राष्ट्रनायक न्यूज

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जिले के 121 मठ-मंदिरों की जमीन की होगी पैमाइश, सारण में 50 अरब कीमत की दो हजार बीघे है जमीन

  • राजस्व कर्मीयों ने अबतक जलालपुर अंचल में 8 मठ-मंदिर चिह्नित किए हैं
  • 50 बीघे की परिसंपत्तियों को भूमि सुधार राजस्व विभाग की साइट पर किया जाएगा अपलोड

राष्ट्रनायक न्यूज।

छपरा (सारण)। मठ मंदिरों के जमीन को सरकार कब्जा मुक्त करने की अभियान चलेगा। जिले में करीब 324 मठ-मंदिर चिन्हित किये गये है। जो धार्मिक न्यास परिषद से पंजीकृत है। इनको सूचीबद्ध किया गया है। 50 अरब से अधिक कीमत की दो हजार बिगहा जमीन है। जिसके परिसंपत्तियों को चिन्हित कर लिया गया है,उसे राजस्व विभाग के साइट पर अपलोड किया जायेगा। मठ-मंदिरों के जमीनों को अब संरक्षित किया जाएगा।इसके लिए भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग ने कार्रवाई तेज कर दी है। अपर समाहर्ता (राजस्व) के निर्देश पर सबसे पहले धार्मिक न्यास बोर्ड से जुड़े मठ- मंदिरों को चिन्हित किया जा रहा है। राजस्व कर्मचारियों ने अब तक जलालपुर अंचल में आठ मठ-मंदिर चिन्हित किए हैं।इनमें राम जानकी मंदिर रूसी,कबीर पंथी मठ मानसर कुमना, भटकेसरी मठ, रामेश्वर महादेव मंदिर रेवाड़ी, राम जानकी कोपा, हनुमान मंदिर सकड्डी बाजार तथा रामपुर -नूरनगर मठ शामिल हैं।इन मठों की परिसंपत्तियों का फिलहाल आकलन किया जा रहा है।सबसे ज्यादा परिसंपत्ति कबीर पंथी मठ मानसर कुमना की बताई गई है तथा सबसे कम हनुमान मंदिर सकड्डी बाजार की बताई गई है। सभी मठ -मंदिरों के परिसंपत्तियों को भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग के साइट पर अपलोड किया जाएगा।ताकि इन संपत्तियों की खरीद-बिक्री नहीं हो सके।

सबसे ज्यादा परिसंपत्ति कबीर पंथी मठ मानसर कुमना में

कबीर पंथी मठ मानसर में सबसे ज्यादा 25 बीघा जमीन है।भटकेसरी मठ में एक बीघा,रामेश्वर महादेव मंदिर रेवाड़ी में 16 कठ्ठा,राम जानकी मठ कोपा में 13 कठ्ठा, रामपुर -नूरनगर मठ में पांच एकड़ से अधिक तथा हनुमान मंदिर सकड्डी बाजार में 4 कठ्ठा एक धुर की परिसंपत्तियां है। अंचल कार्यालय के सूत्रों के अनुसार संवरी मठ सहित अन्य दो मठों के बारे में जानकारियां जुटाई जा रही है।इसके बाद इनके परिसंपत्तियों को भी अपलोड किया जाएगा।

दो राजस्व कर्मचारियों के भरोसे है अंचल कार्यालय जलालपुर

चौदह पंचायतों तथा एक नगर पंचायत के कार्यों का जिम्मा दो राजस्व कर्मचारियों के जिम्मे है। जिन्हें काम करने में काफी परेशानी झेलनी पड़ती है। कर्मचारियों को निजी व्यक्तियों से अभिलेखों का कार्य कराया जाता है। जिससे सुरक्षित अभिलेखों के साथ छेड़छाड़ की संभावना बनी रहती है। प्राइवेट कर्मियों के साथ में सरकारी अभिलेख सौंप दिया गया है।एक राजस्व कर्मचारी ने बताया कि कार्य की अधिकता के कारण परेशानी बढ़ गई है।

ज्यादातर जमीनों पर है अवैध कब्जा

मठ-मंदिरों के जमीनों पर फिलहाल अवैध कब्जा है। परिसंपत्तियों को विभागीय बेवसाइट पर अपलोड करने के बाद अवैध कब्जाधारियों में बैचेनी बढ़ेगी। सबसे ज्यादा कब्ज़ा कबीर पंथी मठ मानसर कुमना की जमीन पर है। रामपुर- नूरनगर तथा संवरी मठ की जमीन पर भी अवैध कब्जा वर्षों से है। जिन्हें छुड़ाना अंचल प्रशासन के लिए टेढ़ी खीर साबित होगी। फिलहाल अवैध कब्जा धारियों में खलबली मची हुई है। इसके लिए भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग ने कार्रवाई तेज कर दी है। अपर समाहर्ता (राजस्व) के निर्देश पर सबसे पहले धार्मिक न्यास बोर्ड से जुड़े मठ- मंदिरों को चिन्हित किया जा रहा है। इन मठों की परिसंपत्तियों का फिलहाल आकलन किया जा रहा है।