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कुपोषित बच्चों के लिए जीवनदान बना सदर अस्पताल का पोषण पुनर्वास केंद्र

  •  126 कुपोषित बच्चों का उपचार कर किया गया सुपोषित
  •  कुपोषण के दर में कमी लाने के लिए स्वास्थ्य विभाग प्रतिबद्ध
  •  सदर अस्पताल में संचालित है 20 बेड का एनआरसी सेंटर

छपरा। जिले में कुपोषित बच्चों के समुचित इलाज की व्यवस्था के लिए सदर अस्पताल में पोषण पुनर्वास केंद्र संचालित किया जा रहा है। पोषण पुनर्वास केंद्र कुपोषित बच्चों के लिए जीवनदान साबित हो रहा है। अप्रैल 2024 से मार्च 2025 तक 126 कुपोषित बच्चों का उपचार किया गया है, जो अब स्वस्थ जीवन जी रहें है। सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि जिले में कुपोषण के दर में कमी लाने के उद्देश्य से कुपोषण को दूर करने लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा कई स्तर पर महत्वपूर्ण प्रयास किया जा रहा है। कुपोषित बच्चों के बेहतर उपचार के लिए सदर अस्पताल में पोषण पुनर्वास केंद्र संचालित किया जा रहा है। सिर्फ 10 से 15 फीसद अति गंभीर कुपोषित बच्चों को संस्था आधारित देखभाल की जरूरत होती है। अति गंभीर कुपोषित बच्चों को स्वस्थ करने के लिए उन्हें पोषण पुनर्वास केंद्रों में भेजा जाता है। एक अध्ययन के मुताबिक केवल 10 से 15 फीसद ही अति-गंभीर कुपोषित बच्चों को एनआरसी में भेजने की जरूरत है। 90 फीसद बच्चे समुदाय आधारित देखभाल से ही स्वस्थ हो सकते हैं। बच्चों की देखभाल में लापरवाही और समाजिक कारणों से कुपोषण की स्थिति पैदा हो जाती है। इसके लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायक नर्स मिडवाइफ (एएनएम) को निर्देश दिया गया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में कुपोषित बच्चों की पहचान करें और उन्हें तुरंत एनआरसी भेजें।
अतिकुपोषित बच्चों को 21 दिनों तक रखने का प्रावधान
सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि कुपोषित बच्चों के लिए यहां वार्ड बनाए गए हैं, जहां उपचार के साथ उन्हें अक्षर ज्ञान का भी बोध कराया जाता है। कुपोषित बच्चों व मां को आवासीय सुविधा प्रदान किया जाता है। पौष्टिक आहार की व्यवस्था है। 21 दिन तक रखने का प्रावधान है। जब बच्चे के वजन में बढ़ोतरी होने लगता है तो, उसे 21 दिन के पूर्व ही छोड़ दिया जाता है।
सदर अस्पताल में संचालित है 20 बेड का एनआरसी सेंटर
जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीसी रमेशचंद्र कुमार ने बताया कि एनआरसी में गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों के इलाज और पुनर्वास की व्यवस्था उपलब्ध है। गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों के लिए एनआरसी में 20 बेड की व्यवस्था है। उन्होंने बताया कि जिले में जन्म के बाद नवजात शिशुओं का सही देखभाल नहीं होने से भी कुपोषण की स्थिति उत्पन्न होती है। समय पर बच्चों की देखभाल न होने पर मृत्यु दर बढ़ जाती है। 100 में से 85 बच्चे उपचारित हो जाते हैं यदि उन्हें समय पर चिकित्सकीय सहायता मिल जाए। देरी होने पर यह संख्या घटकर 10–15 प्रतिशत ही रह जाती है। भर्ती बच्चों की मां को प्रतिदिन प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है। आंगनबाड़ी की सेविका व आशा कार्यकर्ताओं द्वारा सर्वे करके कुपोषित बच्चों की पहचान की जाती है और बच्चों को बेहतर उपचार के लिए एनआरसी लाती हैं।

बच्चों को मिलता है पौष्टिक आहार
पोषण पुनर्वास केंद्र के इंचार्ज स्टाफ नर्स पुष्पा कुमारी ने बताया कि बच्चों को एफ-100 मिक्स डाइट की दवा दी जाती है। आहार में खिचड़ी, दलिया, सेव, चुकंदर, अंडा दिया जाता है। कुल 20 बेड लगे हुए हैं । इस वार्ड में एक साथ 20 बच्चों को भर्ती कर उनका प्रॉपर उपचार के साथ पौष्टिक आहार निशुल्क उपलब्ध कराया जाता है। केंद्र में 0 से लेकर 5 वर्ष तक के कुपोषित बच्चों को ही भर्ती किया जाता है। सर्वप्रथम बच्चे का हाइट के अनुसार वजन देखा जाता है। दूसरे स्तर पर एमयूएसी जांच में बच्चे के बाजू का माप 11.5 से कम होना तथा बच्चे का इडिमा से ग्रसित होना शामिल है। तीनों स्तरों पर जांच के बाद भर्ती किया जाता है।