” हम आह भी भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम।
वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता “।।
राष्ट्रनायक न्यूज।
समय जैसे जैसे गुज़र रहा है, केन्द्र सरकार के फासीवादी चेहरे से नकाब हटता जा रहा है।फासीवादियों का चरित्र जग जाहिर है। वो बोलते हैं बहुत ही चिकनी चुपरी बातें, लेकिन उनके भीतर सिर्फ और सिर्फ उनका फासीवादी ऐजेंडा ही होता है।मिसाल के तौर पर, क्या आपने म्युनिख में प्रधानमंत्री मोदी का भाषण सुना ? जिसमें वो भारतीय लोकतंत्र का बखान करते हुऐ बोल रहे थे ! ” भारत लोकतंत्र की माँ है “।ये थे मोदी के शब्द। ठीक उसी दिन शाम होते होते आल्ट न्युज के सह संस्थापक जुबैर अहमद की गिरफ्तारी हो रही थी।बिना किसी नोटिस के दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर , मेडिकल जाँच के बाद
किसी अज्ञात स्थान पर ले गयी। कथित तौर उन्हें 2020 के एक मुकदमें में पुछ ताछ के लिये दिल्ली की स्पेशल ब्रांच की पुलिस ने बुलाया था और वहीं गिरफ्तार कर लिया गया। जैसा कि अल्ट न्युज के संस्थापक प्रतीक सिन्हा ने मिडिया को बताया। उनका कसूर जो पुलिस बता रही है, बेद है। ज़रा देखे
असल में सरकार नूपूर शर्मा को बचाने की योजना पर ही काम कर रही है। हजरत मुहम्मद(स) पर आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद जुबैर अहमद ने अल्ट न्युज पर इस खबर को पूरे तार्किक तरीके से प्रसारित किया था। बौखलाई हुई नूपूर शर्मा उसकी गिरफ्तारी की माँग कर रही थी।शर्मा या नवीन जिंदल अभी तक खुला घूम रहे हैं।अतिनरसिंहानंद जैसे कई नफरत के सौदागर सरकार के संरक्षण में आजाद हैं।लेकिन एक पत्रकार जिसका मुख्य काम था फेंक न्युज का पर्दाफाश करना, गिरफ्तार कर लिया गया।कौन नहीं जानता कि सबसे अधिक फेंक न्युज का प्रोडक्शन भाजपा के आई टी सेल में ही होता है।अतः अल्ट न्युज से सबसे अधिक उन्हें डर होना स्वभाविक है।
एक आरोप यह भी है कि इन्होंने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाया है। इस प्रकरण में 1983 में हृषिकेष मुखर्जी की फिल्म “किसी से ना कहना” का जिक्र किया जा रहा है। इस पर जुबैर के एक ट्वीट को मुद्दा बनाया जा रहा है, जिसमें कोई खास वजन नहीं है। धार्मिक भावनाओं के खिलाडी़ और वो भी देश के मुसलमानों के विरुद्ध, आज जिस हद को पार कर गये हैं, यह पूरा देश जानता है। मुख्य धारा की मिडिया से लेकर सोशल मिडिया तक, फिर बडे़ बडे़ जलसा आयोजित कर जिस प्रकार मुसलमानों को गालियाँ दी जा रही हैं। उन्हें बायकाट करने का नारा दिया जा रहा है।देश का गद्दार कहा जा रहा है।क्या इससे भावनाएँ आहत नहीं होती हैं? पर उनको गिरफ्तार करना तो दूर, बचाने में पूरी मशीनरी लग जाती है, या युं कहे कि लगी हुई है। क्या यह भी अब छूपा है कि ये सब अनायास नहीं हो रहा, बल्कि आर एस एस के ऐजेंडा के तहत योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया जा रहा है। आयोजक पूरे तौर पर संरक्षित और सुरक्षित हैं। जुबैर की गिरफ्तारी, अभिव्यक्ति की आजादी पर न केवल प्रहार है, बल्कि स्वतंत्र पत्रकारिता एवं लोकतंत्र का गला घोटने ऐसा ही है। यह भी सच है कि अडानी, अम्बानी और भाजपा समर्थक मिडिया या तो चुप रहेंगे या इसमें और मिर्च मसाला मिला कर गिरफ्तारी को जायज़ ठहरायेगें। पुलिस भी अपना लाज बचाने हेतु कुछ नया आरोप भी मढ़ दें तो कोई आश्चर्य नहीं। मामला कोर्ट में पहुँचा हुआ है। फैसले का इंतजार है।
लेखक- अहमद अली
cpmahamadali@gmail.com
More Stories
हर घर दस्तक देंगी आशा कार्यकर्ता, कालाजार के रोगियों की होगी खोज
धन्यवाद सुप्रीम कोर्ट! यूपी के मदरसे अब बन्द नहीं होगें
विनम्र श्रद्धांजलि! अपसंस्कृति के विरुद्ध खडी़ एक मौसीकी़ को…