राष्ट्रनायक न्यूज।
छपरा (सारण)। क्योंकि भाषा तो सड़क छाप गुंडों वाली ही है। संसद में वो अब सब कुछ होने लगा जो कल तक सड़कों पे हुआ करता था। यानी संसद से सड़क तक एक ही भाषा। आतंकवादी , कटुआ, देशद्रोही, कठमुल्ला सब वही। राजनाथ सिंह ने कहा यदि रमेश बिधूडी़, के बयान से किसी की भावना आहत हुई है तो हम क्षमा माँगते है। अरे वाह राजनाथ जी, आप क्यों माफी माँगने लगे ? क्या वो गालीबाज सांसद बेलगाम है? लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का बयान तो और भी हास्यास्पद और पक्षपाती है। चेतावनी देते हुए कहते है, ऐसी भाषा का उपयोग यदि फिर कभी हुई तो सख्त कार्रवाई की जायेगी। ऐसा लगता है कि बिधूडी़ ने पहली बार यह गलती की हो और उनका यह हरकत मामूली सी है। विपक्षी होते तो झट उनके हाथों में अनुशासन का डंडा आ जाता। प्रधानमंत्री तो अपनी पूरानी आदत के अनुसार चुप ही हैं और वो या अमित शाह चुप ही रहेंगे। थू थू हो तो हो हिन्दू- मुस्लमान वाला वातावरण तो बन ही रहा है, जिसकी सख्त जरुरत है। आम चुनाव जो सर पर है! पूर्व स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और रविशंकर प्रसाद की मुस्कराहट तो ऐसी है मानों पहलवान को जो टास्क दिया गया था वो बखूबी अंजाम दे रहा है। घटना के बाद आर एस एस और भाजपा के कई नेता या तो लीपा पोती में लग गये हैं या जायज़ भी ठहरा रहे हैं। भाजपा को कई बिधूडियों की जरुरत है, इसीलिये सांसद से ही शुरुआत हुई। आप चिल्लाते रहें, कोई कार्रवाई होना तो दूर की बात है घुमा फिरा कर प्रोत्साहन ही दिया जायेगा। क्योंकि चुनाव में ऐसे ही बिधूडी़ तो भाजपा के पक्ष में माहौल बनाते हैं। संसद से बाहर जो बिधूडी़ बैठे हैं उनको ईशारा भी है। मुसलमानों के विरुद्ध ऐसे ही भाषा बोलने की। बसपा सांसद दानिश अली को मैने सुना। वो चंद्रयान की सफलता पर ही अपनी पार्टी की समझ रख रहे थे। भाषा तो उनकी संयमित थी लेकिन भाजपाईयों की बौखलाहट स्वभाविक था। चंद्रयान की सफलता का श्रेय वो इसरो के वैज्ञानिकों को ही दिये जा रहे थे। सुना है जे पी नड्डा ने नोटिस किया है बिधूडी़ को।इतना तो नौटंकी जरुरी भी है। कुछ और ड्रामें होगें और फिर मामला खत्म। दरअसल भाजपा और आर एस एस की दुकान मुसलमानों को अपशब्द और नीचा दिखाने पर ही चलती है। उनका “बांच आफ थौट” या “वी आर आवर नेशनहुड डिफाइंड” उठा कर देख सकते हैं। अभी तो मौसम भी है सो एक बोलेगा फिर दूसरा। ये चलेगा और लीपा पोती भी होती रहेगी। जैसा पहले भी होता रहा है। अभी तक उक्त सांसद पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होना यही दर्शाता है। केजरीवाल पर भी कई आपत्तिजनक शब्द बोला फिर दूसरे सांसद को गाली भी दिया।उसे सजा के बदले कारण बताओ नोटिस देना, यानी बचाने की कोशिश शुरु हो गयी। सवाल तो यह कि क्या रमेश बधूडी़ ऐसा सांसद सदन में बैठने के लायक है?
लेखक- अहमद अली


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