राष्ट्रनायक न्यूज

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मौसम के बदले मिजाज को देख बढ़ी किसानों की चिंता

  • आलू के पौधों में झुलसा रोग लगने की बढ़ी संभावना।

संजय कुमार सिंह। राष्ट्रनायक न्यूज।

बनियापुर (सारण)। धान और मक्के का उत्पादन औसत से कम होने के कारण आर्थिक संकट की मार झेल रहे किसानो ने जैसे-तैसे रवी फसलो की बुआई तो संपन्न कर ली। मगर अब मौसम के बदले मिज़ाज को देख किसानो की चिंता बढ़ गई है।बिगत एक सप्ताह से तापमान में आई गिरावट की वजह से शीतलहर, ठंड और कुहासे से किसानो की माथे पर शिकन आ गई है।अनुभवी किसानो की माने तो तापमान में आई गिरावट से गेहूँ के पौधों पर तो कोई खास असर नहीं पड़ेगा।मगर आलू और सरसो के पौधों पर व्यापक असर पड़ने की संभावना जताई जा रही है।हालांकि फिलवक्त किसान आलू-गेहूँ और सरसो की प्रथम सिंचाई करने में जुटे है।किसानो की माने तो स्थानीय कारणों की वजह से प्रायः सभी फसलो की बुआई निर्धारित समय से एक पखवाड़े देर से संपन्न हुई है।ऐसे में अब मौसम के बदले मिजाज से कुछ फसलो को नुकसान होने की संभावना बढ़ गई है।

आलू के पौधों में झुलसा रोग का प्रभाव बढ़ने की आशंका।

तापमान में आई गिरावट और कोहरे की वजह से आलू की फसल में झुलसा रोग लगने का सिलसिला प्रारम्भ हो गया है देर से बुआई होने के कारण अभी आलू के पौधे बाहर निकले ही थे की कोहरे का प्रभाव पड़ने लगा।अनुभवी किसानो का कहना है की अभी खेतो की निराई-गुड़ाई का कार्य चल रहा है।ठंड और कोहरे को देखते हुए मजदूर खेतो में काम करने से कतरा रहे है।जबकि धूप नहीं निकलने से खरपतवार नाशी एवं झुलसा के प्रभाव को रोकने वाली दवाओ के छिड़काव करने से भी आसा के अनुरूप लाभ नहीं होगा।बावजूद इसके मौसम की परवाह किये वगैर ज्यादातर किसान झुलसा रोग के प्रभाव को रोकने के लिये फफूँद नाशी दवाओ के छिड़काव प्रारम्भ कर चुके है।इधर प्रखंड के पिठौरी,पैगम्बरपुर आदि स्थानों पर जिन किसानो ने आलू की अगात खेती की थी,उन्हें फिलवक्त तैयार आलू की बिक्री करने से अच्छा-खासा मुनाफा भी हो रहा है।

धान क्रय की रफ्तार धीमी होने से किसान परेशान।

जिले में गत 01 नवंबर से ही धान क्रय केंद्र शुरू करने की घोषणा की गई थी।मगर दो माह बीतने के बाद भी पैक्स केंद्रों पर धान कार्य की गति धीमी होने से किसान परेशान है। महेश राम,पशुपति सिंह,असर्फी राय,मणिभूषण सिंह आदि किसानों ने बताया कि पैक्स केंद्रों का बार-बार चक्कर लगाने के बाद भी धान का क्रय नही किया जा रहा है।जिस वजह से खेतो की पटवन,कीटनाशक का छिड़काव आदि कार्यो के लिये रुपये की जुगाड़ में किसानो को अपनी गाढ़ी कमाई से उपजाई गई धान के फसल को व्यपारियो के हाथो औने-पौने दाम पर बेचना पर रहा है।जबकि पैक्स केंद्रों द्वारा बिचौलियों से साठ-गाठ कर कम कीमत पर धड़ल्ले से धान की खरीद की जा रही है।

फोटो(गेहूँ की पटवन में जुटे किसान,आलू की सोहनी करते मजदूर)|

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