया।दंगे हुए, बुलडोजर चले, बेचारी खामोश मस्जिदों को भी शहादत का जाम पीना पडा़, जिसमें ईद की नमाज़ भी होती।सी पी एम के नेता और कार्यकर्ता जब बुलडोजर के आगे खडे़ हो गये तो उन्हें भी भद्दी भद्दी गालियाँ दी गयी।मोदी जी भी बिल्कुल खामोश थे, मानों उनके मन मुताबिक काम हो रहा हो।लेकिन आज वो मुँह खोलेगें और मुसलमान भाईयों – बहनों को ईद का मुबारकबाद अवश्य देगें।
आज ईद है। ईद का शाब्दिक अर्थ होता है, खुशी या हर्शोल्लास।तो क्या उनके लिये भी जिनके घडो़ पर बुलडोजर चले !जिनके निर्दोष बच्चे जेलों में बन्द हैं और जिनके इबादतगाह जमीनदोज कर दी गयी ? कौन जवाब देगा इसका !
पर्व या त्योहार दो किस्म के होते हैं।एक सिर्फ उपासना तक ही सिमित होते हैं ।जैसे रमजान जिसमें मुसलमान रोजे रखते हैंऔर इबादत करते हैं। छठ पूजा भी उपासना के ही अंतर्गत आता है, जिसमें पवित्रता के साथ 48+ घंटे का उपवास छठ वर्ती करते हैं।कुछ पर्व उत्सवी होते हैं,जिनमें मुख्य होली या ईद है।इनमें सभी समुदाय के लोग आपस में खुशियाँ बाँटते हैं।इसके लिये पहले से ही माहौल मृदुल होना लाजिम हैं।दुर्भाग्य से आज पहले वाला माहौल नजर आना अब दुर्लभ सा हो गया है।एक दूसरे पर
संदेह का वातावरण मनुष्य के दायरे को सिमटाता जा रहा है। दुख में दौड़ के जाना और सुख में एक दूसरे की खुशियों में शरीक होना, लोग भूलते जा रहे हैं।हमें कहाँ पहुँचाया जा रहा है! दूरिया बढा़ने वाले कौन हैं वो! अपने लिये ना सही तो कम से कम अपने बच्चों के लिये भी पहचानिये उन्हें। आइये गले मिलें एक दूसरे को मुबारकबाद के गुलदस्ता भेंट करें। मुबारकबाद ईद का


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