- रात में घरों व छठ घाटों पर कोसी भरने की निभाई गई परंपरा
- छठ व्रतियों ने घर पहुंच कर अन्न-जल व प्रसाद ग्रहण कर किया पारण
रुचि सिंह सेंगर। राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा (सारण)। “उगऽअ हो सूरज देव…!” सहित अन्य पारंपरिक छठ लोक गीतों के सामूहिक सुमधुर स्वर में गायन के बीच सोमवार की अहले सुबह छपरा शहर सहित के विभिन्न छठ घाटों पर उगते हुए भगवान भास्कर को छठ व्रतियों की ओर से अर्घ्य सामग्री अर्पित करने और छठ व्रतियों द्वारा घर पहुंच कर अन्न-जल व प्रसाद ग्रहण कर पारण करने के साथ ही चार दिवसीय लोक आस्था के महापर्व छठ का समापन हो गया। इस दौरान छठ व्रतियों द्वारा सूर्य देवता एवं छठी माता से छठ व्रतियों ने अपने परिवार के लिए निरोगी काया, अन्न-धन, उन्नति व सुख-समृद्धि की कामना की गई। छपरा शहर स्थित राजेंद्र सरोवर, भगवान बाजार, धर्मनाथ मंदिर परिसर के अलावा विभिन्न मोहल्लों में पोखरा, तालाबों सहित मांझी के सरयु नदी के रामघाट, मधेश्वर घाट तट, बैरिया घाट और एकमा नगर पंचायत के प्रखंड परिसर में शिवालय छठ घाट, गंजपर तालाब, हेकाम, भरहोपुर के पोखरा, नचाप गांव के बोहटा नदी का तट, मोन जलाशय, डोरीगंज के सूर्य मंदिर परिसर व नदी के तट, दिघवारा, मसरख, मढ़ौरा आदि स्थानों पर आयोजित छठ पूजा स्थलों पर श्रद्धालुओं का भारी जनसैलाब उमड़ा। सभी जगहों पर छठ व्रतियों ने सेमवार की अहले सुबह पारंपरिक तरीके से उदयीमान भगवान भास्कर को श्रद्धापूर्वक अर्घ्य अर्पित किया गया। घर लौटकर छठ व्रतियों की ओर से छठ पूजा का प्रसाद स्वयं एवं परिजनों को ग्रहण कराने के साथ ही पारण की रस्म पूरी हो गई। इस प्रकार छठ पूजा का पारंपरिक तरीके से समापन हो गया।
उधर नगर पंचायत एकमा बाजार के प्रखंड मुख्यालय स्थित शिव मंदिर परिसर स्थित कृत्रिम छठ घाट जलाशय पर रविवार की शाम और सोमवार की सुबह छठ व्रतियों के परिजनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के द्वारा छठ पूजा में सहयोग किया गया। वहीं उगते हुए भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पण का अनुष्ठान पूरा होने के बाद स्टॉल लगाकर चाय पिलाने का सिलसिला काफी देर तक चलता रहा। इसमें क्षेत्र के नव युवकों के द्वारा सराहनीय सहयोग किया गया। मंदिर के प्रधान पुजारी नागेंद्र मिश्रा के द्वारा छठ पूजा का विधि विधान से अनुष्ठान पूरा कराया गया।
इस मौके पर देवेंद्र तिवारी, संजय तिवारी, रामकृष्ण तिवारी, राजकुमार सिंह (कमल सिंह), शिक्षक बबलू गुप्ता, बबलू तिवारी, अरुण कुमार यादव, विकास कुमार छोटू, डॉ कृष्ण मोहन प्रसाद, उमेश कुमार सिंह, शिक्षक सुनील कुमार, कमल कुमार सिंह, छवि नाथ मांझी, जितेन्द्र प्रसाद आदि के द्वारा छठ व्रतियों के सहयोग में सराहनीय भूमिका निभाई गई। इसी क्रम में एकमा नगर पंचायत के मौज बाबा के मठिया, गंजपर पोखरा, हेकाम पोखरा, भोरहोपुर मठिया का पोखरा, राजापुर, भटोली, जलाशय आदि के अलावा हरपुर, नरहनी, गौसपुर, नचाप, देकुली, परसागढ़, रसूलपुर, पचरुखिया, आमडाढ़ी, एकड़ीपुर, बिशुनपुरा कला, गोबरही, ताजपुर, मुबारकपुर, माने, नवतन, टेसुवार, देवपुरा, योगियां, घुरापाली, असहनी, अतरसन, चैनवा, नवादा, चंचौरा, खानपुर, भलुआ, महमदपुर, सिंगही, भजौना, टेघड़ा, नरवन आदि गांवों में भी लोक आस्था के महा पर्व छठ पूजा का चार दिवसीय अनुष्ठान उगते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पण के साथ भक्तिमय वातावरण में संपन्न हुआ। छठ घाटों पर छठ व्रतियों ने सोमवार को प्रातः काल पूरब दिशा में जैसे ही आसमान में सूर्योदय की लालिमा दिखाई दी। अर्घ्य सामग्रियों को लेकर विभिन्न जलाशयों के बीच खड़े होकर भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित करने का सिलसिला शुरु हो गया। बांस व पीतल की बनी सूप में अर्घ्य सामग्रियों को रखकर श्रद्धापूर्वक छठ व्रतियों ने उदयीमान भगवान भास्कर को श्रद्धापूर्वक अर्घ्य अर्पित किया गया।
इस बीच बनियापुर प्रखंड के हरपुर कराह पंचायत के छठ घाट पर विशेष आयोजन हुआ। यहां बटुकों ने विधि-विधान से गंगा आरती की प्रस्तुति की। सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित हुआ। सजावट आदि भी आकर्षण का केंद्र रहा। वहीं कोठेयां नरांव के सूर्य मंदिर में भी श्रद्धालुओं ने विशेष पूजा अर्चना किया। बताते चलें कि बुधवार को नहाय-खाय के साथ चार दिवसीय छठ व्रत का अनुष्ठान शुरू हुआ था। दूसरे दिन गुरूवार को छठ व्रतियों ने दिन भर उपवास रहकर शाम को खरना का अनुष्ठान पूरा किया। तीसरे दिन शुक्रवार की शाम अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को विभिन्न छठ घाटों पर श्रद्धापूर्वक अर्घ्य अर्पित किया गया। रात को ग्रामीण क्षेत्रों में छठ व्रतियों की ओर से कोसी भरने की परंपरा निभाई गई। इस बीच सामूहिक स्वर में छठी माता और सूर्य देवता के पारंपरिक क्षेत्रीय लोक गीतों के गायन से पूरा माहौल छठमय हो गया।
इन सभी पूजन सामग्रियों से की गई पूजा अर्चना
छठ घाट पर मंदिर के पुजारी पंडित नागेंद्र मिश्र और श्रद्धालु महिला रूचि सिंह ने बताया कि छठ की पूजा में एक-एक विधि-विधान को विशेष महत्व दिया जाता है। इन विधि-विधानों में पूजन सामग्री का भी विशेष महत्व है। इन सभी छठ पूजन सामग्रियों के बिना छठ व्रत को अधूरा माना जाता है। उन सभी की छठ पूजन सामग्रियों की छठ व्रतियों एवं उनके परिजनों की ओर से क्षेत्रीय एवं नगर पंचायत बाजारों में पहुंचकर खरीददारी एक दिन पहले ही की गई थी। छठ व्रती रंजु तिवारी ने बताया कि बांस या पीतल की सूप (सूपा), बांस की कोईन/फट्टे से बने दउरा, डलिया व डगरा, पानी वाला नारियल, गन्ना पत्तियों लगी हुई, सुथनी, शकरकंदी, कच्ची हल्दी, अदरक का पौधा हरा हो तो अच्छा, नाशपाती, नींबू बड़ा, गागल, शहद की डिब्बी, पान, साबूत सुपारी, कैराव, सिंदूर, कपूर, कुमकुम, चावल (अक्षत के लिए), चन्दन, मिठाई, पम प्याला आदि के अलावा घर में बने हुए पारंपरिक पकवान, ठेकुवा, खस्ता, कसार, पुड़ी, टिकरी आदि छठ पूजन की सामग्रियों में शामिल रहा।
सामूहिक स्वर में महिलाओं द्वारा छठ गीतों के गायन से छठ में हुआ वातावरण
लोक आस्था का पर्व छठ पर्व के पावन अवसर पर नचाप गांव स्थित राम जानकी व काली माता मंदिर परिसर में महिलाओं की ओर से सामूहिक स्वर में विभिन्न वाद्य यंत्रों के साथ छठ पूजा के पारंपरिक गीतों का गायन किया गया। केरवा के पात पर उगेलअ सूरजमल .., कांच ही बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाय ….। आदि पारंपरिक छठ लोकगीतों को सामूहिक स्वरों में महिलाओं की ओर से सामूहिक रूप से गायन के बाद पूरा माहौल छठमय नजर आया।
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