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ज़िले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों पर “सुरक्षा, गुणवत्ता और पोषण देखभाल, प्रत्येक नवजात शिशु का जन्मसिद्ध अधिकार” की थीम पर मनाया गया नवजात सुरक्षा सप्ताह:

  • नवजात शिशुओं को नियमित टीकाकरण एवं स्वच्छता को लेकर विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता: सिविल सर्जन
  • ठंड के मौसम में नवजात शिशुओं की उचित देखभाल का रखें विशेष ध्यान: डॉ एके देव

कटिहार (बिहार)। शिशु मृत्यु दर के मामलों में कमी लाने एवं लगातार छः महीने तक नवजात शिशुओं के बेहतर देखभाल को लेकर लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 15 से 21 नवंबर के बीच नवजात सुरक्षा सप्ताह मनाया जाता है। प्रत्येक वर्ष अलग-अलग थीम रखा जाता है। वर्ष 2022 में “सुरक्षा, गुणवत्ता और पोषण देखभाल, प्रत्येक नवजात शिशु का जन्मसिद्ध अधिकार” की थीम पर नवजात सुरक्षा सप्ताह का आयोजन ज़िले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में किया गया है। नवजात शिशुओं के जन्म के बाद पहले 28 दिन तक उसकी ज़िंदगी एवं विकास के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण होते हैं। बचपन के किसी अन्य अवधि की तुलना में नवजात शिशुओं के मृत्यु की संभावना इस दौरान सबसे अधिक होती है। इसीलिए कहा जाता है कि नवजात शिशुओं की ज़िंदगी का पहला महीना आजीवन उसके स्वास्थ्य एवं विकास को लेकर निहायत ही जरूरी होता है।

नवजात शिशुओं के  नियमित टीकाकरण एवं स्वच्छता को लेकर विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता: सिविल सर्जन

सिविल सर्जन डॉ दीनानाथ झा ने बताया कि प्री-मैच्योरिटी, प्रीटर्म, संक्रमण एवं जन्मजात विकृतियां नवजात शिशुओं के मुख्य कारणों में से एक है। नवजात शिशुओं के स्वस्थ जीवन में नियमित टीकाकरण के अलावा स्वच्छता से संबंधित सभी तरह के मामलों का विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता होती है। सबसे अहम बात है कि शिशुओं के जन्म के एक घंटे बाद नवजात के लिए मां का पहला गाढ़ा पीला दूध का सेवन अनिवार्य रूप से कराना बेहतर साबित होता है। नवजात शिशुओं को संभालने से पहले अपने हाथों की सफ़ाई जरूर करें। क्योंकि आपके हाथों की त्वचा पर कीटाणु और बैक्टीरिया रहते हैं। जिस कारण आपके बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता लड़ने के लिए पर्याप्त नहीं होते हैं। उचित पोषण के लिए छः महीने तक मां के दूध के अलावा किसी भी प्रकार के अन्य खाद्य पदार्थ के उपयोग से परहेज करना चाहिए। नवजात शिशुओं के वृद्धि एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए उचित पोषण सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य संबंधी मामलों के प्रति व्यापक स्तर पर जागरूकता जरूरी है।

ठंड के मौसम में नवजात शिशुओं की उचित देखभाल का रखें विशेष ध्यान: डॉ एके देव

शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ एके देव ने बताया कि जन्म से लेकर 28 दिनों तक नवजात शिशुओं की मृत्यु के अधिकांश मामले सामने आते हैं। विगत कुछ वर्षों में नवजात शिशुओं की मृत्यु दर में काफ़ी कमी आयी है। जोखिम के कारणों की पहचान और उसके उचित प्रबंधन से नवजात शिशुओं की मृत्यु दर के मामलों को कमी लाई जा सकती है। ठंड के मौसम में बच्चों के विशेष रूप से देखभाल की जरूरत होती है। शिशुओं को इस समय सबसे अधिक ऊर्जा की जरूरत होती है। इसीलिए नियमित अंतराल पर स्तनपान कराना जरूरी हो जाता है। एक दो दिन के अंतराल पर बच्चे को गुनगुना पानी से नहलाना, त्वचा की अच्छी मालिश करना, बच्चे के कपड़ों को हमेशा साफ रखना एवं शरीर के तापमान को बनाये रखने के लिए त्वचा से त्वचा का संपर्क रखना जरूरी होता है। इसके लिए कंगारू मदर केयर (केएमसी) तकनीक शरीर के सामान्य तापमान को बनाए रखने के लिए सुरक्षित, प्रभावी एवं वैज्ञानिक रूप से सहज एवं सुलभ तरीका है।