राष्ट्रनायक न्यूज।
गड़खा (सारण)। विश्व को कौमी एकता का संदेश देने वाले महान संत कबीर दास को उनकी जयंती पर याद किया गया। बता दें कबीर दास 15 वीं सदी के भारतीय रहस्यवादी कवि और संत थे। कबीर दास हिंदी साहित्य के भक्तिकालीन युग में परमेश्वर की भक्ति के लिए एक महान प्रवर्तक के रूप में उभरे। वे हिंदू धर्म व इस्लाम को मानते हुए धर्म एक सर्वोच्च ईश्वर में विश्वास रखते थे। आज कबीर दास की जयंती पर देश उन्हें याद कर शत शत नमन कर रहा है। इस मौके पर गड़खा क्षेत्र के पारख शांति आश्रम के बैनर तले कबीर प्रवर्तक संतो व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने झंडा लेकर गांव गांव घूमकर उन महान पुरोधा का संदेश पहुंचाया। संत रविन्द्र दास ने बताया कि संत कबीर दास मानवता के सच्चे उपासक थे। मानव जीवन अत्यंत दुर्लभ और महत्वपूर्ण है। मानव जीवन पाकर जीव को सच्चे भक्ति और उनके द्वारा बताए शुभ कार्यों में लगाना चाहिए। जिस तरह से पेड़ से पत्ता एक बार गिर जाता है तो दोबारा पेड़ में नहीं लग सकता, उसी प्रकार यह मानव जीवन दोबारा प्राप्त करना अत्यंत दुष्कर है अतः उसे सार्थक करने का प्रयत्न करना चाहिए। इस अवसर पर जदयू जिला महासचिव मलय कुमार सिंह ने कहा कि कबीर साहब हिंदी कविता के इतिहास में प्रथम विद्रोही जनकवि ही नहीं सामाजिक अन्याय, विषमता के खिलाफ अनवरत अपनी वाणी से वैचारिक क्रांति के अलख जगाते रहे है वे मानवतावादी, समतावादी का संत सम्राट थे। संत मंगल दास ने कबीर साहब के दोहे के माध्यम से कहा कि शरीर में भगवे, वस्त्र धारण करना सरल है,पर मन को योगी बनाना बिरले ही व्यक्तियों का काम है। यदि मन योगी हो जाए तो सारी सिद्धियां सहज ही प्राप्त हो जाती है। फौजी टी के सिंह ने कहा कि धार्मिक सहिष्णुता और मानवता अपनाकर कबीर ने सांप्रदायिक सौहार्द कायम करने पर जोर दिया है। यात्रा में शामिल संत सर्वेश्वर दास, ओमप्रकाश दास, उमा दास, देवकुमार दास, मंगल दास, चितरंजन सिंह, पंकज कुमार सिंह, विजेंद्र राय, राजदेव राय, प्रियांसु कुमार, मुकेश महतो ईशा मियां आदि ने कबीर के गुणों का बखान किया।


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