प्रो0 संजय पाण्डेय। राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा (सारण)। भोजपुरी के जाने-माने मूर्धन्य साहित्यकार जिन्हें भोजपुरी कोकिल के नाम से भी जाना जाता है उनकी पुण्यतिथि बुधवार के दिन उनके जन्म स्थान सहाय भवन फिदर बाजार दौलतगंज छपरा में मनाई गई। पुण्यतिथि मनाने के दौरान उनके तैल चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित की गई। माल्यार्पण और पुष्पांजलि करने वालों में उनके परिवार के पुत्र गण सहित शहर के गण्यमान्य व्यक्तियों द्वारा भोजपुरी भाषा के विकास हेतु उनके द्वारा किए गए अवदान पर भी विस्तृत चर्चा की गई। वही चित्रगुप्त समिति छपरा के अध्यक्ष नागेंद्र कुमार वर्मा ने भोजपुरी के प्रसिद्ध नाटक माटी के दीया घी कि के बाती के संदर्भ में कहा कि भोजपुरी भाषा में नाटककार के रूप में सतीश जी भी ख्याति प्राप्त थे। वरीय अधिवक्ता सुभाष चंद्र श्रीवास्तव ने उन्हें याद करते हुए कहा कि भोजपुरी के सुकुमार कवि के रूप में सतीश जी याद किए जाएंगे। अधिवक्ता मंजूर अहमद ने भोजपुरी भाषा में गजल कार के रूप में उनकी अवदान को स्मरण करते हुए कहा कि उनकी प्रसिद्ध गजल जल की धारा में दियना हमार जिंदगी कहियो मानी ना कहना हमर जिंदगी, काफी लोकप्रिय रही। वरिष्ठ पत्रकार डॉ विद्याभूषण श्रीवास्तव ने कहा कि सतीश जी पत्र-पत्रिकाओं में अवदान किया करते थे। उन्होंने बताया कि पहरुआ भोजपुरी सप्ताहिक के उप संपादक एवं छपरा से प्रकाशित प्रथम भोजपुरी पत्रिका माटी के बोली के संपादक के रूप में उनकी प्रयास आने वाले दिन में भोजपुरी भाषा के लिए मील का पत्थर साबित हुई। पुष्पांजलि समारोह में मुख्य रूप से उनके पुत्र गुप्तेश्वर शंकर, प्रोफेसर अखिलेश्वर माधव, अम्बष्ट गुंजन, मनीष प्रभात रजनीश किरण,आशुतोष शरण, राकेश सिन्हा, अधिवक्ता विमल वर्मा, सुदेश चौधरी, विजय अग्रवाल, ज्ञान प्रकाश अग्रवाल, जयप्रकाश जयसवाल, नितेश्वर, सुभाष इत्यादि उपस्थित थे।
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