- रामचरित मानस नवाह्न पाठ का हुआ समापन
संजय कुमार सिंह। राष्ट्रनायक न्यूज।
बनियापुर (सारण)। ईश्वर सिर्फ और सिर्फ प्रेम के भूखे होते है,तभी तो जब सबरी ने अपने को नीच जाति और मंदबुद्धि होने पर भगवान की स्तुति करने में असमर्थता प्रकट की तो प्रभु श्रीराम ने सबरी से कहा की मैं जीव से केवल भक्ति का सम्बन्ध मानता हूँ।जाति-पाति,कूल-धर्म,गुण,बल,कुटुंब और चतुरता होने पर भी भक्तिहीन मनुष्य वैसे ही है जैसे जल के बिना बादल।तुम में हर प्रकार की भक्ति है।अतःतुम मुझे अत्यंत प्रिय हो।उक्त बाते अयोध्या से पधारे शुभम जी महाराज ने चेतन छपरा मोड़ पर चल रहे नौ दिवसीय रामचरितमानस नवाह पाठ के अंतिम दिन श्रद्धालु भक्तो के बीच प्रवचन के दौरान कही।महाराज जी ने मर्याद पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्शो की व्यख्या करते हुए कहा की प्रभु ने अपने पुत्र-धर्म, मित्र- धर्म, राज्य धर्म और पति-धर्म को पालन करने के लिये अपने सभी सुखो का त्याग कर जो आदर्श कायम किया है,उसकी मिसाल युगों-युगों तक दी जायेगी।रामचरितमानस का एक-एक शब्द मूल्यवान है, जिसके वाचन और श्रवण से मनुष्य को पूण्य की प्राप्ति होती है।मालूम हो कि चेतन छपरा मोड़ पर गत 28 दिसंबर से रामचरित मानस नवाह्न पाठ का 52 वां वार्षिक अधिवेशन प्रारंभ हुआ था।जिसका 05 जनवरी को विधिवत समापन हो गया। मौके पर यज्ञ समिति के सभी सदस्य उपस्थित थे।
फोटो(प्रवचन करते शुभम जी महाराज)|


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