राष्ट्रनायक न्यूज

Rashtranayaknews.com is a Hindi news website. Which publishes news related to different categories of sections of society such as local news, politics, health, sports, crime, national, entertainment, technology. The news published in Rashtranayak News.com is the personal opinion of the content writer. The author has full responsibility for disputes related to the facts given in the published news or material. The editor, publisher, manager, board of directors and editors will not be responsible for this. Settlement of any dispute

जिले के सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत विशेष कैंप का किया गया आयोजन

  • प्रसव पूर्व जांच कर सुरक्षित एवं संस्थागत प्रसव में वृद्धि कराना ही पीएमएसएमए का मुख्य उद्देश्य: सिविल सर्जन
  • गर्भवती महिलाओं के प्रसव पूर्व जांच को लेकर चलाया गया विशेष अभियान: डॉ विजय कुमार
  • सुरक्षित एवं संस्थागत प्रसव के लिए चिकित्सीय परामर्श जरूरी: डॉ अंकिता 
  • एएनसी जांच के दौरान पोषण से संबंधित दिया गया परामर्श: डीसी (पोषण) 

राष्ट्रनायक न्यूज।

पूर्णिया (बिहार)। जच्चा- बच्चा की सुरक्षा के लिए गर्भावस्था के दौरान प्रसव पूर्व जांच (एएनसी) कराना आवश्यक है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रसव पूर्व जांच से मातृ शिशु मृत्यु दर को कम करने का प्रयास लगातार किया जा रहा है। प्रत्येक महीने 09 एवं 21 तारीख के दिन छुट्टी होने के कारण सोमवार को जिले के सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत विशेष कैंप का आयोजन किया जाता है। सिविल सर्जन डॉ एसके वर्मा ने बताया कि प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान का मुख्य उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण प्रसव पूर्व जांच की सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ उन्हें बेहतर परामर्श देना है। गर्भावस्था के दौरान 4 प्रसव पूर्व जांच से प्रसव के दौरान होने वाली जटिलताओं में कमी आती  है। प्रसव पूर्व जांच के अभाव में उच्च जोख़िम गर्भधारण की पहचान नहीं हो पाती है। इससे प्रसव के दौरान जटिलताओं की संभावना काफ़ी बढ़ जाती है। उन्होंने यह भी बताया की इस अभियान की सहायता से प्रसव के पहले ही संभावित जटिलताओं की जानकारी प्राप्त हो जाती है। प्रसव पूर्व जांच में एनीमिक महिलाओं को आयरन एवं फोलिक एसिड की दवा देकर नियमित रूप से सेवन करने की सलाह दी जाती है। 

सोमवार को बायसी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत विशेष कैंप के आयोजन के दौरान महिला रोग विशेषज्ञ डॉ अंकिता कुमारी, बीसीएम वंदना कुमारी, एएनएम आसरीना बास्के, कुमारी गीता, जमीला देवी, सबिता कुमारी, मंजूषा कुमारी, शोभारानी सोरेन, जीपीएसवीएस (यूनिसेफ़) के जिला समन्वयक (पोषण) प्रफुल्ल कुमार, केयर इंडिया की ओर से डीपीएचओ डॉ फैज अख़्तर एवं सिफार से धर्मेन्द्र रस्तोगी सहित कई अन्य कर्मी उपस्थित थे।

गर्भवती महिलाओं के प्रसव पूर्व जांच को लेकर चलाया गया विशेष अभियान: डॉ विजय कुमार

प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ विजय कुमार ने बताया कि प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत सोमवार को स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर गर्भवती महिलाओं के प्रसव पूर्व जांच को लेकर विशेष अभियान चलाया गया। स्थानीय सीएचसी ही नहीं बल्कि सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर, हेल्थ सब सेंटर सहित अन्य संस्थानों में जांच को लेकर विशेष इंतजाम किया गया था। एक ही स्थान पर आवश्यकतानुसार जांच का इंतजाम किया गया था। स्वास्थ्य केंद्रों पर जांच के लिए पहुंचने वाली गर्भवती महिलाओं के लिए नाश्ता के पैकेट के साथ ही शुद्ध पेयजल की व्यवस्था की गई थी। इस दौरान भ्रूण की सही स्थिति का पता लगाने, एचआईवी जैसे गंभीर संक्रमित बीमारियों से नवजात शिशुओं के बचाव व एनीमिक होने पर प्रसूता का सही उपचार किया जाता है।

सुरक्षित एवं संस्थागत प्रसव के लिए चिकित्सीय परामर्श जरूरी: डॉ अंकिता 

स्थानीय महिला रोग विशेषज्ञ डॉ अंकिता कुमारी का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान खून जांच, यूरिन जांच, ब्लड प्रेशर, हीमोग्लोबिन एवं अल्ट्रासाउंड जांच अनिवार्य रूप से कराना होता है। बहुत सी गर्भवती महिलाओं में प्रसव के दौरान 7 ग्राम से कम खून का रहना, गर्भावस्था के दौरान मधुमेह की बीमारी का होना, एड्स संक्रमित, अत्यधिक वजन होना, पूर्व में सिजेरियन प्रसव का होना, उच्च रक्तचाप की शिकायत होना जैसी शिकायतें होने से उच्च जोख़िम गर्भधारण की श्रेणी में आता है। एचआरपी के मामले में प्रसूता को अत्यधिक चिकित्सकीय देखभाल की आवश्यकता होती है। गर्भधारण के तुरंत बाद या गर्भावस्था के पहले तीन महीने के अंदर पहला एएनसी जांच निहायत ही जरूरी है। दूसरी जांच गर्भावस्था के चौथे या छठे महीने में होती है तो वहीं तीसरी जांच सातवें या आठवें महीने में व चौथी जांच गर्भधारण के नौवें महीने में जरूरी होती है।

एएनसी के दौरान पोषण से संबंधित दिया गया परामर्श: डीसी (पोषण)

जीपीएसवीएस (यूनिसेफ़) के जिला समन्वयक (पोषण) प्रफुल्ल कुमार ने बताया कि बायसी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सहित जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षित अभियान (पीएमएसएमए) के तहत प्रसव पूर्व जांच (एएनसी) के दौरान गर्भवती महिलाओं में एनीमिया की कमी के कारण महिला चिकित्सा पदाधिकारी, जीएनएम, एएनएम एवं आशा कार्यकर्ताओं द्वारा पोषण से संबंधित परामर्श दिया गया। जिसमें हरी साग-सब्जी, दूध, सोयाबीन, फ़ल, भूना हुआ चना एवं काला गुड़ खाने की सलाह दी गयी। गर्भावस्था के आखिरी दिनों में कम से कम चार बार खाना खाने की सलाह दी गई। बेहतर पोषण गर्भवती महिलाओं में खून की कमी को रोकता है।