राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा (सारण)। माहौल गरम रखो, 2024 में काम आयेगा।लगता है इसी नीति पर चल रही है भाजपा।आदमी जिस चीज से अधिक मुहब्बत करता है, उस पर यदि कीचर फेंका जाय तो धधक अपेक्षाकृत अधिक होता है। इसी नब्ज का इस्तेमाल आज कल बार बार किया जा रहा है। वो जानते हैं, पैगम्बर मोहम्मद (स) से मुसलमान बेइन्तहा मुहब्बत करते हैं। क्यों न कंकर उसी दिशा में फेंका जाय।फिर सर तन से जुदा वाला नारा सड़कों पर तो गुंजेगा ही, मिडिया प्राइम टाइम के लिये भी मसाला हो जायेगा। गरमा गरम बहसों का दौर शुरु होगा। एक तरफ मौलाना दूसरी तरफ बयान देने वाले का तरफदार। बस ध्रुवीकरण का ग्राफ उपर की ओर चढ़ने लगेगा। नूपुर शर्मा ने जो आग लगाई थी, उसने कुछ बेगुनाह की जान लेली तो कई उस में झुलस भी गये। आग ठंढी हो रही थी। लोग धीरे धीरे भूलने की कोशिश भी कर रहे थे। लेकिन उन्हें तो आग सुलगाए रखना है। फिर तेलंगाना के विधायक राजा बाबू ने किरासन तेल छिड़क ही दिया। माहौल फिर गरम हो गया। “सर तन से जुदा” नारा लगाने वाले भी इस्लाम की न तो खिदमत कर रहे हैं और न पैगम्बर की शान बढा़ रहे हैं।ये नारा भी अपने आप में निंदनीय है। नारा बुलंद करने वाले शायद नहीं जानते। आप वही कर रहे हो जो वो चाहते हैं। आप उन्हीं की चुनावी ऐजेंडा यानी ध्रुवीकरण को बढा़ने में मदद पहुँचा रहे हो। विरोध का लोकतांत्रिक तरीका ही नफरतबाजों को सबक सीखा सकता है, चाहे वो किसी भी धर्म, साम्प्रदाय या कौम से तअल्लुक रखते हों। जंगे आजादी ने तोहफे में जिस ” गंगा जमूनी ” और ” कौमी एकता ” की तहजीब हमें सौंपी थी, ये साम्प्रदायिक ताकतें उसे नस्तोनाबूत करने पर तूली हुई हैं। भारत का संविधान एवं लोकतंत्र भी आज खतरों के बीच नज़र आता है। आवश्यकता है कि इनकी हिफाजत के लिये तैयार रहें। तभी हमारा देश भी महफूज़ रह सकता है और मज़हब भी।
लेखक- अहमद अली (लेखक के अपने विचार है)।


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