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खाने की कटोरी और थाली में पुरुषों को भी झाँकने की जरूरत, पखवाड़े में शामिल होने को ले गर्भवती महिलाओं के पतियों को भेजे जाएंगे आमंत्रण

खाने की कटोरी और थाली में पुरुषों को भी झाँकने की जरूरत, पखवाड़े में शामिल होने को ले गर्भवती महिलाओं के पतियों को भेजे जाएंगे आमंत्रण

• 8 मार्च से 22 मार्च तक पोषण पखवाडा का आयोजन
• गोदभराई में गर्भवती महिलाओं के पतियों को भेजे जाएंगे आमंत्रण
• विविधतापूर्ण आहार पोषण का होता है आधार

पूर्णियाँ। बिहार में लगभग आधे बच्चे कुपोषण के कारण नाटेपन के शिकार हैं. बेहतर पोषण के लिए व्यवहार परिवर्तन कहीं अधिक मायने रखता है. अभी भी परिवार में बच्चों को खाना खिलाने की जिम्मेदारी सिर्फ घर की महिलाओं के ऊपर होती है. इसमें पुरुषों की भागीदारी केवल घर के राशन की खरीदारी से आगे नहीं जा पाती है. जिससे पोषक आहारों की जरुरत विशेषकर गर्भवती माताओं, धात्री माताओं तथा 6 माह से 2 वर्ष तक के बच्चों के विविधतापूर्ण आहार में उपलब्ध विभिन्न पोषक तत्वों की जानकारी से पुरुष अवगत ही नहीं हो पाते है. यदि पुरुष भी भोजन में कम से कम चार प्रकार के खाद्य समूह एवं आहार की गुणवत्ता की महत्ता को समझें तब कुपोषण पर दोहरी लगाम लगायी जा सकती है. इसे ध्यान में रखते हुए इस बार के पोषण पखवाड़े में पुरुषों की भागीदारी पर विशेष बल दिया जा रहा है. 8 मार्च से 22 मार्च तक चलने वाले इस पखवाड़े में होने वाले विभिन्न गतिविधियों में अधिक से अधिक पुरुषों को शामिल होने की अपील की जा रही है. जिसमें विभिन्न विभागों के साथ केयर इंडिया, अलाइव एंड थराइव, सेंटर फॉर कैटालाईजिंग चेंज, यूनिसेफ सहित अन्य सहयोगी संस्थाओं द्वारा भी महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान किया जा रहा है.

जरुरी है पुरुषों की सहभागिता:

आईसीडीएस की सहायक निदेशक श्वेता सहाय ने बताया कि इस पोषण पखवाड़े में पोषण संबंधित गतिविधियों में पुरुषों को शामिल करने पर जोर दिया जाएगा. इसको लेकर इस दौरान आयोजित होने वाले विशेष अन्नप्रासन, गोदभराई, पोषण मेला एवं पोषण को लेकर अन्य सामुदायिक गतिविधियों में भी पुरुषों की उपस्थिति एवं उनकी भागीदारी पर बल दिया जाएगा. महिलाओं के साथ पुरुषों की भागीदारी से पोषण में सुधार संभव है. आहार में विविधता से बेहतर पोषण मिलता है. यदि पुरुष इसके प्रति गंभीर हो जाएं तब उनके परिवारों से कुपोषण का आसानी से सफाया हो सकेगा.

आहार में विविधता क्यों है जरुरी:
जिला डीपीओ शोभा सिंह ने कहा कि बढ़ते बच्चों की कटोरी में कम से कम चार प्रकार के खाद्य समूह को शामिल कर कुपोषण पर लगाम लगायी जा सकती है. घर में प्रतिदिन खाए जाने वाले आहार में सभी पोषक तत्वों की उपलब्धता जरुरी है. 6 से 8 माह के छोटे बच्चे को आहार खिलाने पर विशेष ध्यान देना चाहिए. इससे घर के सभी लोगों के पोषण स्तर में सुधार होता है. बच्चे, किशोर, गर्भवती माता एवं परिवार के बाकी सदस्यों के लिए भी बेहतर पोषण की जरूरत होती है. एक ही तरह के खाद्य पदार्थों को आहार में शामिल करने से पोषक तत्त्वों की आपूर्ति बाधित हो जाती है. बेहतर पोषण के लिए आहार में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन, वसा एवं सूक्ष्म खनिज लवणों की जरूरत होती है. इसके लिए आहार में विविधिता काफ़ी जरुरी है.

इन खाद्य पदार्थों में होते हैं पोषक तत्त्व:

• कार्बोहाइड्रेट: चावल, गेहूं का आटा, दलिया, मैदा, शकरकंद, ज्वार की रोटी एवं कॉर्न फ्लेक्स जैसे खाद्य पदार्थों के सेवन से कार्बोहाइड्रेट की आपूर्ति की जा सकती है.

• प्रोटीन: अंडा, दूध, मीट, बादाम, मसूर की दाल, पनीर एवं सोयाबीन जैसे खाद्य पदार्थों में प्रोटीन प्रचुर मात्रा में होता है.

• वसा: वनस्पति तेल, मक्खन एवं घी जैसे खाद्य पदार्थ जो आसानी से घर पर उपलब्ध रहते हैं, जिसमें प्रचुर मात्रा में वसा पाया जाता है.

• विटामिन: विभिन्न प्रकार के फल, हरी साग –सब्जियां एवं अंकुरित अन्न विटामिन के अच्छे स्रोत माने जाते हैं.

• खनिज लवण: शरीर के लिए सूक्ष्म खनिज लवण की भी जरूरत होती है. जिसमें कैल्शियम, डबल फोर्टीफायड नमक( आयोडीन प्लस आयरन) , लोहा एवं फ़्लोरिन जैसे अन्य सूक्ष्म खनिज लवण शामिल है. इनके लिए आहार में फल, हरी साग-सब्जियां, अंकुरित आनाज, आयोडीन युक्त नमक, दूध एवं पालक जैसे खाद्य पदार्थों को आहार में जरुर शामिल करना चाहिए.

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