- शत प्रतिशत सफलता के लिए स्वास्थ्य विभाग को सहयोगी संस्थाओं सहित जीविका समूह से जुड़ी दीदियों का सहयोग अपेक्षित
- अप्रैल 2022 से मार्च 2023 तक 307 टीबी संक्रमित मरीजों का किया गया उपचार: एसटीएस
- अप्रैल 2022 से मार्च 2023 तक 1077 जांच में 138 मरीज़ों की हुई पहचान: एसटीएलएस
राष्ट्रनायक न्यूज।
पूर्णिया (बिहार)। राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) की शत प्रतिशत सफलता के लिए जिले में “टीबी हारेगा, देश जीतेगा” अभियान चलाया जा रहा है। क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीबी मुक्त अभियान के तहत आगामी वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके लिए टीबी जैसी बीमारियों को जड़ से मिटाने के उद्देश्य से गैर सरकारी संस्थाएं जैसे- वर्ल्ड विजन इंडिया, कर्नाटका हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट (केएचपीटी) के अधिकारी एवं कर्मियों द्वारा सहयोग किया जाता है। जिले के सभी प्रखंडों के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर कार्यरत सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) के अलावा जीविका समूह की दीदियों द्वारा सहयोग से नए नए मरीज़ों की ख़ोज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा रही है।
डीटीसी सहित तीन अन्य अस्पतालों में बलग़म जांच की सुविधा उपलब्ध: डॉ मिहिरकान्त झा
जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ मिहिरकान्त झा ने बताया कि अगर दो सप्ताह तक लगातार खांसी, समय पर भूख नहीं लगना, लगातार वजन कम होना, रात में सोते वक्त पसीना आना जैसे लक्षण वाले व्यक्तियों के बलग़म की जांच जिला यक्ष्मा केंद्र, अनुमंडलीय अस्पताल बनमनखी एवं धमदाहा एवं कसबा सीएचसी में त्रुनेट एवं माइक्रोस्कोपिक के माध्यम से की जाता है। हालांकि अन्य अस्पतालों के मरीज़ों की जांच नज़दीकी अस्पताल भेज कर या डीटीसी में करायी जाती है। ताकि अधिक से अधिक मरीज़ों की पहचान कर जल्द से जल्द जिला सहित राज्य व देश से टीबी को जड़ से मिटाया जा सके।
अप्रैल 2022 से मार्च 2023 तक 307 टीबी संक्रमित मरींजों का किया गया उपचार: एसटीएस
अनुमंडलीय अस्पताल बनमनखी के वरीय यक्ष्मा पर्यवेक्षक (एसटीएस) अनिलानंद झा ने बताया कि अप्रैल 2022 में 21, मई में 22, जून में 19, जुलाई में 26, अगस्त में 22, सितंबर में 24, अक्टूबर में 20, नवंबर में 32, दिसंबर में 36, जनवरी 2023 में 30, फ़रवरी में 27 व मार्च में 28 टीबी के मरीज़ मिले हैं। जिसमें अप्रैल 2022 में 21, मई में 22, जून में 14, जुलाई में 27, अगस्त में 22, सितंबर में 25 टीबी के मरीज़ ठीक हुए हैं। क्योंकि टीबी मरीज़ों की पहचान होने के बाद लगातार नियमित रूप से छः महीने तक दवा का सेवन करना पड़ता है। अगर किसी कारणवश बीच में ही दवा छूट जाती है तो पुनः दवा खाना शुरू किया जा सकता है। लगातार छः महीने तक दवा का सेवन करने के बाद ही पूरी तरह से टीबी जैसी बीमारी को ठीक किया जा सकता है।
अप्रैल 2022 से मार्च 2023 तक 1077 जांच में 138 मरीज़ों की हुई पहचान: एसटीएलएस
वरीय तपेदिक (यक्ष्मा) प्रयोगशाला पर्यवेक्षक दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि अप्रैल 2022 से मार्च 2023 तक 1077 संभावित मरीज़ों की जांच की गयी। जिसमें से 138 टीबी संक्रमित व्यक्तियों की पहचान की गई है। जैसे- अप्रैल 2022 में 105, मई में 80, जून में 87, जुलाई में 81, अगस्त में 95, सितंबर में 114, अक्टूबर में 67, नवंबर में 91, दिसंबर में 110, जनवरी 2023 में 67, फ़रवरी में 76 व मार्च महीने में 104 संभावित टीबी मरीज़ों की जांच त्रुनेट एवं माइक्रोस्कोपिक से की गयी है। मरीज़ों की जांच के बाद अप्रैल 2022 से मार्च 2023 तक 138 टीबी के मरीज़ संक्रमित मिले हैं।
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