राष्ट्रनायक न्यूज

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एनटीईपी एवं वर्ल्ड विजन इंडिया के सहयोग से सीएमई से संबंधित एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित:

  • पीएमटीपीटी द्वारा टीबी संक्रमित मरीजों को टीपीटी से जोड़ा जाए: सिविल सर्जन
  • सामूहिक स्तर पर सभी की सहभागिता की बदौलत लक्ष्य किया जा सकता है हासिल: सीडीओ
  • टीबी संक्रमण को जड़ से मिटाने में टीपीटी कारगर उपचार: डॉ राजीव

राष्ट्रनायक न्यूज।

पूर्णिया (बिहार)। “टीबी हारेगा देश जीतेगा” अभियान को मूर्त रूप देने के लिए जिला स्वास्थ्य समिति, राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) एवं वर्ल्ड विजन इंडिया के सहयोग से टीबी निवारण एवं उपचार परियोजना को लेकर कार्यक्रम प्रबंधन (पीएमटीपीटी) सीएमई से संबंधित एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन शहर के निजी होटल में किया गया। इसका विधिवत उद्घाटन सिविल सर्जन डॉ अभय प्रकाश चौधरी, जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ मोहम्मद साबिर, डब्ल्यूएचओ के समन्वयक डॉ राजीव एनएस एवं वर्ल्ड विजन इंडिया के जिला संचालक रंजीत कुमार द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। इस अवसर पर जिला यक्ष्मा विभाग के डीपीएस राजेश कुमार, डीटीसी के एसटीएस राकेश कुमार के अलावा ज़िले के सभी प्रखण्डों से आए प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी एवं चिकित्सा पदाधिकारी, वरीय टीबी उपचार पर्यवेक्षक (एसटीएस) सहित वर्ल्ड विजन के फील्ड कार्यकर्ता चंदन कुमार एवं टेलीकॉलर पूजा कुमारी उपस्थित थीं। मालूम हो कि पूर्णिया, पूर्वी चंपारण (मोतिहारी), मुजफ्फरपुर, दरभंगा एवं सारण ज़िले में जीत कार्यक्रम 2.0 के तहत टीपीटी कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है।

पीएमटीपीटी द्वारा टीबी संक्रमित मरीजों को टीपीटी से जोड़ा जाए: सिविल सर्जन

सिविल सर्जन डॉ अभय प्रकाश चौधरी ने कहा कि भारत सरकार ने वर्ष 2025 तक टीबी को जड़ से मिटाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि प्रोग्रामेटिक मैनेजमेंट ऑफ टीबी प्रीवेंटिव ट्रीटमेन्ट (पीएमटीपीटी) आयोजन के तहत लेटेंट टीबी इंफेक्शन वाले मरीज को चिह्नित कर उन्हें टीपीटी से जोड़ा जाएगा, ताकि उनके शरीर के अंदर पनप रहे टीबी की बैक्टेरिया को एक्टिव होने से पहले समाप्त कर दिया जाए। इससे टीबी संक्रमण प्रसार के चेन को तोड़ने में मदद मिल सकती है।

सामूहिक स्तर पर सभी की सहभागिता की बदौलत लक्ष्य किया जा सकता है हासिल: सीडीओ

डॉ मोहम्मद साबिर ने कहा कि जिले के सभी स्वास्थ्य स्वस्थ्य केंद्रों एवं निजी चिकित्सकों के पास जांच के बाद टीबी मरीज़ों की पहचान होती है। इसका उपचार एवं फेफड़े वाली टीबी (पल्मोनरी) से चिन्हित टीवी मरीजों के संपर्क में आए परिजनों की जांच और टीवी संक्रमण से बचाव के लिए एनटीईपी के नए गाइडलाइन के अनुसार प्रशिक्षित किया जा रहा है। सामूहिक स्तर पर हम सभी की सहभागिता से टीबी को जड़ से मिटाने के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। टीबी उन्मूलन के लक्ष्य को हासिल करने में निजी चिकित्सकों की भूमिका काफ़ी महत्वपूर्ण है।

टीबी संक्रमण को जड़ से मिटाने में टीपीटी कारगर उपचार: डॉ राजीव

डब्ल्यूएचओ के समन्वयक डॉ राजीव एनएस ने कहा कि सीएमई कार्यक्रम के तहत ज़िले के सभी प्रखंडों में एलटीबीआई परामर्शी अपने-अपने क्षेत्रों में पदस्थापित एसटीएस के साथ मिल कर प्रारंभिक काल वाले टीबी मरीज़ों के घर जाकर उनके साथ रह रहे परिवार के सभी सदस्यों की कॉन्ट्रेक्ट ट्रेसिंग करेंगे और वैसे मरीजों को चिह्नित करेंगे। इनमें एक्टिव टीबी के लक्षण की भी जांच करेंगे। इसके बाद वैसे मरीज को टीपीटी से जोड़ कर उन्हें लगातार छः महीने तक आइसोनियाजाइड की दवा खिलायी जाएगी। ताकि लेटेंट टीबी इंफेक्शन को जड़ से मिटाया जा सके।

ज़िले के 3846 व्यक्तियों को टीबी संक्रमण से बचाव को लेकर दी जा रही है दवा: रंजीत

वर्ल्ड विजन इंडिया के जिला संचालक रंजीत कुमार ने बताया कि जनवरी से दिसंबर महीने तक शून्य से पांच वर्ष तक के 631 बच्चों को टीबी संक्रमण से बचाव के लिए उपचार किया जा रहा है। पांच वर्ष से अधिक उम्र के 4 हजार 477 में से 3 हजार 846 नागरिकों का उपचार टीबी संक्रमण से बचाव एवं सुरक्षित रहने के लिए जिला यक्ष्मा केंद्र (डीटीसी) एवं वर्ल्ड विजन के कर्मियों द्वारा नियमित रूप से लगातार छः महीने तक दवा का सेवन कराया जा रहा है।

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