राष्ट्रनायक न्यूज

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बीबीसी के दफ्तरों पर छापा

राष्ट्रनायक न्यूज। चारों तरफ गोपियाँ, बीच में कन्हैया।चारों तरफ आरती लेकर खडा़ गोदी मिडिया और बीच में जय जयकार सुनने की आदी हो चुके मोदी, भला सच को बर्दाश्त करने की हिम्मत कहाँ से लाते।सो बीबीसी को मजा चखा ही दिया।जी हाँ,आज (14-2-2023) सुबह ही बी बी सी के मुम्बई और दिल्ली के दफ्तर पर IT का छापा पड़ गया।सभी कर्मचारियों के फोन जब्त कर लिये गये हैं और किसी से बात करने की मनाही कर दी गयी है। पूछ ताछ जारी है। कुछ ही समय पहले बीबीसी की एक डॉक्यूमेंट्री आई थी। यह डॉक्यूमेंट्री 2002 के गुजरात नरसंहार पर केन्द्रित थी। भाजपा इसे केन्द्र सरकार को बदनाम करने , खास कर नरेन्द्र मोदी पर कीचड़ उछालने का आरोप लगाते हुए इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग पर रोक लगा दी थी। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी याचिकाएं दायर हुई हैं. कोई संदेह नहीं कि आयकर विभाग की यह छापेमारी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री से घबराई एवं बौखलाई हूई मोदी सरकार की बदले की भावना तो है ही,यह सबक सिखाने की भी घृणित कार्रवाई है, ” मेरे खिलाफ बोलोगे तो मजा़ चखना होगा “।प्रतिबंध के बावजूद लाखों लोगों ने डक्युमेंट्री को देखा।गुजरात नरसंहार के सच को देखा।
जेनयु और जामिया में मोदी भक्तों ने बवाल भी काटा।

केरल के साथ अन्य कुछ जगह बवालियों की पहुँच नामुमकिन था।मैं यह दावे के साथ कह सकता हूँ, गुजरात का सच,जितना आज पूरी दुनिया जान चुकी है, डक्युमेंट्री में उससे कम ही दिखाया गया होगा।तत्कालीन गुजरात सरकार और उसके मुखिया नरेन्द्र मोदी की संलिप्तता का प्रमाण, बिल्किस बानों के गुनहगारों की रिहाई और रिहाई में अंतर्निहित उनकी भुमिका से बढ़ कर कोई अन्य प्रमाण हो सकता है क्या ? ठीक ही कहा गया है, ” सच को अनन्त काल तक दबाया नहीं जा सकता। आज की यह घटना कोई नई नहीं है।2014 से दर्जनों घटनाओं की यह एक अगली कडी़ है।इसके बाद भी यह सिलसिला बदस्तूर जारी रहेगा,इसमें भी संदेह नहीं है।केन्द्र की भाजपा-आर एस एस सरकार जिस तेजी से तानाशाहियत की ओर बढ़ रही है, एक एक कर वो सब देखने को मिलेगा जब तक कि लाखों कुर्बानियों के बदौलत अर्जित किया गया हमारा यह लोकतंत्र कुर्बान न हो जाय।
तानाशाहों के आचरण को बखान करते हुए ईतिहास के पन्ने रंगे पडे़ हैं।एक एक कर सब सामने आ रहा है।नंगई की हद है, ” द कशमीर फाईल्स ” जिसमें सच का गला दबा दिया गया है।जिसकी आलोचना अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी हो चुकी है , उस फिल्म को पर्मोट करते हुए मोदी जी दिखाई पड़ते हैं।और यह डक्युमेंट्री! जो पूरी तरह तथ्य परक है।जिसको गुजरात नरसंहार की रिपोर्टिंग करते हुए बीबीसी ने पहले भी दिखाया है।उससे यह सरकार डर गयी।आईंदा फिर ऐसा नहीं करने की धमकी के तौर पर अपनी पालतू ऐजेंसियों से छापेमारी करा रही है। 1974 में इन्दिरा गाँधी ने इमर्जेंसी की घोषणा कर जो काम नहीं किया वो सारा काम बल्कि उससे और कई कदम आगे बढ़ कर यह मोदी सरकार कर रही है। उस समय घोषणा कर के लोकतंत्र पर हमला बोला गया था ।आज लोकतंत्र की दुहाई देते हुए लोकतंत्र की गर्दन में रस्सी बाँघ कर लटकाया जा रहा है। वो कल भी आयेगा, जब फैज़ के तराने हवाओं में फिर गुंजेगे ………

जब ज़ुल्म-ओ-सितम के कोह-ए-गरां रुई की तरह उड़ जाएँगे
हम महकूमों के पाँव तले ये धरती धड़-धड़ धड़केगी
और अहल-ए-हकम के सर ऊपर जब बिजली कड़-कड़ कड़केगी
हम देखेंगे । लाजिम है कि हम भी देखेंगे

लेखक- अहमद अली