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पूर्णिया में सरकारी स्तर पर खुला बिहार का पहला केला से रेशा बनाने का कारखाना, 40 प्रवासी मजदूरों को मिला रोजगार

पूर्णिया में सरकारी स्तर पर खुला बिहार का पहला केला से रेशा बनाने का कारखाना, 40 प्रवासी मजदूरों को मिला रोजगार

पूर्णियाँ। सीमांचल के केला किसानों  की किस्मत खुलती नजर आ रही है. दरअसल पूर्णिया में सरकारी क्षेत्र का बिहार का पहला केला से रेशा बनाने का कारखाना खुल गया है. सरकार के औद्योगिक नवप्रवर्तन उद्योग नीति के तहत धमदाहा प्रखंड के संझा घाट में केला के बेकार पड़े थम्ब से रेशा बनाने की दो यूनिट लगायी गयी है. धमदाहा विधायक लेशी सिंह औऱ डीएम राहुल कुमार ने गुरूवार को संझा घाट में केला रेशा उद्योग के दो यूनिट का गुरुवार को उद्घाटन किया. इस मौके पर डीएम राहुल कुमार ने कहा कि कोरोना काल में बाहर से आये प्रवासी मजदूरों को  इसके लिए पहले प्रशिक्षण दिया गया. फिर 20-20 मजदूरों के दो समूह बनकर उन्हें नासिक से अलग-अलग तरह की 14 मशीन मंगवाकर इनके द्वारा केला के थम्ब से रेशा बनाने का उद्योग चालू किया गया है.  डीएम ने बताया कि इस दौरान निकलने वाले पानी और अन्य वेस्टेज चीजों का भी खाद के रुप में उपयोग होगा. उन्होंने कहा कि साउंथ की कंपनी से बात की गई है. वे इन केलों के रेशे खरीदकर इससे कपड़ा , रस्सी समेत कई अन्य चीजें बनायेंगे.
वहीं, धमदाहा विधायक लेशी सिंह ने कहा कि इस इंडस्ट्री के लगने से इस इलाके के लोगों को काफी फायदा होगा. उन्होंने कहा कि ये तो अभी शुरुआत है, इसको आगे भी बढ़ाया जायेगा. इससे जहां प्रवासी मजदूरों को रोजगार मिल रहा है, वहीं केला किसानों को भी  काफी फायदा मिलेगा. लेसी सिंह ने कहा कि इस इलाके में केला की खेती बड़े पैमाने पर होती है. केला काटने के बाद लोग थम्ब को बेकार फेंक देते थे, लेकिन अब उसी केला के थम सेे रेशा और कपड़ा बनेगा. उन्होंने कहा कि इस उद्योग के लगने से जहां मजदूरों की जिंदगी संवरगी वहीं केला किसानों के जीवन में भी खुशहाली आएगी. इस तरह के आगे भी कई प्रोजेक्ट पर काम किये जा रहे हैं. अब बिहार के मजदूरों को बाहर पलायन नहीं करना पड़ेगा. इस मौके पर पूर्णिया के डीडीसी, धमदाहा एसडीएम समेत कई अधिकारी और जनप्रतिनिधि मौजूद थे.