राष्ट्रनायक न्यूज।
पटना (बिहार)। शिक्षित बनो, संगठित हो, संघर्ष करो। ये तीन मंत्र बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर ने दिये थे।ये तीन शस्त्र हैं शोषित पीड़ित अवाम के लिये जिसके जरिये वो अपनी जिंदगी में बहार ला सकते हैं।बाबा साहेब ने केवल यह नारा ही नहीं दिया,
बल्कि वो स्वयं इन तीनों फर अमल भी किये।जिस समय को शिक्षा ग्रहण कर रहे थे, कितनी कठिनाईयों का सामना किया उन्होंने ।स्कूल से लेकर कालेज तक , हर जगह नफरतबाजों से उन्होंने संघर्ष किया, फिर भी उनके कदम लड़खराये नहीं। शोषितों के लिये उनका संघर्ष एक विरासत है, जिसे संजो कर रखना होगा।संजोने का मतलब! घर में बैठ कर गर्व करना नहीं, अमल करना है। आज वर्तमान शाषक वर्ग आरक्षण को धीरे धीरे समाप्ति की ओर ले जा रहा है।इस आरक्षण के लिये बाबा साहेब काप्रयास कितना कठिन था, सब जानते हैं।उस बैठक के लिये अपने मृत बच्चे को वो दफना भी नहीं पाये थे। याद हैं ? कई बैठकों के दौरान जब ठहरने की समस्या आ जाती तो स्वतन्त्रता सेनानी और मशहूर शायर हसरत मुहानी के यहाँ ठहरते थे।हसरत मुहानी, जो भारत में कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापकों में एक थे।उनका दिली लगाव था बाबा साहेब के साथ।इतना कि रोजे में अफतार के समय दोनों बैठ कर एक साथ खाते थे।विषयांतर से बचते हुए फिर लौटते हैं। कि बाबा साहेब की प्रासंगिकता आज जितनी तेजी से बढ़ रही है, यदि उनके द्वारा दिये गये तीन नारों पर अमल किया जाय, फिर समाज के पीड़ित अवाम का काया कल्प हो सकता है।अम्बेडकर , पेरियार, मार्क्स , ज्योतिराव फूले, सावित्रीबाई फूले, फातिमा शेख आदि केवल पूजनिय ही नहीं हैं बल्कि वो मजलूमों के शिक्षक भी हैं।अतः उनकी जन्म तिथि या महापरिनिर्वाण दिवस हमें परम्परागत ढ़ग से मनाने की जगह शैक्षणिक और संकल्पित तौर पर मनाना चाहिये। तभी उन तिथियों की सार्थकता हो सकती है।
जय भीम – लाल सलाम
लेखक- अहमद अली
More Stories
धन्यवाद सुप्रीम कोर्ट! यूपी के मदरसे अब बन्द नहीं होगें
विनम्र श्रद्धांजलि! अपसंस्कृति के विरुद्ध खडी़ एक मौसीकी़ को…
लैटरल ऐंट्री” आरक्षण समाप्त करने की एक और साजिश है, वर्ष 2018 में 9 लैटरल भर्तियों के जरिए अबतक हो चूका 60-62 बहाली