कृषि का बिल एवं संजय सिंह के राज्य सभा से निष्काशन के खिलाफ आम आदमी पार्टी ने किया विरोध मार्च
के के सिंह सेंगर। राष्ट्रनायक प्रतिनिधि।
छपरा (सारण)। भारत के किसानों के विरुद्ध मोदी सरकार द्वारा कृषि कला कानून संसद के दोनों सदनों में ध्वनि मत से पास करा लेने के बाद विपक्ष के सभी पार्टी नेताओं द्वारा जोरदार विरोध किया गया। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने राज्यसभा में मोदी सरकार के कृषि काला कानून का डटकर विरोध किया है और मतदान द्वारा बिल को पास कराने का सरकार पर दबाव डाला। जिसके कारण मोदी सरकार ने सांसद संजय सिंह के साथ विपक्ष के 7 नेताओं को संसद के सत्र में भाग नहीं लेने देने के लिए भारतीय संविधान की हत्या कर संसद से निष्कासित कर दिया। मोदी सरकार के कृषि काला कानून के विरुद्ध देशव्यापी आम आदमी पार्टी एवं किसानों का विरोध जारी है। बनियापुर विधानसभा से विधानसभा अध्यक्ष एवं भावी प्रत्याशी विक्रम चौधरी के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने बनियापुर से छपरा शहर तक विरोध मार्च निकाला जिला अध्यक्ष मुनेश्वर सिंह उर्फ मुनि जी एवं आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा छपरा नगरपालिका चौक पर कृषि काला कानून के विरुद्ध अनशन कर विरोध जारी रहा। विक्रम चौधरी ने कृषि काला कानून का विरोध करते हुए कहा किस देश के किसान आजादी के बाद से ही सरकार और सूदखोर पूंजीपतियों द्वारा शोषण का शिकार होने के कारण आत्महत्या लाखों की संख्या में करते रहे हैं। लेकिन आज तक किसी भी सरकार ने किसानों की बदहाली को समझने की कोशिश तक नहीं किया। वर्तमान केंद्र सरकार अडानी और अंबानी जैसे पूजीपतियों की इशारे पर किसानों के शोषणकारी कृषि काला कानून संसद के दोनों सदनों में पास कराने में सफल रही है। जिसके कारण देश में किसान और बदहाली के कगार पर चले जाएंगे और किसानों की आत्महत्या की संख्या बढ़ती जाएगी। इसलिए आम आदमी पार्टी और श्री चौधरी संसद में कृषि काला कानून पर मतदान कराने तथा सांसद संजय सिंह का राज्यसभा से निलंबन वापस लेने का सरकार से अनुरोध करते हैं। बनियापुर से विधानसभा के भावी प्रत्याशी बिक्रम चौधरी ने अनशन पर बैठे जिला अध्यक्ष मुनि जी को फल का जूस पिलाकर आम आदमी पार्टी के नेता आशुतोष सिग्रीवाल, अजीत राय, अशर्फी यादव, मुमताज आलम राजकिशोर राय, रंजीत यादव, शंकर राय, मिथिलेश कुमार, काशी नाथ महतो, प्रमोद कुमार चौहान सहित सैकड़ों आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने अनशन को खत्म किया। और भारत के राष्ट्रपति को लिखे कृषि काला कानून के विरुद्ध में जिलाधिकारी को ज्ञापन दिया।


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