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गणतंत्र दिवस सह संविधान रक्षा दिवस

गणतंत्र दिवस सह संविधान रक्षा दिवस

लेखक: अहमद अली

आजा़दी के बाद आज ही के दिन (26 जनवरी) भारत का संविधान देश में लागू हुआ और भारत गणतांत्रिक देश बन गया। जिन शब्दों ( हम भारत के लोग) के साथ संविधान की शुरुआत हुई है इसी में भारत की आत्मा छुपी हुई है और जंगे आजादी में अपनी जान गंवा देने वाले अमर शाहीदों के सपने भी।ये शब्द इस बात की ओर इशारा करते है कि देश के सभी नागरिक समान हैं चाहे वो किसी भी जाति या मजहब के अनुयायी हों।हमारे सविंधान में सभी धर्मों के प्रति सम्मान, समाज के सबसे निचले पायदान पर जीवन बशर करने वालों का उत्थान के अवसर ,आधी आबादी महिलाओं के प्रति मान सम्मान तथा धर्मनिरपेक्षता सब कुछ है। सब कुछ के अलावा भी और बहुत कुछ है।पर देश के कुछ लोगों के लिये यह बर्दाश्त के बाहर भी है।जी हाँ उनलोगों के लिये जो वर्तमान संविधान की जगह मनुस्मृति को लागू करने का सपने देखते हैं।ये बात दूसरी है कि उनके सपने मुंगेरीलाल जैसे ही हैं।इसीलिये उनके लिये इस धरती पर डा० अम्बेडकर से बढ़ के कोई दूसरा दुश्मन नहीं है।इतना चिढ़ है कि आये दिन उनकी मूर्तियाँ तोरी जाती हैं।सबसे अधिक मूर्ति आज तक डा० अम्बेडकर की ही तोरी गयी है।

भारतीय संविधान लागू होने के बाद RSS ने दुष्प्रचार और अपमान का अभियान तेज कर दिया था ।

गोलवलकर ने लिखा : —

“हमारा संविधान पश्चिमी देशों के विभिन्न संविधानों से ली गई अलग-अलग धाराओं का पुलिंदा भर है. इसमें कुछ भी ऐसा नहीं है जिसे हम अपना कह सकें. क्या इसमें हमारे राष्ट्रीय मिशन और हमारे जीवन के केन्द्रीय तत्व के बारे में एक भी शब्द है? नहीं!”

सावरकर भी पीछे नहीं हैं ये तो एक कदम आगे बढ़ के ये कहते हैं कि ” भारतीय संविधान में सबसे बूरी बात यह है कि इसमें कुछ भी भारतीय नहीं है “।

हिन्दू राष्ट्र के इन दो पुरोधाओं के कथन को आधार में रख कर आईये ज़रा वर्तमान के आईने में झांकते हैं।पिछले आम चुनाव में कई भाजपा नेताओं द्वारा संविधान बदलने वाले दिये गये वक्तव्य हवा हवाई नहीं थे, बल्कि वो अपना लक्ष्य ही बता रहे थे।ये तो अच्छा हुआ कि देश की जनता ने उन्हें वैशाखियों पर टिका दिया अन्यथा संविधान बदलने की कार्रवाई कई चरणों में आगे बढ़ गयी होती।

इतिहास इन दोनों बैशाखियों ( नीतीश और नायडू ) को संविधान के प्रति शत्रुता रखने वालों के सहायक

के रुप में याद करेगा।

आईये आज गणतंत्र दिवस को संविधान रक्षा दिवस के रुप में मनाएं।

बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं ।

(लेखक के अपने विचार है।)

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