हिंदी दिवस पर विशेष- भाषा से ही परिभाषा मिलती है: अर्जुन युवराज
राष्ट्रनायक प्रतिनिधि।
तरैया (सारण)। हिंदी के विकास के लिए हर वर्ष 14 सितम्बर को सम्पूर्ण भारतवर्ष में हिंदी दिवस धूम-धाम से मनाया जाता है। हिंदी हमारी मातृभाष के साथ-साथ राजभाषा है और इसे राष्ट्र भाषा की भी दर्जा प्राप्त है। भाषा से ही परिभाषा मिलती है। उक्त बातें हिंदी दिवस के अवसर पर मैकडोनाल्ड उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय देवरिया के हिंदी शिक्षक अर्जुन युवराज ने कही। उन्होंने कहा हमारे देश में सर्वाधिक बोली जाने भाषा हिंदी के साथ- साथ विदेशो में भी बोली जाने वाली भाषा है। हिंदी ही एक ऐसी भाषा है जिस भाषा से विश्व भर के लोगो को एक सूत्र में बंधा जा सकता है। आज हिंदी केवल विषय बन कर रह गयी है। जिनकी हिंदी अच्छी होगी उन्ही का इतिहास और भूगोल भी अच्छा होगा। वर्तमान समय में विद्यार्थी की बात छोड़ दी जाये, लेकिन अभिभावकों की भी इच्छा रहती है कि मेरा बच्चा विदेशी भाषा (अंग्रेजी) को सीखे और दैनिक जीवन में प्रयोग करे। इससे हिंदी की विकास सम्भव नहीं है। कहा गया है कोयल अपनी भाषा बोलती है, इसलिए आजद रहती है। पर तोता दूसरे की भाषा बोलता है इस लिए पिंजरे में जीवन भर रहता है। अर्थात अपनी भाषा पर गर्व करिए अन्यथा गुलामी निश्चित है। विद्यार्थियों को पुस्तक, कलम और कॉपी से प्रेम करनी चाहिए। लेकिन वो आज मोबाईल के दुनिया में जी रहें हैं। इससे हिंदी भाषा का ह्रास हो रहा है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि हिंदी अपनी भाषा है उससे प्रेम करें। अधिकतर काम हिंदी में करें।


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