- यूरिया के इस्तेमाल करने पर जमीन की उर्वरा क्षमता भी धीरे-धीरे कम हो रही है
राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा (सारण)। यदि अगर कोई किसान खेतों में पानी लगने के दौरान यूरिया का छिड़काव करते है तो सावधान हो जाए। आपके फसल को नुकसान भी पहुंच सकता है और फसल को बिलकुल लाभ नहीं होगा। जानकारी के अनुसार खेतों मे पानी लगे रहने पर यूरिया का इस्तेमाल नहीं करें। पानी में यूरिया के छिड़काव करने पर पानी व यूरिया की प्रतिक्रिया से अमोनिया गैस बनता है। जिससे आपके खेतों में लगे फसल पर इसका कोई लाभ नहीं होगा। इसकी जानकारी देते हुए कृषि विशेषज्ञों की माने तो खेतों में पानी रहने पर यूरिया का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। पानी में यूरिया के मिश्रण से अमोनिया गैस बनने लगता है। जो कि फसल के लिए फायदेमंद नहीं है। पानी लगे खेतों में यूरिया का इस्तेमाल करने से फसल को लाभ नहीं मिलता है। जिससे किसानों को आर्थिक क्षति भी होती है। बता दें कि किसान जानकारी के अभाव में धान की रोपनी के समय पानी लगे खेतों में यूरिया का इस्तेमाल धड़ल्लें से कर रहे है।
पानी में यूरिया के मिश्रण से बनता है अमोनिया गैस
किसान पानी लगे खेतों में यूरिया का इस्तेमाल नहीं करें। इससे फसलों को फायदा नहीं होगा। साथ ही आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ेगा। जानकरी के अनुसार पानी में यूरिया के मिश्रण होने से अमोनिया गैस बनता है। जैसे ही किसान पानी लगे खेतों में यूरिया डालते है तो पानी से प्रतिक्रिया के बाद यूरिया आमोनिया गैस तब्दील होने लगता है और आमोनिया गैस उड़ जाता है। यूरिया के अमोनिया गैस बनने के बाद फसल को लाभ नहीं पहूंच पाता है। इस बाबत डीएओ ने बताया कि किसान धान की रोपनी करते समय खेतों में यूरिया का उपयोग नही करें। सुखे खेतों में ही यूरिया का इस्तेमाल करें। इससे फसल को लाभ पहुंचेगा।
पानी लगने पर भी किसान यूरिया का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर कर रहे हैं
पानी लगने पर भी किसान यूरिया का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर कर रहे हैं। खेतों में अधिक मात्रा में रसायनिक खाद व यूरिया के इस्तेमाल करने पर जमीन की उर्वरा क्षमता भी धीरे-धीरे कम हो रही है। कृषि विशेषज्ञों ने बताया कि इसका साइड इफेक्ट खेतों में स्पष्ट देखने को मिल रहा है। पानी लगे खेतों में यूरिया के इस्तेमाल के बाद जब खेतों का पानी सुख जाता है तो जमीन में दरार पड़ने लग रहा है। ऐसें में किसानों को खेतों में बार-बार पानी पटाने की जरूरत पड़ती है। डीएओ ने बताया कि खेतों में यूरिया व अन्य रसायिक खादों की मात्रा धीरे-धीरे कम करें तथा जैविक या ऑरगेनिक खाद का इस्तेमाल करें। इससे फसल को लाभ भी होता है और जमीन की उर्वरक शक्ति भी बरकारा रहती है। उन्होंने बताया कि जब खेतों में लगे पानी सुख जाता है तथा खेत हल्का गिला रहे तब ही यूरिया या अन्य खादों का इस्तेमाल करें। इससे फसल को त्वरीत लाभ मिलता है। वहीं किसान पानी लगें खेतों में यूरिया का इस्तेमाल नहीं करके, इससे हो रहे आर्थिक क्षति को रोक सकते है और कम खर्च में अधिक उपज कर सकते है।
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