स्वतंत्रता आंदोलन के गर्भ से उदित है छात्र संगठन ‘ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन’
- एआईएसएफ के 85 वीं वर्षगांठ के अवसर पर विशेष
- एआईएसएफ की वीरगाथा प्रस्तुत कर रहे है राज्य-पार्षद एआईएसएफ, बिहार के अमित नयन
- (AISF) अपनी स्थापना का 85 वां वर्षगांठ कल 12 अगस्त को मनाने जा रहा है।
छपरा(सारण)। छात्र संगठन ‘ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन’ की स्थापना 12-13 अगस्त, 1936 को लखनऊ के गंगा प्रसाद मेमोरियल हॉल में देश के पहले छात्र संगठन के रूप में हुआ। जिसकी अध्यक्षता पंडित जवाहरलाल नेहरू ने की। उस समय एआईएसएफ युवाओं के लिए बेहतर जीवन के लिए साम्राज्यवाद के खिलाफ संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए इंटरनेशनल यूनियन ऑफ स्टूडेंट्स और डेमोक्रेटिक यूथ के विश्व संघ की स्थापना में दुनिया भर के अन्य फासीवादी छात्र और युवा संगठनों में शामिल हुआ। वर्तमान परिवेश में एआईएसएफ छात्रों के प्रगतिशील वर्गों के इस आंदोलन की प्रगति में खड़ा है। अपने जन आधार को विस्तारित करने के लिए, एआईएसएफ एकजुट होने के लिए निरंतर काम कर रहा है और छात्र को अपने परिष्कृत लक्ष्यों की ओर ले जाता है।
ज्ञात हो कि 1936 में संगठन के पहले राष्ट्रीय महासचिव बने पी ऐन भार्गव। जिस समय यह संगठन बना उस समय इस संगठन के अंदर विभिन्न प्रगतिशील दलों के छात्र एक साथ काम करते थे। यह एक स्वतंत्र छात्र संगठन है। जो हमेशा छात्रों की बेहतरी के साथ ही भगत सिंह के सपनो का देश बनाने के लिए संघर्षरत है। हाल के दिनों में संगठन ने व्यापक पैमाने से आंदोलन ही नहीं चलाएं, मसलन अक्यूपाई UGC आन्दोलन, जस्टिस फॉर रोहित वेमुला आंदोलन, स्टैंड विद JNU आंदोलन, पटना आर्ट कॉलेज बचाओ आंदोलन। भगत सिंह राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम की मांग की। देश की आजादी में सबसे पहले युवाओं का फौज छात्र संगठन एआईएसएफ के द्वारा ही खड़ा हुआ। जिसमें एआईएसएफ के पूर्व राज्य सचिव गणेश शंकर विद्यार्थी जैसे कितने क्रांतिकारी युवाओं ने अपना दमखम 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में दिखाया।
वर्तमान में वैज्ञानिक समाजवादी विचारधारा से अभिप्रेरित AISF की प्रखरता को क्षीण करने के लिए शासक तत्वों ने इस पर चौतरफा हमला किया और छात्र आंदोलन को कमजोर करने की निरंतर कोशिश की जा रही है। आज शिक्षा के निजीकरण एवं बदहाली के कारण छात्रों के वैज्ञानिक एवं तार्किक चिंतन का आधार धीरे धीरे समाप्त होते जा रहा है। कहा गया है की छात्र शक्ति ही राष्ट्र शक्ति का सबसे सबल उदाहरण है। लेकिन वर्तमान परिवेश में इसकी चमक फीकी पड़ गई है। देश के सर्वांगीण विकास के लिए तत्पर एआईएसएफ केवल छात्र आंदोलन ही नहीं स्वास्थ सेवाओं की बेहतरी, देश की सुरक्षा आपसी सौहार्द, वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ अपने स्थापना काल से ही इसके लिए निरंतर संघर्ष करते आ रहा है और आगे भी करते रहेगा। वर्तमान परिपेक्ष में जब शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार का जिस प्रकार से निजीकरण की ओर रुख मोड़ा जा रहा है, ऐसी परिस्थिति में हम सभी युवाओं बुद्धिजीवियों एवं तमाम देश के प्रति चिंतनशील लोगों को इसके विरूद्ध संकल्प के साथ इस मुहिम को आगे बढ़ाने की जरूरत है। तभी हमारे देश के प्रत्येक नागरिक को एक समान अवसर और सम्मान हासिल हो पाएगा।


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